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गायत्री को राहत: IPS अमिताभ ठाकुर को दुष्कर्म मामले में फंसाने संबंधी पुनरीक्षण याचिका स्पेशल कोर्ट से खारिज

आईपीएस अधिकारी अमिताभ ठाकुर और उनकी पत्नी डॉ नूतन ठाकुर को दुष्कर्म मामले में फर्जी तरीके से फंसाने के आरोपी पूर्व मंत्री गायत्री प्रजापति को स्पेशल कोर्ट से राहत मिल गई है।

Newstrack
Published on: 22 Sep 2020 12:17 PM GMT
गायत्री को राहत: IPS अमिताभ ठाकुर को दुष्कर्म मामले में फंसाने संबंधी पुनरीक्षण याचिका स्पेशल कोर्ट से खारिज
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गायत्री को राहत: IPS अमिताभ ठाकुर को दुष्कर्म मामले में फंसाने संबंधी पुनरीक्षण याचिका स्पेशल कोर्ट से खारिज (social media)

लखनऊ: आईपीएस अधिकारी अमिताभ ठाकुर और उनकी पत्नी डॉ नूतन ठाकुर को दुष्कर्म मामले में फर्जी तरीके से फंसाने के आरोपी पूर्व मंत्री गायत्री प्रजापति को स्पेशल कोर्ट से राहत मिल गई है। सुबूत के अभाव में अदालत ने मुकदमे में पुनरीक्षण याचिका को खारिज कर दिया है।

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पूर्व मंत्री गायत्री प्रजापति पर फर्जीवाड़ा करने और गंभीर अपराध की साजिश का मुकदमा चल रहा

गाजियाबाद की एक महिला ने पिछली सरकार के कार्यकाल में पूर्व मंत्री गायत्री प्रजापति के इशारे पर आईपीएस अधिकारी अमिताभ ठाकुर पर दुष्कर्म का और उनकी पत्नी व आरटीआई एक्टिविस्ट डॉ नूतन ठाकुर पर सहयोग करने का आरोप लगाया था। इस मामले में आईपीएस अमिताभ ठाकुर और उनकी पत्नी की ओर से अदालत में जो साक्ष उपलब्ध कराए गए उसके आधार पर पूर्व मंत्री गायत्री प्रजापति पर फर्जीवाड़ा करने और गंभीर अपराध की साजिश का मुकदमा चल रहा है।

थाना गोमतीनगर में दर्ज इस मुकदमे में नूतन ने उन्हें और उनके पति को महिला आयोग के सदस्यों की सहायता से फर्जी फंसाने के प्रयास का आरोप लगाया था जिसपर पुलिस ने 13 जुलाई 2015 को अंतिम रिपोर्ट लगा दी । सीजेएम ने 22 दिसंबर 2015 को मुकदमे की सुनवाई करते हुए पुलिस की अंतिम रिपोर्ट ख़ारिज कर दी और मामले की पुनार्विवेचना के आदेश दिए । जिसके बाद पुलिस ने गायत्री प्रजापति के खिलाफ धारा 467, 468, 471, 420, 203, 211 व 120बी आईपीसी में आरोपपत्र भेजा था।

Gayatri Prasad Prajapati Gayatri Prasad Prajapati (social media)

पुलिस के नए आरोप पत्र का संज्ञान लेते हुए सीजेएम लखनऊ ने 31 जुलाई 2017 को कहा था कि केस की पत्रावली और इस केस के समस्त केस डायरी से उनके विरुद्ध धारा 467, 468, 471, 420, 203 आईपीसी का अपराध साबित नहीं होता है। ऐसे में अदालत ने मात्र धारा 211 व 120बी आईपीसी के आधार पर मुकदमा चलाने की अनुमति दी थी।

प्रदेश में सपा सरकार जाने के बाद आई योगी सरकार ने इस फैसले को सत्र न्यायालय में चुनौती दी । पुनरीक्षण याचिका की सुनवाई विशेष न्यायाधीश एमपी एमएलए पवन कुमार राय ने की और सरकार के अनुरोध को स्वीकार करने से मना कर दिया।

स्पेशल कोर्ट ने कहा कि पुनरीक्षण वाद में सरकार की ओर से दायर किये गए पुनरीक्षण वाद में दम नहीं है

स्पेशल कोर्ट ने कहा कि पुनरीक्षण वाद में सरकार की ओर से दायर किये गए पुनरीक्षण वाद में दम नहीं है। कोर्ट ने कहा कि सीजेएम के स्तर पर आदेश जबकि आ गया तो मुकदमे की एफआईआर में लगाये गए आरोपों तथा विवेचक की विवेचना में संकलित साक्ष्य के आधार पर किया गया था और उस आदेश में कोई अशुद्धता या त्रुटि नहीं है। अतः स्पेशल कोर्ट ने सीजेएम कोर्ट के आदेश में कोई हस्तक्षेप की आवश्यकता नहीं होने के कारण पुनरीक्षण वाद को ख़ारिज करते हुए सीजेएम के आदेश दिनांक 31 जुलाई 2017 को सही करार दिया।

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इस प्रकार अब गायत्री प्रजापति के खिलाफ इस मामले में मात्र धारा 211 व 120बी आईपीसी में ही मुक़दमा चलेगा। मामले के जानकारों के अनुसार समाजवादी पार्टी की सरकार रहने के दौरान ही पूरे मामले की जांच में लीपापोती हुई ऐसे में पुलिस की ओर से अदालत में ऐसे साक्ष्य उपलब्ध नहीं कराया जा सके जो गायत्री प्रजापति को कठोर दंड दिलाने में सहायक बने। योगी सरकार आने के बाद विशेष पुनरीक्षण याचिका लाई गई लेकिन अब कोर्ट ने तथ्यों के अभाव में इसे भी खारिज कर दिया है।

अखिलेश तिवारी

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