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बजट से पहले लगा तगड़ा झटका, सरकार के लिए आई ये बुरी रिपोर्ट

आम बजट पेश होने में अब कुछ ही दिन बचे हैं। इससे पहले सरकार के लिए एक और बुरी रिपोर्ट आई है। दरअसल, बैंक ऑफ अमेरिका सिक्योरिटीज की रिपोर्ट में दावा किया...

Deepak Raj
Published on: 25 Jan 2020 8:27 PM IST
बजट से पहले लगा तगड़ा झटका, सरकार के लिए आई ये बुरी रिपोर्ट
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नई दिल्ली। आम बजट पेश होने में अब कुछ ही दिन बचे हैं। इससे पहले सरकार के लिए एक और बुरी रिपोर्ट आई है। दरअसल, बैंक ऑफ अमेरिका सिक्योरिटीज की रिपोर्ट में दावा किया गया है कि चालू वित्त वर्ष 2019-20 में भारत का राजकोषीय घाटा बढ़ने वाला है।

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रिपोर्ट की मानें तो चालू वित्त वर्ष में यह घाटा बढ़कर सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के 3.8 फीसदी पर पहुंच सकता है। यहां बता दें कि केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार ने 5 जुलाई 2019 को आम बजट में राजकोषीय घाटे को जीडीपी के 3.3 फीसदी पर नियंत्रित रखने का अनुमान लगाया था।

राजकोषीय घाटे का 3.5 फीसदी का लक्ष्य तय कर सकती है सरकार

इस लिहाज से सरकार के अनुमान से 0.5 फीसदी तक का इजाफा होने की आशंका है। बैंक ऑफ अमेरिका सिक्योरिटीज की रिपोर्ट के मुताबिक सरकार आगामी बजट में 2020-21 के लिए राजकोषीय घाटे का 3.5 फीसदी का लक्ष्य तय कर सकती है।

इसके साथ ही ये बजट मुख्‍य तौर पर आयकर कटौती, लघु और मझोले उपक्रमों और आवास के लिए ब्याज सहायता के जरिए उपभोग मांग बढ़ाने पर केंद्रित होगा।

घाटा बढ़ने पर जानिए क्या होता है असर

बढ़ते राजकोषीय घाटे का असर वही होगा जो आपकी कमाई के मुकाबले खर्च बढ़ने पर होता है। खर्च बढ़ने की स्थिति में हम अपनी जरूरतों को पूरा करने के लिए कर्ज लेते हैं। इसी तरह सरकारें भी कर्ज लेती हैं।

कहने का मतलब ये हुआ कि राजकोषीय घाटे को पूरा करने के लिए सरकार कर्ज लेने को मजबूर होती है और फिर ब्याज समेत चुकाती है। इसके लिए सरकार की ओर से तरह-तरह के उपाय किए जाते हैं।

20 साल में सबसे कम हुआ टैक्स कलेक्शन

हाल ही में न्‍यूज एजेंसी रॉयटर्स ने दावा किया है कि 20 सालों में पहली बार डायरेक्‍ट टैक्‍स कलेक्‍शन लुढ़कने का अनुमान है। रिपोर्ट के मुताबिक 23 जनवरी तक टैक्स​ डिपार्टमेंट ने सिर्फ 7.3 लाख करोड़ रुपये ही जुटाए हैं। पिछले वित्त वर्ष में सामान अवधि से अगर तुलना करें तो टैक्‍स कलेक्‍शन 5.5 फीसदी कम है। यहां बता दें कि सरकार के सालान रेवेन्यू में डायरेक्ट टैक्स कलेक्शन का हिस्सा करीब 80 फीसदी होता है।



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