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Ghosi Assembly By Elections 2023: उपचुनाव बना अखिलेश के लिए प्रतिष्ठा की जंग, मैनपुरी के बाद यहां करेंगे चुनाव प्रचार
Ghosi Assembly By Elections 2023: मैनपुरी के उपचुनाव में पत्नी डिंपल यादव के प्रत्याशी होने के कारण तो अखिलेश यादव ने जमकर प्रचार किया था मगर वे आजम खान और धर्मेंद्र यादव के चुनाव क्षेत्र में प्रचार करने के लिए नहीं पहुंचे थे।
Ghosi Assembly By Elections 2023: उत्तर प्रदेश के घोसी विधानसभा क्षेत्र में हो रहे उपचुनाव में भाजपा और समाजवादी पार्टी के बीच कड़ा मुकाबला हो रहा है। समाजवादी पार्टी के मुखिया और उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने इस उपचुनाव को अपने प्रतिष्ठा की जंग बना लिया है। यही कारण है कि रामपुर और आजमगढ़ में हुए उपचुनावों में प्रचार से दूर रहने वाले अखिलेश यादव घोसी के सियासी अखाड़े में अपनी पार्टी के प्रत्याशी सुधाकर सिंह की चुनावी संभावनाओं को मजबूत बनाने के लिए चुनाव प्रचार करेंगे।
मैनपुरी के उपचुनाव में पत्नी डिंपल यादव के प्रत्याशी होने के कारण तो अखिलेश यादव ने जमकर प्रचार किया था मगर वे आजम खान और धर्मेंद्र यादव के चुनाव क्षेत्र में प्रचार करने के लिए नहीं पहुंचे थे। इन दोनों करीबियों के चुनाव प्रचार से दूर रहने वाले अखिलेश यादव मंगलवार को घोसी विधानसभा क्षेत्र में चुनाव प्रचार के लिए जाएंगे। सियासी जानकारों का मानना है कि इससे साफ है कि अखिलेश यादव 2024 के लोकसभा चुनाव से पहले इस उपचुनाव से बड़ा संदेश देने की कोशिश में जुटे हुए हैं।
सपा-भाजपा के बीच हो रहा सीधा मुकाबला
घोसी विधानसभा सीट पर हो रहे उपचुनाव में सपा और भाजपा के बीच सीधा मुकाबला हो रहा है। कांग्रेस और बसपा प्रत्याशियों के चुनाव मैदान में न होने से यहां का उपचुनाव काफी दिलचस्प हो गया है। कांग्रेस ने शनिवार को घोसी उपचुनाव में समाजवादी पार्टी के प्रत्याशी सुधाकर सिंह को समर्थन देने का बड़ा ऐलान किया।
कांग्रेस पार्टी के नए प्रदेश अध्यक्ष अजय राय ने कहा कि समाजवादी पार्टी और कांग्रेस दोनों विपक्षी दलों के गठबंधन इंडिया का हिस्सा हैं और इसलिए कांग्रेस ने सपा को समर्थन देने का फैसला किया है। उन्होंने पार्टी के सभी कार्यकर्ताओं से सपा प्रत्याशी को समर्थन देने और चुनाव प्रचार में जुटने की अपील भी की। अपना दल कमेरावादी ने भी उपचुनाव में सपा प्रत्याशी को समर्थन देने की घोषणा की है।
विपक्षी गठबंधन इंडिया की ताकत का चलेगा पता
घोसी उपचुनाव के नतीजे से विपक्षी दलों के गठबंधन इंडिया की ताकत का मूल्यांकन भी किया जाएगा। यही कारण है कि इंडिया में शामिल विपक्षी दलों ने इस उपचुनाव में पूरी ताकत झोंक दी है। 2022 में हुए विधानसभा चुनाव के दौरान समाजवादी पार्टी ने घोसी में भाजपा से आए दारा सिंह चौहान को उतारा था। दारा सिंह चौहान चुनाव जीतने में तो कामयाब रहे मगर बाद में उन्होंने पाला बदलते हुए एक बार फिर अपनी पुरानी पार्टी बीजेपी का दामन थाम लिया।
समाजवादी पार्टी ने अब दारा सिंह चौहान के मुकाबले अपने पूर्व विधायक सुधाकर सिंह को सियासी अखाड़े में उतार कर एक बड़ा गेम प्लान तैयार किया है। इस उपचुनाव को जीतकर सपा 2024 के लोकसभा चुनाव के लिए मजबूत सियासी जमीन तैयार करना चाहती है। इसीलिए घोसी का उपचुनाव सपा के लिए प्रतिष्ठा की जंग बन गया है।
दूसरी ओर भाजपा को भी इस बात का बखूबी एहसास है कि 2024 से पहले इस उपचुनाव से बड़ा सियासी संदेश निकलेगा। इस कारण भाजपा ने भी इस उपचुनाव में पूरी ताकत लगाकर सपा को पटखनी देने की रणनीति तैयार की है।
इस कारण चुनाव प्रचार के लिए जा रहे सपा मुखिया
सपा के टिकट पर चुनाव जीतने के बाद दारा सिंह चौहान के पालाबदल ने अखिलेश यादव को करारा झटका दिया है। अब अखिलेश यादव इस उपचुनाव में दारा सिंह चौहान की हार सुनिश्चित करके उनकी ओर से दिए गए झटके का हिसाब बराबर करना चाहते हैं। इसी कारण में घोसी वे उपचुनाव में प्रचार करने के लिए उतर रहे हैं।
यहां यह उल्लेखनीय है कि अखिलेश यादव ने मैनपुरी के उपचुनाव में तो हिस्सा लिया था मगर रामपुर और आजमगढ़ के उपचुनाव से उन्होंने दूरी बना ली थी। आजम खान और धर्मेंद्र यादव के चुनाव प्रचार से दूर रहने वाले अखिलेश यादव का घोसी सीट पर उपचुनाव में प्रचार के लिए जाना सियासी नजरिए से काफी महत्वपूर्ण माना जा रहा है।
हिसाब बराबर करना चाहते हैं अखिलेश
सपा मुखिया अखिलेश यादव दारा सिंह चौहान से ही नहीं बल्कि सुभासपा मुखिया ओमप्रकाश राजभर से भी हिसाब चुकाना चाहते हैं। राजभर ने अखिलेश यादव को झटका देते हुए भाजपा से हाथ मिला लिया है। घोसी के इलाके में राजभर की मजबूत पकड़ मानी जाती है और इसी कारण राजभर भी घोसी में डेरा डालकर दारा सिंह चौहान की जीत सुनिश्चित करने की कोशिश कर रहे हैं। घोसी में अखिलेश यादव की जनसभा को दारा सिंह चौहान और राजभर से हिसाब चुकाने की कोशिश के रूप में देखा जा रहा है।
दलित और ओबीसी मतों के लिए तीखी जंग
घोसी के उपचुनाव में बहुजन समाज पार्टी का प्रत्याशी न होने के कारण दलित और ओबीसी मतदाताओं का समर्थन पाने की जंग काफी तीखी हो गई है। सपा और भाजपा दोनों दलों की ओर से दलित और ओबीसी मतदाताओं को गोलबंद करने के प्रयास किए जा रहे हैं। समाजवादी पार्टी की ओर से इस उपचुनाव को स्थानीय बनाम बाहरी बनाने की कोशिश भी की जा रही है जिससे भाजपा और दारा सिंह चौहान बैकफुट पर दिखाई दे रहे हैं।
घोसी विधानसभा क्षेत्र में सर्वाधिक करीब 90 हजार दलित मतदाता हैं। इनमें चमार, जाटव, धोबी, खटीक, पासी मतदाता अधिक हैं। क्षेत्र में करीब 95 हजार मुस्लिम मतदाता बताए जाते हैं। इनमें से 50 हजार से अधिक अंसारी हैं। भाजपा ने इन दोनों वोट बैंक पर अपनी नज़रें गड़ा रखी है। मुस्लिम मतदाताओं का समर्थन सपा प्रत्याशी को मिलने की उम्मीद जताई जा रही है मगर दलित वोटो को लेकर भाजपा और सपा के बीच तीखी जंग दिख रही है।
भाजपा को मोदी-योगी के मॉडल पर भरोसा
घोसी के उपचुनाव में जहां सपा जातीय समीकरण साधकर भाजपा प्रत्याशी को घेरने की कोशिश में जुटी हुई है तो दूसरी ओर भाजपा नेताओं को पीएम नरेंद्र मोदी और सीएम योगी आदित्यनाथ के विकास के मॉडल पर पूरा भरोसा है। भाजपा नेताओं को भरोसा है कि क्षेत्र की जनता विकास के मॉडल को समर्थन देते हुए भाजपा प्रत्याशी दारा सिंह चौहान की जीत सुनिश्चित करेगी।
इसके साथ ही पार्टी नेताओं को ओम प्रकाश राजभर और संजय निषाद की ओर से की जा रही मेहनत का नतीजा दिखने की भी उम्मीद है। पार्टी नेताओं की ओर से क्षेत्र में भाजपा प्रत्याशी के पक्ष में चुनावी बयार बहने का दावा किया जा रहा है।
स्याही फेंकने की घटना से गरमाया माहौल
उपचुनाव के दौरान सपा और भाजपा दोनों दलों की ओर से पूरी ताकत लगाई गई है और अब सबकी निगाहें चुनावी नतीजे पर टिकी हुई हैं। उपचुनाव के लिए मतदान 5 सितंबर को होने वाला है मगर उससे पहले भाजपा प्रत्याशी दारा सिंह चौहान पर स्याही फेंकने की घटना से भी सियासी माहौल गरमाया हुआ है। इस घटना को लेकर दोनों दलों की ओर से एक-दूसरे पर आरोप प्रत्यारोप लगाए गए।
भाजपा प्रत्याशी दारा सिंह चौहान का कहना है कि सपा नेताओं को अपनी हार सुनिश्चित दिख रही है और इसीलिए इस तरह के हथकंडे का सहारा लिया जा रहा है। सपा मुखिया अखिलेश यादव मंगलवार को क्षेत्र में पहली बार चुनावी सभा करने के लिए पहुंचेंगे और अब यह देखने वाली बात होगी कि वे पार्टी प्रत्याशी की चुनावी संभावनाओं को मजबूत बनाने में कहां तक कामयाब हो पाते हैं। सपा मुखिया के बाद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भी 2 सितंबर को इस उपचुनाव के लिए चुनावी जनसभा करने वाले हैं।