×

104 पूर्व ब्यूरोक्रेट्स ने योगी सरकार को घेरा, बोले-धर्मांतरण विरोधी अध्यादेश वापस हो

रिटायर्ड नौकरशाहों ने अपने पत्र में इस अध्यादेश को 'अत्याचार' करार दिया है। इन्होंने लिखा है कि 'यह अत्याचार, कानून के शासन के लिए समर्पित भारतीयों के आक्रोश की परवाह किए बिना जारी हैं।'

Shivani
Published on: 30 Dec 2020 8:05 PM IST
104 पूर्व ब्यूरोक्रेट्स ने योगी सरकार को घेरा, बोले-धर्मांतरण विरोधी अध्यादेश वापस हो
X

नीलमणि लाल

नई दिल्ली। देश के 104 रिटायर्ड ब्यूरोक्रेट्स उत्तर प्रदेश में धर्मांतरण के खिलाफ लाये गये अध्यादेश से खासे खफा हैं। इन रिटायर्ड ब्यूरोक्रेट्स ने उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री को लिखे पत्र में दावा किया है कि धर्मांतरण विरोधी कानून के कारण उत्तर प्रदेश नफरत की राजनीति का केंद्र बन गया है। इन लोगों ने इस अध्यादेश को वापस लेने की मांग की है।

ये पत्र ऐसे समय में लिखा गया है जब प्रदेश में कथित 'लव जिहाद' पर बने अध्यादेश को लागू हुए एक महीना पूरा हो गया है। पत्र में रिटायर्ड नौकरशाहों ने लिखा है कि धर्मांतरण विरोधी अध्यादेश ने राज्य को 'घृणा, विभाजन और कट्टरता की राजनीति का केंद्र बना दिया है।' उन्होंने इस अध्यादेश को तत्काल वापस लेने की मांग की है। वैसे ये रिटायर्ड ब्यूरोक्रेट्स पहले भी अलग अलग मसलों पर सरकार के फैसलों पर सवाल खड़े कर चुके हैं।

ये भी पढ़ें- कर्मचारियों के लिए बुरी खबर: नए साल से कम मिलेगी सैलरी, ये है बड़ी वजह

साम्प्रदायिक जहर

इस खुले पत्र पर 104 से अधिक रिटायर्ड आईएएस, आईपीएस, आईएफइस के हस्ताक्षर हैं, जिनमें पूर्व राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार शिवशंकर मेनन, पूर्व विदेश सचिव निरुपमा राव, प्रधानमंत्री के पूर्व सलाहकार टीकेए नायर, रिटायर्ड आईपीएस जेएफ़ रिबेरो, प्रसार भारती के पूर्व सीईओ जवाहर सरकार, साहित्यकार अशोक वाजपेयी, हर्ष मंदर, अरुणा रॉय, वजाहत हबीबुल्ला शामिल हैं।

love jihad

उन्होंने इस पत्र में लिखा, 'उत्तर प्रदेश कभी गंगा-जमुनी तहजीब को सींचने को लेकर जाना जाता था, वह अब नफरत, विभाजन और कट्टरता की राजनीति का केंद्र बन गया है। और शासन की संस्थाएं अब सांप्रदायिक जहर में डूबी हुई हैं।'

अध्यादेश वापस लेने की मांग

इस पत्र में कथित तौर पर अल्पसंख्यकों का निशाना बनाने के मामलों का जिक्र है। पत्र में मुरादाबाद की उस घटना का जिक्र है जिसमें दो लोगों को कथित तौर पर बजरंग दल के सदस्य पुलिस स्टेशन तक घसीटकर ले गए थे। पुलिस ने दोनों को जबरन दबाव बना कर हिंदू महिला से शादी के आरोप में गिरफ्तार किया था।

ये भी पढ़ें-वैक्सीन के बाद भी खतरा: फिर भी हो सकता है कोरोना, सामने आई बड़ी वजह…

पत्र में निकाला गुस्सा

रिटायर्ड नौकरशाहों ने अपने पत्र में इस अध्यादेश को 'अत्याचार' करार दिया है। इन्होंने लिखा है कि 'यह अत्याचार, कानून के शासन के लिए समर्पित भारतीयों के आक्रोश की परवाह किए बिना जारी हैं।' पत्र के मुताबिक 'धर्मांतरण विरोधी अध्यादेश का इस्तेमाल एक डंडे के रूप में किया जा रहा है, खासतौर पर उन भारतीय पुरुषों को पीड़ित करने के लिए जो मुस्लिम हैं और महिलाएं हैं जो अपनी आजादी का इस्तेमाल करने की हिम्मत रखती हैं।'

love jihad bill

पत्र पर हस्ताक्षर करने वालों का कहना है, 'इलाहाबाद हाईकोर्ट समेत अलग अलग उच्च न्यायालयों ने इस बात पर फैसला सुनाया है कि किसी के जीवनसाथी का चयन करना एक मौलिक अधिकार है जिसकी गारंटी संविधान के तहत उत्तर प्रदेश को है।

लव जिहाद का जिक्र

पत्र में रिटायर्ड नौकरशाहों ने लिखा है कि ये कानून अल्पसंख्यकों के खिलाफ साजिश है और उन्हें परेशान करने के लिए बनाया गया है। लव जिहाद का नाम राइट विंग विचारधारा रखने वालों ने दिया है। इसमें कहा गया है कि मुस्लिम पुरुष हिंदू महिलाओं को बहलाकर शादी करते हैं और फिन उन पर धर्म परिवर्तन का दबाव बनाते हैं, ये केवल मनगढ़ंत कहानी है।

ये भी पढ़ें-केंद्रीय मंत्रियों की कतार: खड़े होकर किसानों के साथ खाया खाना, लंगर का उठाया लुफ्त

भाजपा ने दिया जवाब

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के सूचना सलाहकार और राज्य भाजपा के प्रवक्ता शलभमणि त्रिपाठी का कहना है कि योगी आदित्यनाथ आगे भी इसी अंदाज़ में काम करते रहेंगे। शलभमणि त्रिपाठी पत्र लिखने वाले इन पूर्व नौकरशाहों पर भी सवाल उठाते हैं। शलभमणि त्रिपाठी कहते हैं कि देश में चिट्ठी लिखने वालों का एक गैंग है जो आए दिन कुछ सेलेक्टेड मामलों में पत्र में लिखता रहा है। ये चिट्ठी गैंग संसद पर हुए हमले में शहीद हुए वीर रणबांकुरों के दरवाज़ों पर भले न गई हो पर इस हमले को अंजाम देने वाले आतंकियों और ग़द्दारों को फांसी से बचाने के लिए चिट्ठी लेकर आधी रात अदालतों के दरवाज़े पर ज़रूर पहुँच जाती है। ऐसे गैंग के बारे में देश का हर व्यक्ति जानता है। इसकी हम परवाह भी नहीं करते। चिट्ठी गैंग को चिट्ठी लिखने दीजिए, योगी जी अपने अंदाज़ में काम करते रहेंगे।

ये भी पढ़ें-सीएम योगी का बड़ा ऐलान, किसानों को MSP का पूरा लाभ दिलाएगी राज्य सरकार

गौरतलब है कि नवंबर 2019 में जबरन या कपटपूर्ण धर्मांतरण की बढ़ती घटनाओं का हवाला देते हुए उत्तर प्रदेश विधि आयोग ने धर्मांतरण को रेग्यूलेट करने के लिए एक नया कानून बनाने की सिफारिश की थी । इसी के आधार पर राज्य सरकार ने हाल ही में अध्यादेश पारित किया है।

दोस्तों देश दुनिया की और खबरों को तेजी से जानने के लिए बनें रहें न्यूजट्रैक के साथ। हमें फेसबुक पर फॉलों करने के लिए @newstrack और ट्विटर पर फॉलो करने के लिए @newstrackmedia पर क्लिक करें।

Shivani

Shivani

Next Story