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हाईकोर्ट का फर्जी आदेश बनाने पर पांच अभियुक्तों को तीन साल की सजा

सीबीआई के लोक अभियोजन शोभित सिंह के मुताबिक हत्या का प्रयास व दहेज प्रताड़ना के एक मामले में अभियुक्त राम किशोर गोंडा जेल में न्यायिक हिरासत में निरुद्ध था।

Aditya Mishra
Published on: 25 Jun 2023 12:04 PM GMT
हाईकोर्ट का फर्जी आदेश बनाने पर पांच अभियुक्तों को तीन साल की सजा
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विधि संवाददाता

लखनऊ: सीबीआई की विशेष न्यायिक मजिस्ट्रेट अनुराधा शुक्ला ने हाईकोर्ट का फर्जी जमानत आदेश, फर्जी जमानतदार व फर्जी सत्यापन रिपोर्ट भी दाखिल करने के मामले में अभियुक्त रामकिशोर, ओमप्रकाश, प्रेमनाथ, सांवल प्रसाद व फैयाज अहमद खान को तीन-तीन साल की सजा सुनाई है।

उन्होंने इन सभी पर आठ-आठ हजार का जुर्माना भी ठोंका है। सीबीआई के लोक अभियोजन शोभित सिंह के मुताबिक हत्या का प्रयास व दहेज प्रताड़ना के एक मामले में अभियुक्त राम किशोर गोंडा जेल में न्यायिक हिरासत में निरुद्ध था।

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उसके चाचा साहब दयाल (मृतक) ने उसकी जमानत के लिए 11 जुलाई, 2002 को जारी हाईकोर्ट का एक फर्जी जमानत आदेश गोंडा की सीजेएम अदालत में दाखिल किया। जिसकी बिना पर राम किशोर जेल से रिहा हो गया।

इधर, राम किशोर के ससुराल वालों ने जब हाईकोर्ट के इस जमानत आदेश की तस्दीक की, तो मालुम हुआ कि ऐसा कोई आदेश हुआ ही नहीं है। तब रामकिशोर के साले अवधेश ने इस बात की शिकायत हाईकोर्ट से की। 28 जुलाई, 2004 को हाईकोर्ट ने इस मामले की जांच सीबीआई को सौंप दी।

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सत्यापन रिपोर्ट पाया गया था फर्जी

सीबीआई ने पाया कि न सिर्फ हाईकोर्ट का जमानत आदेश फर्जी था। बल्कि दोनों जमानतदार व उनका सत्यापन रिपोर्ट भी फर्जी था। सीबीआई के मुताबिक रामकिशोर की रिहाई के लिए उसके चाचा साहब दयाल ने हाईकोर्ट का फर्जी जमानत आदेश तैयार किया था।

ओमप्रकाश व प्रेमनाथ ने फर्जी जमानतनामे दाखिल किए थे। गोंडा के एक वकील का मुंशी सांवल प्रसाद ने जमानत संबधी सभी कागजात तैयार किए थे।

जबकि कांसटेबिल फैयाज अहमद खान ने इन दोनों जमानतदारों की तहसील से जारी फर्जी सत्यापन रिपोर्ट दाखिल की थी व तहसील के बाबू रामकुमार (मृतक) ने इस सत्यापन रिपोर्ट को तैयार किया था।

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