TRENDING TAGS :
यहां क्यों गए गांधी! बड़ा दिलचस्प था ये दौरा, तभी दोबारा सोचा ऐसा
साबरमती के संत के नाम से विख्यात महात्मा गांधी का गहरा नाता शिराजे ए हिन्द के नाम से पहचान रखने वाले जनपद जौनपुर से रहा इसी लिए स्वतंत्रता आन्दोलन के समय उसे गति देने के लिए अनजे जीवन में दो बार जनपद की सरजमीं पर अपने कदम रखे और यहां की आवाम को संबोधित कर अपना संदेश दिया।
कपिल देव मौर्य
उत्तर प्रदेश के जनपद जौनपुर से साबरमती के संत महात्मा गांधी से गहरा लगाव रहा है तभी तो आजादी के आन्दोलन को गति देने के लिए गांधी जी दो बार जनपद की सरजमीं पर अपना कदम रखा था।
जौनपुर: साबरमती के संत के नाम से विख्यात महात्मा गांधी का गहरा नाता शिराजे ए हिन्द के नाम से पहचान रखने वाले जनपद जौनपुर से रहा इसी लिए स्वतंत्रता आन्दोलन के समय उसे गति देने के लिए अनजे जीवन में दो बार जनपद की सरजमीं पर अपने कदम रखे और यहां की आवाम को संबोधित कर अपना संदेश दिया। साथ ही स्वतंत्रता आन्दोलन के सिपाहियो को संघर्ष के लिए प्रेरित किया।
ये भी देखें : इसरो में हड़कंप! वैज्ञानिक की हुई हत्या, मचा बवाल
जब गांधी जी ने निमंत्रण सहर्ष स्वीकार किया
यहां बता दे कि स्वतंत्रता आन्दोलन के समय देश को आजाद कराने के लिए जब गांधी जी देश का दौरा कर रहे थे उन्ही दिनो जनवरी 1921 को पटना में आयोजित अधिवेशन में जौनपुर से स्वतंत्रता आन्दोलन के सिपाही रामेश्वर प्रसाद सिंह ( जो अब इस दुनियां में नहीं हैं ) ने गांधी जी से जौनपुर आने का निमंत्रण दिया, गांधी जी ने निमंत्रण सहर्ष स्वीकार किया और पहली बार 10 फरवरी 1921 को काशी से लखनऊ जाते समय जिले के भंडारी रेलवे स्टेशन पर उतरे और वहीं पर स्थित प्लेटफार्म नंबर एक पर एक बड़ी जनसभा को सम्बोधित किया।
उस जनसभा में गांधी जी ने महिलाओ को आत्म निर्भर बनाने के लिए चरखा चला कर सूत कातने का मंत्र दिया साथ ही वहीं सभा में बच्चो को शिक्षित बनने के लिए ’पलो’ ’बढ़ो और पढ़ो’ का नारा दिया था। इसके बाद वहां से चलकर पहली बार स्वतंत्रता संग्राम सेनानी राधा मोहन महरोत्रा के घर आकर रूके थे। इसका प्रमाण हिन्दी भवन के परिसर में स्वतंत्रता सेनानी के प्रतिमा पर लगे शिलापट से मिलता है।
ये भी देखें : इमरान क्या कर बैठा! खुद के देश के साथ इतना बड़ा धोखा, पाकिस्तान तो खत्म
गांधी के आगमन के बाद जिले के स्वतंत्रता सेनानीयों ने भारत को आजादी दिलाने के लिए काफी बढ़ चढ़ कर हिस्सेदारी निभाया इससे गांधी जी का लगाव इस जनपद से और भी बढ़ गया। इसके बाद गांधी जी 2 अक्टूबर 1929 को दूसरी बार जनपद जौनपुर आये और इस बार स्वतंत्रता संग्राम सेनानी रहे स्व. रामेश्वर प्रसाद सिंह के घर पर रूके और वहीं पर अपना जन्म दिन भी मनाया ऐसा स्व. रामेश्वर प्रसाद जी के आवास पर लगे एक शिलापट से प्रमाणित होता है।
स्व. रामेश्वर प्रसाद की विधवा जिनकी आयु 100 वर्ष से अधिक हो चुकी है बताती है कि-
इस शिलापट पर गांधी जी सहित देश के तमाम स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों जैसे मोतीलाल, जवाहर लाल नेहरू जैसी महान बिभूतियों को सव. रामेश्वर प्रसाद के घर पर रूकने का जिक्र वर्णित है इसके बाबत स्व. रामेश्वर प्रसाद की विधवा जिनकी आयु 100 वर्ष से अधिक हो चुकी है बताती है कि जन्म दिन मनाने के बाद यहीं पर रात्रि विश्राम किये और यहीं परिसर में एक जनसभा को सम्बोधित किया इस बार भी गांधी जी ने महिलाओ को आत्म निर्भर बनाने का मंत्र दिया और कहा कि देश की महिलायें आत्म निर्भर बनेगी तो देश तरक्की कर सकेगा।