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ग्लोबल विलेज: 21वीं सदी में लोक प्रशासन की सबसे बड़ी चुनौती

प्रोफेसर मनोज दीक्षित ने कहा कि लोक प्रशासन एक नया विषय है मगर यह हजारों सालो से प्रयोग में रहा है। आज हमने लोक प्रशासन को एक विषय के तौर पर पढ़ने की गंभीरता को समझा है, इसके अभ्यास और इसके अध्ययन के बीच जो अंतर है, यही 21वीं सदी में लोक प्रशासन की सबसे बड़ी चुनौती है।

SK Gautam
Published on: 4 Feb 2020 2:35 PM GMT
ग्लोबल विलेज: 21वीं सदी में लोक प्रशासन की सबसे बड़ी चुनौती
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लखनऊ: बाबासाहेब भीमराव अम्बेडकर विश्वविद्यालय, लखनऊ के लोक प्रशासन विभाग द्वारा आज पब्लिक एडमिनिस्ट्रेशन इन 21 सेंचुरी विषय पर एक विशेष व्याख्यान का आयोजन प्रोफेसर रिपु सूदन सिंह, विभागाध्यक्ष, लोक प्रशासन विभाग और डीन एसएएस द्वारा किया गया। इस अवसर के मुख्य अतिथि, प्रोफेसर मनोज दीक्षित, कुलपति, डॉ राम मनोहर लोहिया अवध विश्वविद्यालय, फैजाबाद रहे।

इस अवसर पर प्रोफेसर रिपु सुदन सिंह ने बताया कि हम किस तरह एक ग्लोबल विलेज में रह रहे हैं, जहां गरीबी, अशिक्षा, सार्वजनिक वितरण प्रणाली, भ्रष्टाचार आदि से जुड़ी कई चुनौतियां हमारे सामने है, जिसमें केवल नारे लगाने से कोई फायदा नहीं होगा। उन्होंने कहा कि 20 वीं सदी के वादों को 21 वीं सदी के वैश्वीकृत दुनिया में पूरा करने की आवश्यकता है।

21वीं सदी में लोक प्रशासन की सबसे बड़ी चुनौती

प्रोफेसर मनोज दीक्षित ने कहा कि लोक प्रशासन एक नया विषय है मगर यह हजारों सालो से प्रयोग में रहा है। आज हमने लोक प्रशासन को एक विषय के तौर पर पढ़ने की गंभीरता को समझा है, इसके अभ्यास और इसके अध्ययन के बीच जो अंतर है, यही 21वीं सदी में लोक प्रशासन की सबसे बड़ी चुनौती है।

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उन्होंने बताया कि हम पर यूरोपीय विचार और व्यवहार हावी हैं जो कि भारत जैसे देश की प्रगति में सबसे बड़ा बाधक है। हमे हमारी संस्कृति और यहां के लोगों के विचारों को समझना होगा। हम जिस पांच ट्रिलियन अर्थव्यवस्था के इच्छुक हैं, उसे ज्ञान आधारित होना चाहिए न कि केवल डॉलर आधारित।

21वीं सदी में हमने ज्ञान युग में प्रवेश किया है और सबसे महत्वपूर्ण सवाल यह है कि, “क्या हमारे पास समाज की समस्याओं को हल करने के लिए पर्याप्त ज्ञान है”। उन्होंने प्रगति ने के लिए मजबूत सोच की आवश्यकता पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि आपको ज्ञान का निर्माण, संरक्षण और संचरण करना होगा।

हम अनेकता में एकता की विचारधारा के साथ चलने वाले हैं

लोक प्रशासन को व्यवहार में लाने से पहले हमे अपनी संस्कृति को समझना होगा। भारत की सांस्कृतिक प्रथाएं और लोकाचार, निश्चित रूप से लोक प्रशासन के अभ्यास को आकार देने में एक प्रमुख भूमिका निभाते हैं। हम अनेकता में एकता की विचारधारा के साथ चलने वाले हैं। राजनीति विज्ञान और लोक प्रशासन के बीच कोई प्रतिस्पर्धा नहीं है, बल्कि सामंजस्य है। राजनीति विज्ञान विचारों और नुस्खों का खजाना है जो लोक प्रशासन के अस्तित्व को मजबूर करता है।

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कार्यक्रम के अंत में डॉक्टर विभूति नारायण द्वारा सभी अतिथियों, विद्यार्थियों एवं कर्मचारियों को कार्यक्रम में उपस्थित होने के लिए धन्यवाद ज्ञापित किया गया। डॉक्टर सेफालिका द्वारा कार्यक्रम का संचालन किया गया।

SK Gautam

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