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अस्पताल की हैवानियत: मासूम का पेट कटा छोड़ा, बेटी ने तड़प-तड़प कर तोड़ा दम

परजिनों ने इलाज में लापरवाही का गंभीर आरोप लगाए हैं। बताया जा रहा है कि ग्राम करेहदा निवासी मुकेश मिश्र की बेटी खुशी मिश्रा के पेट में 15 फरवरी को दर्द हुआ। इसके बाद परजिन उसे यूनाइटेड मेडिसिटी अस्पताल रावतपुर लेकर गए।

Dharmendra kumar
Published on: 5 March 2021 6:47 PM GMT
अस्पताल की हैवानियत: मासूम का पेट कटा छोड़ा, बेटी ने तड़प-तड़प कर तोड़ा दम
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प्रयागजराज के रावतपुर स्थित यूनाइटेड मेडिसिटी अस्पताल ने सिर्फ पैसे के लिए तीन वर्षीय मासूम बच्ची को भगा दिया जिसकी बाद मौत हो गई।

प्रयागराज: उत्तर प्रदेश के प्रयागराज से मानवता को शर्मसार करने वाली खबर सामने आई है। प्रयागजराज के रावतपुर स्थित यूनाइटेड मेडिसिटी अस्पताल ने सिर्फ पैसे के लिए तीन वर्षीय मासूम बच्ची को फटा पेट भगा दिया जिसकी बाद में मौत हो गई। सबसे हैरान करने वाली बात यह है कि मासूम का आॅपरेशन करने के बाद डाॅक्टरों ने पेट में टांका तक नहीं लगाया और अस्पताल से बाहर निकाल दिया। यह आरोप मासूम बच्ची के परिजनों ने लगाया है।

परजिनों ने इलाज में लापरवाही के गंभीर आरोप लगाए हैं। बताया जा रहा है कि ग्राम करेहदा निवासी मुकेश मिश्र की बेटी खुशी मिश्रा के पेट में 15 फरवरी को दर्द हुआ। इसके बाद परजिन उसे यूनाइटेड मेडिसिटी अस्पताल रावतपुर लेकर गए। डाॅक्टरों ने आंत में इन्फेक्शन बताकर ऑपरेशन के लिए कहा। इसके लिए उन्होंने परिजनों से ₹2,00,000 लाख रुपए मांगे। इसके बाद परिवार ने खेत बेचकर पैसे दिए। फिर आपरेशन हुआ, लेकिन चार-पांच दिनों बाद टांके वाले स्थान पर पस निकलने लगा। इसके बाद फिर डाक्टरों ने उसी स्थान पर दूसरा ऑपरेशन कर दिया।

परिजनों का आरोप है कि इसके बाद अस्पताल ने परिजनों से 5,00,000 रुपए की मांग की। परिवार गरीब होने की वजह से पैसे देने में असमर्थ था, तो अस्पताल ने परिजनों से कहा कि जब तक पैसे नहीं देंगे हम इलाज नहीं कर पाएंगे। आप बच्ची को लेकर यहां से जाएं और ऑपरेशन के बाद किसी भी प्रकार टांका नहीं लगाया गया। निर्दयी अस्पताल ने बिना टांका लगाए फटे पेट के साथ उसे निकाल दिया।

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अस्पताल ने रखा अपना पक्ष

यूनाइटेड मेडिसिटी ने कहा कि अस्पताल पर लगे आरोप झूठे हैं। बच्ची के माता पिता से दो लाख रुपये लिए जाने का आरोप भी गलत है। अस्पताल ने कहा कि बच्ची को गंभीर हालत में लाया गया था जिसका आपरेशन करना जरूरी था। परजिनों की सहमति से 24 फरवरी को आपरेशन किया गया। आगे के इलाज के लिए लिए तीन मार्च को बच्ची को एसआरएन रेफर किया गया लेकिन परिजन उसे लेकर चिल्ड्रेन अस्पताल चले गए।

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पीड़ित पक्ष आरोप पर कायम

पीड़ित पक्ष अब भी अपने आरोपों पर कायम है और कह रहा कि 5 लाख तक मांगे जा रहे थे, जब केस बिल्कुल बिगड़ गया तो उन्होंने सरकारी अस्पताल जाने को कहा। सरकारी अस्पताल जाने पर वहां के डॉक्टरों ने कहा केस बिगड़ गया है, बच्ची बचेगी नहीं। दोबारा उसे परिवार यूनाइटेड ले गया और तब उन्हें गेट के अंदर भी घुसने नहीं दिया और बच्ची की मौत हो गई।

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जिलाधिकारी ने दिए कानूनी कार्रवाई के आदेश

इस मामले की जांच समित करेगी। अगर समिति जांच लापरवाही और अमानवीयत पाती है, तो दोषियों के खिलाफ कानून कार्रवाई की जाएगी।

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