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Ghosi By Election 2023: घोसी में ओपी राजभर ने इसलिए लगा रखी है पूरी ताकत, चुनावी नतीजे पर टिकी है मंत्री पद पर ताजपोशी
Ghosi By Election 2023: घोसी का उपचुनाव सिर्फ बीजेपी या सपा के लिए प्रतिष्ठा की जंग नहीं है बल्कि इस चुनाव से सुभासपा मुखिया ओमप्रकाश राजभर का सियासी कद भी तय होने वाला है।
Ghosi By Election 2023: देश में अगले साल होने वाले लोकसभा चुनाव से पहले घोसी विधानसभा सीट पर होने वाला उपचुनाव सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच प्रतिष्ठा की जंग बन गया है। चुनावी अखाड़े में सपा और भाजपा के बीच सीधा मुकाबला हो रहा है। इस चुनाव से बड़ा सियासी संदेश निकलने वाला है और इसी कारण दोनों खेमों ने पूरी ताकत लगा रखी है। सपा छोड़कर भाजपा के टिकट पर चुनावी मैदान में उतरे दारा सिंह चौहान का सियासी भविष्य भी घोसी के चुनावी अखाड़े में तय होगा।
दारा सिंह चौहान (Dara Singh Chauhan News) के साथ ही सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी (सुभासपा) के मुखिया ओमप्रकाश राजभर (OM Prakash Rajbhar News) के लिए भी यह यूपी चुनाव सियासी नजरिए से काफी अहम हो गया है। भाजपा से हाथ मिलाने के बाद अभी तक प्रदेश में कैबिनेट मंत्री पद पर उनकी ताजपोशी नहीं हो सकी है। हालांकि इस बाबत काफी दिनों से अटकलें लगाई जाती रही हैं।
सियासी जानकारों का कहना है कि घोसी के चुनावी नतीजे पर ही राजभर की मंत्री पद पर ताजपोशी टिकी हुई है। यही कारण है कि राजभर और उनकी पार्टी के अन्य नेताओं ने दारा सिंह चौहान की जीत सुनिश्चित करने के लिए कई दिनों से घोसी चुनाव क्षेत्र में डेरा डाल रखा है।
नतीजे से तय होगा राजभर का मंत्री पद
घोसी का उपचुनाव सिर्फ बीजेपी या सपा के लिए प्रतिष्ठा की जंग नहीं है बल्कि इस चुनाव से सुभासपा मुखिया ओमप्रकाश राजभर का सियासी कद भी तय होने वाला है। यही कारण है कि इस उपचुनाव का नतीजा राजभर के सियासी भविष्य के लिए काफी अहम माना जा रहा है। सपा से गठबंधन तोड़ने और एनडीए में शामिल होने के बाद राजभर के कैबिनेट मंत्री बनने को लेकर काफी कयासबाजी चली मगर अभी तक इस दिशा में कम नहीं उठाया गया है।
माना जा रहा है कि चुनावी नतीजे से ही मंत्री पद पर राजभर की ताजपोशी टिकी हुई है। हालांकि सपा गठबंधन में शामिल रहने के दौरान राजभर पीएम मोदी और सीएम योगी पर सीधा निशाना साधते रहे हैं मगर अब उनके सुर बदले हुए नजर आ रहे हैं। यदि उपचुनाव के दौरान भाजपा प्रत्याशी दारा सिंह चौहान जीत हासिल करने में कामयाब रहे तो मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ पर राजभर को जल्द मंत्री बनाने के लिए दबाव बढ़ जाएगा।
2024 के चुनाव में तय होगी हिस्सेदारी
घोसी उपचुनाव का नतीजा राजभर के लिए इसलिए भी महत्वपूर्ण हो गया है क्योंकि इसके आधार पर ही अगले साल होने वाले लोकसभा चुनाव के दौरान लोकसभा सीटों में सुभासपा की हिस्सेदारी तय होगी। एनडीए में शामिल होने के बाद भाजपा के शीर्ष नेतृत्व के साथ अपनी पहली बैठक के दौरान राजभर ने पूर्वांचल की करीब दर्जन भर सीटों पर अपना बड़ा वोट बैंक होने का दावा किया था। उनका कहना था कि राजभर बिरादरी के मतदाता पूर्वांचल की कई सीटों पर हार-जीत में निर्णायक भूमिका अदा करते रहे हैं। उनकी ओर से विशेष रूप से गाजीपुर और घोसी लोकसभा सीटों पर विशेष रूप से दबाव बनाया गया था।
गाजीपुर लोकसभा सीट पर वे अपने बेटे को चुनावी अखाड़े में उतारना चाहते हैं। राजभर ने दावा किया था कि यदि इन दो लोकसभा सीटों को सुभासपा के खाते में दिया गया तो दोनों सीटों पर भाजपा की हार का बदला लेने में कामयाबी मिल सकती है।
राजभर मतदाताओं पर साबित होगी पकड़
सुभासपा मुखिया लंबे समय से खुद को पूर्वांचल में पिछड़ों के बड़े नेता के रूप में प्रोजेक्ट करते रहे हैं। उनका यह अभी दावा है कि राजभर के साथ ही पूर्वांचल की अन्य पिछड़ी जातियों के मतदाताओं पर भी उनकी मजबूत पकड़ है। घोसी विधानसभा सीट पर पिछड़ी जातियों में राजभर मतदाताओं की संख्या सबसे ज्यादा है। मुस्लिम और दलितों के बाद राजभर मतदाताओं की संख्या तीसरे नंबर पर है। ऐसे में घोसी में करीब पचास हजार राजभर मतदाता भाजपा प्रत्याशी दारा सिंह चौहान और समाजवादी पार्टी के प्रत्याशी सुधाकर सिंह का भविष्य तय करने में बड़ी भूमिका निभाएंगे। इस कारण घोसी विधानसभा उपचुनाव के दौरान राजभर मतदाताओं पर सुभासपा मुखिया ओमप्रकाश राजभर की पकड़ की अग्निपरीक्षा भी होगी। यदि भाजपा प्रत्याशी दारा सिंह चौहान जीत हासिल करने में कामयाब रहे तो भाजपा हाईकमान के सामने राजभर की आवाज को और मजबूती मिलेगी।
राजभर के दावे की होगी परीक्षा
ओमप्रकाश राजभर के लिए यह चुनाव इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि 2022 के विधानसभा उपचुनाव में पूर्वांचल की सीटों पर सपा गठबंधन की जीत के बाद ओमप्रकाश राजभर ने इस जीत का श्रेय खुद लूटने का प्रयास किया था। सपा ने सहयोगी दलों के साथ मिलकर गाजीपुर की सातों सीटों पर जीत हासिल की थी जबकि बलिया में सहयोगी दलों के साथ सपा को चार सीटों पर जीत हासिल हुई थी। आजमगढ़ की सभी दसों सीटों पर सपा ने जीत हासिल करते हुए अपनी ताकत दिखाई थी जबकि मऊ में सपा ने सहयोगी दलों के साथ मिलकर चार में से तीन सीटों पर जीत हासिल की थी।
सपा गठबंधन की इस बड़ी जीत के बाद ओमप्रकाश राजभर ने दावा किया था कि उनकी वजह से सपा गठबंधन को पूर्वांचल में इतनी बड़ी जीत हासिल हुई है। समाजवादी पार्टी ने घोसी उपचुनाव में पूरी ताकत यूं ही नहीं लगा रखी है।
दरअसल सपा मुखिया अखिलेश यादव यह साबित करने की कोशिश में जुटे हुए हैं कि राजभर के बिना भी समाजवादी पार्टी पूर्वांचल में पहले की तरह ताकतवर बनी हुई है। इसीलिए पूरे यादव कुनबे ने घोसी के चुनाव क्षेत्र में डेरा डाल रखा है। इस उपचुनाव के दौरान सपा मुखिया अखिलेश यादव दारा सिंह चौहान और ओमप्रकाश राजभर दोनों से अपना हिसाब चुकाना चाहते हैं।