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नहीं हो रहा सोशल डिस्टन्सिंग का पालन, किसान खाद के लिए लड़ रहे लड़ाई

एक तरफ प्रशासन किसानों को आस्वस्त कर रहा है कि खाद का पर्याप्त भण्डार है लेकिन दूसरी तरफ किसान खाद की लड़ाई लड़ने के लिए जान को जोखिम में डाल रहा है फिर उसे खाद की बोरी के दर्शन नही हो पा रहे हैं ।

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Published on: 20 Aug 2020 1:57 PM IST
नहीं हो रहा सोशल डिस्टन्सिंग का पालन, किसान खाद के लिए लड़ रहे लड़ाई
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नहीं हो रहा सोशल डिस्टन्सिंग का पालन, किसान खाद के लिए लड़ रहे लड़ाई

बाराबंकी: एक तरफ प्रशासन किसानों को आस्वस्त कर रहा है कि खाद का पर्याप्त भण्डार है लेकिन दूसरी तरफ किसान खाद की लड़ाई लड़ने के लिए जान को जोखिम में डाल रहा है फिर उसे खाद की बोरी के दर्शन नही हो पा रहे हैं । किसानों का खाद के लिए संघर्ष क्या है इसको जानने के लिए हम इफको के सरकारी भण्डार पर पहुँचे तो किसानों की भारी भीड़ सुबह से ही जमा थी । किसानों ने बताया कि वह खाद के लिए कितना संघर्ष कर रहे हैं ।

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नहीं हो रहा सोशल डिस्टन्सिंग का पालन, किसान खाद के लिए लड़ रहे लड़ाई

सरकारी इफको भण्डार पर किसानों की भारी भीड़ दिखाई दी

बाराबंकी के सरकारी इफको भण्डार पर आज भी किसानों की भारी भीड़ दिखाई दी । कोरोना काल में सोशल डिस्टेंसिंग की बात यहाँ बेमानी साबित हो रही थी सभी पर बस एक ही धुन सवार थी कि उन्हें उनके खेतों के लिए पर्याप्त खाद मिल जाये । खाद के लिए किसानों ने कार्यालय खुलने से पहले ही सूरज निकलने के साथ ही लाइन लगा ली थी ताकि उनका नम्बर पहले आ जाये मगर दोपहर आते आते उनका नम्बर नही आया ।

यहाँ मौजूद किसानों ने बताया कि कुछ लोग सुबह से ही लाइन में खड़े है और कुछ लोग तो दो तीन दिन से लगातार यहाँ आकर खाद की आस में लाइन लगाते है परन्तु उन्हें खाद नसीब नही होती अगर किसी तरह से उन्हें खाद मिल भी गयी तो पर्याप्त मात्रा में नही मिलती । जरूरत अगर दस बोरी की है तो एक या दो ही बोरी मिल पाती है । इससे उनका समय तय बर्बाद हो ही रहा है और फसल भी बरबाद हो रही है जिससे भविष्य की चिन्ता हो रही है । खाद न मिल पाने की वजह से ही यहाँ से भीड़ कम नही हो पा रही है । यहाँ कई लोग ऐसे है जो उन्हें इधर उधर दौड़ाते है और इसी दौड़ भाग की वजह से ही किसान और परेशान हो गया है ।

अपने छोटे बच्चे को लेकर लाइन में खड़ी महिलाएं

खाद के लिए लाइन में अपने छोटे बच्चे को लेकर खड़ी महिलाओं ने बताया कि खाद की इतनी दिक्कत है और सरकार उनके लिए कुछ कर ही नही रही उन्हें लगता है कि यह सरकार किसानों का हित चाहती ही नही है । एक महिला ने तो यहाँ तक बताया कि इस सरकार ने दो बार लाइन में खड़ा किया है पहली बार नोटबन्दी करके और दूसरी बार अब खाद को लेकर । दोनों समय उन्हें लम्बी-लम्बी लाइनों से जूझना पड़ा है । आज भी वह सुबह पाँच बजे से लाइन में आकर खड़ी हो गयी है ।

नहीं हो रहा सोशल डिस्टन्सिंग का पालन, किसान खाद के लिए लड़ रहे लड़ाई

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इफको केन्द्र के सचिव संजय वर्मा ने बताया

इफको केन्द्र के सचिव संजय वर्मा ने बताया कि किसानों की भीड़ कम न होने का एकमात्र कारण यह है कि अगर एक ट्रक खाद आती है और उसे लेने वाले पाँच सौ या छह सौ किसान है तो कोई खाली हाथ न जाये इसलिए सभी को एक-एक दो-दो बोरी दे दी जाती है । इन्हें और खाद लेने के लिए दोबारा कहा जाता है और दोबारा जब आते है तो इनकी खेतौनी देख कर पर्याप्त मात्रा में खाद दे दी जाती है ।

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