TRENDING TAGS :
लोकसभा में पेश हुआ इकोनॉमिक सर्वे, 6 से 6.5 फीसदी रहेगी ग्रोथ
बजट सत्र 2020 को लेकर शुक्रवार को संसद में राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के संबोधन के बाद वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण (Nirmala Sitharaman) ने भारत के आर्थिक हालात की तस्वीर पेश की है। इस मौके पर उन्होंने अप्रैल से देश की आर्थक हालत बेहतर होने की उम्मीद भी जताई।
दिल्ली: बजट सत्र 2020 को लेकर शुक्रवार को संसद में राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के संबोधन के बाद वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण (Nirmala Sitharaman) ने भारत के आर्थिक हालात की तस्वीर पेश की है। इस मौके पर उन्होंने अप्रैल से देश की आर्थक हालत बेहतर होने की उम्मीद भी जताई।
बजट सत्र 2020, मोदी सरकार का आर्थिक सर्वे पेश:
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने शुक्रवार को संसद में आर्थिक सर्वेक्षण 2020 (Economic Survey 2020) पेश कर दिया। इस सर्वे रिपोर्ट में देश की अर्थव्यवस्था को लेकर कई अहम आंकड़े पेश किए गए हैं। रिपोर्ट में बताया गया है कि वित्त वर्ष 2020-21 में GDP ग्रोथ रेट 6-6.5 फीसदी के बीच रहेगी।
ये भी पढ़ें: बजट-2020: जिंस कारोबारियों को एसटीटी व सीटीटी में कमी की आशा
जीडीपी ग्रोथ का भरोसा:
गौरतलब है कि यह नरेंद्र मोदी सरकार (Modi Government) का दूसरा इकोनॉमिक सर्वे है। इसी के साथ अर्थव्यवस्था की डांवाडोल स्थिति के बीच आज संसद का बजट सत्र शुरू हो गया। इसमें उन्होंने वित्त वर्ष 2020-21 के लिए देश की जीडीपी ग्रोथ (GDP Growth) 6 से 6.5 फीसदी रहने का भरोसा जताया है। बता दें कि फिलहाल वित्त वर्ष 2019-20 के लिए देश की जीडीपी ग्रोथ का अनुमान 5 फीसदी है।
क्या होता है आर्थिक सर्वे?
वित्त मंत्रालय की इस आधिकारिक सर्वे रिपोर्ट में देश के आर्थिक विकास का सालाना लेखाजोखा होता है। आर्थिक सर्वे को वित्त मंत्रालय में मुख्य आर्थिक सलाहकार और उनकी टीम तैयार करती है। इस रिपोर्ट से पता चलता है कि बीते साल आर्थिक मोर्चे पर देश का क्या हाल रहा। इसके अलावा सर्वे रिपोर्ट में ये भी बताया जाता है कि अर्थव्यवस्था में किस तरह की संभावनाएं मौजूद हैं।
ये भी पढ़ें: बंद हुए बैंक: अब नहीं करा पाएंगे कोई काम, करना होगा इतने दिनों का इंतजार
ऐसी थी साल 2019 की सर्वे रिपोर्ट :
-बीते साल सर्वे रिपोर्ट में बताया गया था कि जीडीपी की वृद्धि दर वर्ष 2017-18 में 7.2 फीसदी की जगह वर्ष 2018-19 में 6.8 फीसदी रही।
वहीं अच्छी विनिर्माण और निर्माण गतिविधि के कारण 2018-19 में औद्योगिक वृद्धि में भी तेजी आई थी।
साल 2017-18 में ये दर 5.9 फीसदी था जो 2018-19 में 6.9 फीसदी बताया गया था।
राजकोषीय घाटा 2017-18 में जीडीपी के 3.5 फीसदी से घटकर 2018-19 में 3.4 फीसदी रह गया।