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उन्नाव के पूर्व डीएम पर दर्ज होगी FIR, कंपोजिट ग्रांट घोटाले की जांच में पाए गए दोषी

प्राथमिक स्कूलों की कंपोजिट ग्रांट में खेल करने वाले उन्नाव के पूर्व डीएम देवेंद्र पांडे आखिरकार कानून के शिकंजे में फंस गए हैं। मंडलायुक्त मुकेश मेश्राम ने अपनी जांच में पहले ही उन्हें दोषी बताया था

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Published on: 15 Sept 2020 10:35 AM IST
उन्नाव के पूर्व डीएम पर दर्ज होगी FIR, कंपोजिट ग्रांट घोटाले की जांच में पाए गए दोषी
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उन्नाव के पूर्व डीएम पर दर्ज होगी FIR, कंपोजिट ग्रांट घोटाले की जांच में पाए गए दोषी (social media)

लखनऊ: प्राथमिक स्कूलों की कंपोजिट ग्रांट में खेल करने वाले उन्नाव के पूर्व डीएम देवेंद्र पांडे आखिरकार कानून के शिकंजे में फंस गए हैं। मंडलायुक्त मुकेश मेश्राम ने अपनी जांच में पहले ही उन्हें दोषी बताया था और अब ईओडब्ल्यू ने अपनी जांच पूरी करने के बाद उनके खिलाफ एफआईआर दर्ज करने की सिफारिश की है।

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न्यूज़ ट्रैक को मिली जानकारी के अनुसार

न्यूज़ ट्रैक को मिली जानकारी के अनुसार कंपोजिट ग्रांट घोटाले की जांच ईओडब्ल्यू ने पूरी कर ली है । ईओडब्ल्यू ने अपनी जांच में पूर्व जिला अधिकारी उन्नाव को घोटाले का दोषी पाया है । ईओडब्ल्यू ने अपनी जांच रिपोर्ट में पूर्व डीएम देवेंद्र पांडे के खिलाफ पुलिस एफआईआर की सिफारिश की है। बताया यह भी जा रहा है कि ईओडब्ल्यू ने अपनी जांच रिपोर्ट शासन को भेज दी है।

घोटाले में उन्नाव की FIR में पूर्व डीएम देवेंद्र पांडे का का नाम भी जोड़ा जाएगा

ईओडब्ल्यू ने इस मामले में उन्नाव में पहले दर्ज हुई एफआईआर के बिंदुओं की भी पड़ताल की है। एफआईआर में कुछ धाराएं बढ़ाने की सिफारिश भी ईओडब्ल्यू ने की है। कंपोजिट ग्रांट घोटाले में उन्नाव की एफआईआर में पूर्व डीएम देवेंद्र पांडे का का नाम भी जोड़ा जाएगा। लखनऊ मंडल आयुक्त मुकेश मेश्राम की जांच रिपोर्ट में तत्कालीन डीएम देवेंद्र पांडे को दोषी माना गया है।

कमिश्नर की रिपोर्ट पर 23 फरवरी 2020 को सरकार ने पूर्व डीएम देवेंद्र पांडे को निलंबित कर दिया है। बीते 6 महीने की जांच पड़ताल के दौरान ईओडब्ल्यू ने देवेंद्र पांडे से कई बार पूछताछ की है। जानकारों का मानना है कि ईओडब्ल्यू की रिपोर्ट आने के बाद अब पूर्व डीएम देवेंद्र पांडे पर कड़ी कार्रवाई होना तय माना जा रहा है।

unnao station unnao station (social media)

क्या है स्कूलों का कंपोजिट ग्रांट घोटाला

उत्तर प्रदेश के प्राथमिक विद्यालयों में जरूरी सामानों की खरीद के लिए शासन की ओर से कंपोजिट ग्रांट जारी की जाती है। विद्यालयों में पढ़ने वाले विद्यार्थियों की संख्या के आधार पर कंपोजिट ग्रांट का निर्धारण होता है इस निधि को जारी करने का मकसद विद्यालयों में छोटी मोटी जरूरत की वस्तुओं की स्थानीय स्तर पर खरीद करना है जिससे विद्यालयों में पठन-पाठन सुचारू रूप से चल सके। इस निधि को विद्यालय के प्रधानाचार्य के विवेक पर छोड़ा गया है लेकिन उन्नाव समेत उत्तर प्रदेश के दर्जनों जिलों में कंपोजिट ग्रांट घोटाला किया गया।

सपा के विधान परिषद सदस्य सुनील सिंह साजन ने सदन में इस घोटाले के सुबूत रखें

समाजवादी पार्टी के विधान परिषद सदस्य सुनील सिंह साजन ने सदन में इस घोटाले के सुबूत रखें और उन्होंने बताया कि कंपोजिट ग्रांट की बंदर बांट करने के लिए अधिकारियों ने विद्यालय प्रधानाचार्य पर अनुचित दबाव बनाया और जबरन उन वस्तुओं की खरीद कराई गई जिनकी स्कूल को जरूरत नहीं थी। जिन वस्तुओं की खरीद हुई उनके भी दाम बाजार मूल्य से कई गुना ज्यादा रखे गए।

यही इतना नहीं उन्नाव के एक विद्यालय में जो सामान ₹5000 में खरीदा गया वही सामान दूसरे विद्यालय में 25 से ₹30000 में खरीदा गया। मसलन पेंसिल भी 200 से ₹300 के बीच में खरीदी गई । कंपोजिट ग्रांट से उन्नाव के 2305 प्राइमरी,832 जूनियर स्कूलों में खरीददारी की गई है। कुर्सी,मेज,स्टेशनरी,खेल का सामान खरीदने के लिए 9.73 करोड़ रुपये खर्च किए गए और पूरे पैसे का घोटाला कर दिया गया।

साजन ने इस घोटाले में भाजपा नेताओं के भी शामिल होने की बात कही

जांच में भाजपा नेताओं को बचाने का आरोप समाजवादी पार्टी के विधान परिषद सदस्य सुनील सिंह साजन ने विधान परिषद में कंपोजिट ग्रांट घोटाला किए जाने की जानकारी दी। उसी समय उन्होंने इस घोटाले में भाजपा नेताओं के भी शामिल होने की बात कही। पूर्वांचल के भाजपा नेता की फर्म की संलिप्तता की जांच कराए जाने की मांग उठाई।

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इसके बावजूद ईओडब्ल्यू की जांच में पूर्व डीएम को दोषी बताया गया है। विधान परिषद सदस्य सुनील सिंह साजन का आरोप है कि जांच में जानबूझ कर भाजपा नेताओं को बचाया गया है। किसी भी सरकारी अधिकारी में अकेले घोटाला करने का साहस नहीं है जब तक उसे राजनीतिक संरक्षण ना प्राप्त हो। उन्होंने कहा कि इस मामले की जांच अगर विधान परिषद की जांच समिति करती तो घोटाले बाजों के चेहरे बेनकाब हो जाते।

अखिलेश तिवारी

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