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जमीनी विवाद केस में फाइनल रिपोर्ट लगाने पर हाईकोर्ट ने मांगा जवाब

इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ खंडपीठ ने जमीन विवाद के एक केस में दर्ज प्राथमिकी पर जांच के उपरांत फाइनल रिपोर्ट लगाने पर सरकार से पूछा है कि क्या उक्त मामले की विवेचना निष्पक्ष तरीके से की गई है। यह आदेश जस्टिस मुनीश्वर नाथ भंडारी व जस्टिस विकास कुंवर श्रीवास्तव की खंडपीठ ने पारित किया है।

Dharmendra kumar
Published on: 23 July 2019 3:30 PM GMT
जमीनी विवाद केस में फाइनल रिपोर्ट लगाने पर हाईकोर्ट ने मांगा जवाब
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लखनऊ: इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ खंडपीठ ने जमीन विवाद के एक केस में दर्ज प्राथमिकी पर जांच के उपरांत फाइनल रिपोर्ट लगाने पर सरकार से पूछा है कि क्या उक्त मामले की विवेचना निष्पक्ष तरीके से की गई है। यह आदेश जस्टिस मुनीश्वर नाथ भंडारी व जस्टिस विकास कुंवर श्रीवास्तव की खंडपीठ ने पारित किया है।

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याचिका में कहा गया है कि याची ने अपनी अर्जुनगंज स्थित एक जमीन के कुछ हिस्से का इकरारानामा एआई बिल्डर कम्पनी से किया लेकिन बाद में उक्त कम्पनी ने पूरी जमीन पर नक्शा पास करवा लिया।

याची का कहना था कि उसने इस सम्बंध में जून 2019 में एफआईआर लिखाई लेकिन पुलिस ने जल्दबाजी में बिना निष्पक्ष विवेचना किये फाइनल रिपोर्ट लगा दी।

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याची ने इस मामले में पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव और पूर्व मंत्री गायत्री प्रसाद प्रजापति को भी पक्षकार बनाया है। सरकार के अपर महाधिवक्ता विनेाद कुमार शाही ने बताया कि याचिका में अखिलेश यादव व गायत्री प्रसाद प्रजापति पर बिल्डर को मदद देने का आरोप लगाते हुए प्रतिवादी बनाया गया है।

Dharmendra kumar

Dharmendra kumar

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