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8वें अंतरराष्ट्रीय जैज महोत्सव का हुआ आयोजन
कार्यक्रम की शुरुआत आईसीसीआर के रीजनल ऑफिसर अरविंद कुमार और मुख्य अतिथि लखनऊ विश्वविद्यालय के प्रोफेसर आरिफ अयूबी ने द्वीप प्रज्ज्वलित कर किया।
लखनऊ: संगीत हमारे दिल की आवाज होती है, जो हमारे दिल को सुकून पहुंचाती है, इसी संगीत को बढ़ावा देने के लिए भारतीय सांस्कृतिक संबंध परिषद, विदेश मंत्रालय, भारत सरकार के आमंत्रण पर 8वें अंतरराष्ट्रीय जैज महोत्सव के अंतर्गत मॉरीशस से आयी छह सदस्यीय डीन नुकाडू समूह की सांस्कृतिक प्रस्तुति का आयोजन गोमती नगर स्थित पर्यटन भवन प्रेक्षाग्रह में समपन्न हुआ।
इस दल का मुख्य उद्देश्य हिन्द महासागर क्षेत्र की लोक लयकारी एवं मधुर मुहावरों के साथ समकालीन जैज रचनाओं का सृजन एवं विकास करना है। इस मौके पर डीन नुकाडू ने कहा कि 'यहां(लखनऊ) के लोग और खाना दोनों बहुत अच्छे हैं।'
कार्यक्रम की शुरुआत आई.सी.सी.आर. के रीजनल ऑफिसर अरविंद कुमार और मुख्य अतिथि लखनऊ विश्वविद्यालय के प्रोफेसर आरिफ अयूबी ने द्वीप प्रज्ज्वलित कर किया।
जिसके बाद इन्होंने मॉरीशस की एक मछली 'ब्लू मार्लिन' के नाम पर खुद से बनाया हुआ जैज म्यूजिक प्रस्तुत किया, जिसका मतलब मछली को पकड़ते समय होने वाली दिक्कतों से था। इसी तरह इन्होंने शांति पर 'सिग्गा', मुम्बई पर 'मुम्बई इन जुलाई बाई मिडनाइट', 'हाई ऑन फाइव' और टेन्टरम जैसे जैज संगीत प्रस्तुत किये।
इनकी हर एक कम्पोजीशन पांच मिनट की थी, जिसको यहां पर मौजूद दर्शकों ने पूरे दिल से अपनाया और प्रशंसा की। इससे पहले ये दिल्ली और भोपाल में अपने जैज म्यूजिक का जलवा बिखेर चुके हैं।
इस छह सदस्यीय टीम में पियानो वादन का कार्य डीन नुकाडू ने, सैक्सोफोन को नेल बक्टोवा ने, ड्रम्स को फाब्रेश रामालिंगम, बेस को डेनिस सेरेट ने बजाया और यनीश सैक्रापनी व मनीष सैक्रापनी ने बैंड समन्यवक व ध्वनि तकनीशियन की भूमिका निभाई।
वहीं इस मौके पर भारतीय सांस्कृतिक सम्बंध परिषद के अरविन्द कुमार और सुनील कुमार विशवकर्मा मौजूद रहे। व इस कार्यक्रम का संचालन जीतेश श्रीवास्तव ने अपने अंदाज में पूरा किया।
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