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घाट पर अनुष्ठान करने पर अड़ी विदेशी महिला, क्वारंटाइन सेंटर में कर रही ऐसा
रूसी महिला अमावस्या यानी 22 अप्रैल की रात श्मशानघाट पर गंगा किनारे कोई अनुष्ठान करना चाहती थी। लेकिन प्रशासन ने इजाजत नहीं दी।
वाराणसी: धर्म की नगरी काशी की आबो हवा हमेशा ही विदेशी सैलानियों को रास आती है। लेकिन ये विदेशी कभी-कभी अपनी हरकतों से स्थानीय प्रशासन के लिए परेशानी का सबब भी बन जाते हैं। रामनगर में भी कुछ ऐसा ही देखने को मिला, जहां श्मशान घाट पर अनुष्ठान की जिद पर अड़े विदेशियों ने रातभर हंगामे के बाद गुरुवार सुबह से धरना शुरू कर दिया है।
अनुमति न मिलने पर धरने पर बैठी
काशी वो जगह जहां विदेशी सैलानी भी अपने मन की शांति के लिए आते हैं। एक बार यहां आने के बाद यहां से जाने को उनका मन ही नहीं होता। कुछ यहां के मनोरम घाटों को देखने के लिए आते हैं तो कई ऐसे होते हैं, जो हिन्दू धर्म को जानने-समझने की जिज्ञासा लेकर पहुंचते हैं।रूस की रहने वाली जोया कई महीनों से वाराणसी के महाश्मशान मणिकर्णिका घाट के ठीक सामने गंगा किनारे कुटिया बनाकर दो बेटों और एक अमेरिकी फ्रेंड के साथ रह रही हैं।
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इन विदेशियों को पिछले दिनों श्मशान घाट के सामने रेती पर बनी कुटिया से लाकर रामनगर के क्वारन्टीन सेंटर पर रखा गया है। रूसी महिला अमावस्या यानी 22 अप्रैल की रात श्मशानघाट पर गंगा किनारे कोई अनुष्ठान करना चाहती थी। लेकिन प्रशासन ने इजाजत नहीं दी। रात में क्वारन्टीन सेंटर के अंदर ही हंगामे के बीच कोई अनुष्ठान करने की कोशिश भी की और सुबह होते ही धरना शुरू कर दिया है। किसी अप्रिय घटना से निबटने के लिए पर्यटन विभाग के निरीक्षक जेपी सिंह, रामनगर नगरपालिका के ईओ के साथ पुलिस फोर्स मौके पर मौजूद है।
अमावस्या को अनुष्ठान करने की जिद
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इस बीच कोरोना संकट बढ़ा तो पिछले हफ्ते सभी को कुटिया से रामनगर के साहित्यनाका स्थित क्वारंटीन सेंटर पहुंचा दिया गया। रविवार को जोया क्वारंटीन सेंटर से गंगा किनारे रेती पर स्थित कुटिया में जाने की जिद करने लगी। बताया कि अमावस्या यानी 22 तारीख को उसे कुटिया में जाकर अनुष्ठान करना है। उसे हर हाल में अमावस्या के दिन साधना करना है। अगर उसे रोका गया तो उसकी साधना भंग हो जाएगी। उसे अनुष्ठान की अनुमति दी जाए।