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BJP नेताओं के खिलाफ पोस्टर लगाने पर फंसी कांग्रेस, लिया गया ये एक्शन

सीएम योगी आदित्यनाथ सरकार की तरफ से दंगाइयों के खिलाफ जगह-जगह लगाए गए पोस्टरों के जवाब में विपक्षी दलों ने भी पोस्टर लगाने शुरू कर दिए।

Shreya
Published on: 15 March 2020 5:41 AM GMT
BJP नेताओं के खिलाफ पोस्टर लगाने पर फंसी कांग्रेस, लिया गया ये एक्शन
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BJP नेताओं के खिलाफ पोस्टर लगाने पर फंसी कांग्रेस, लिया गया ये एक्शन

लखनऊ: सीएम योगी आदित्यनाथ सरकार की तरफ से दंगाइयों के खिलाफ जगह-जगह लगाए गए पोस्टरों के जवाब में विपक्षी दलों ने भी पोस्टर लगाने शुरू कर दिए। कहा जाए तो विपक्षी दलों में ‘पोस्टर वार’ छिड़ गया। इसी क्रम में कांग्रेसी कार्यकर्ताओं ने भी पोस्टर लगाए थे। लेकिन अब ये मामला पुलिस तक पहुंच गया है। लखनऊ पुलिस ने पोस्टर लगाने वाले दो कांग्रेसी कार्यकर्ताओं के खिलाफ FIR दर्ज की है।

एसएचओ ने की इस बात की पुष्टि

हजरतगंज कोतवाली के एसएचओ ने इस बात की पुष्टि की है। हालांकि यह FIR किन धाराओं में दर्ज की गई है और किसकी शिकायत पर दर्ज किया गया है इसकी जानकारी नहीं दी गई है।

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दो कांग्रेसी कार्यकर्ताओं पर पोस्टर लगाने का है आरोप

बता दें कि दो कांग्रेसी कार्यकर्ताओं सुधांशु बाजपेई और लल्लू कनौजिया पर शुक्रवार रात को हजरतगंज इलाके में कई जगहों पर पोस्टर लगाने का आरोप है। कांग्रेसी कार्यकर्ताओं ने इस पोस्टर में सीएम योगी एवं उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य को दंगाई कहकर उन्हें घेरने का प्रयास किया। पोस्टर में CM योगी और डिप्टी सीएम केशव मौर्या के साथ BJP के कई नेताओं पर दर्ज मुकदमे का जिक्र किया गया था।

कांग्रेसी नेता सुधांशु बाजपेयी द्वारा जारी किए गए पोस्टर

कांग्रेस ने राज्य सरकार को राजधानी लखनऊ में ही भाजपा दफ्तर अंबेडकर प्रतिमा, नगर निगम, दारूलशफा, लखनऊ विश्वविद्यालय सहित दर्जनभर जगहों में योगी सरकार द्वारा लगाये गये पोस्टर्स के सामानांतर पोस्टर्स लगाये। यह पोस्टर्स कांग्रेस के युवा नेता सुधांशु बाजपेयी द्वारा जारी किए गए हैं।

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19 दिसंबर को लखनऊ की सड़कों पर CAA विरोध प्रदर्शन हुआ था

बता दें कि 19 दिसंबर को नागरिकता संशोधन कानून (CAA) के खिलाफ प्रदर्शन के दौरान हिंसा भड़क उठी थी। हिंसक भीड़ ने पुराने लखनऊ से लेकर हजरतगंज तक जमकर उत्पात मचाया। इस दौरान पुलिस से लेकर मीडिया पर भी हमले किए गए। इसके अलावा दर्जनों गाड़ियां फूंक दी गईं और पुलिस चौकी को भी आग के हवाले कर दिया गया।

इसके बाद सरकार की तरफ से हिंसा के आरोप में दर्जनों लोगों पर मुकदमा दर्ज किया गया था। सरकार ने 57 लोगों को नोेटिस भेजा था और सरकारी संपत्ति को पहुंचाए गए नुकसान की भरपाई करने का निर्देश दिया था। उसके बाद 5 मार्च को लखनऊ जिला प्रशासन की तरफ से लखनऊ के हजरतगंज सहित प्रमुख इलाकों में चैराहों पर आरोपी 57 लोगों की तस्वीरों का पोस्टर लगाया दिया गया। पोस्टर लगते ही मामले ने तूल पकड़ लिया।

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हाईकोर्ट के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट गई योगी सरकार

लेकिन योगी सरकार अपने निर्णय पर अड़ी रही और उसने 11 मार्च को सुप्रीम कोर्ट में विशेष अनुमति याचिका दाखिल कर दी। मामले में 12 मार्च को सुनवाई हुई। इस पर सुनवाई करते हुए शीर्ष अदालत की बेंच ने उत्तर प्रदेश सरकार से पूछा कि उन्हें आरोपियों का पोस्टर लगाने का अधिकार किस कानून के तहत मिला है? सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अभी तक शायद ऐसा कोई कानून नहीं है, जिसके तहत उपद्रव के कथित आरोपियों की तस्वीरें होर्डिंग में लगाई जाएं।

समाजवादी पार्टी ने भी किया था जोरदार विरोध

वहीं कांग्रेस के अलावा इसका समाजवादी पार्टी ने भी कड़ा विरोध किया था। समाजवादी पार्टी के प्रवक्ता आईपी सिंह ने भाजपा नेताओं के कुछ पोस्टर्स लगवाए थें लेकिन पुलिस ने उन्हें तुरंत उसी वक्त हटवा दिया था। इन पोस्टर्स में भाजपा के सांसद चिन्मयानन्द और पूर्व विधाायक कुलदीप सेंगर को बलात्कारी बताते हुए सरकार को घेरने का प्रयास किया था।

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