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कैंसर मरीजों पर आई आफत, 35 रुपये की जगह लिए जा रहे 5000 हजार
ब्रेकिथेरेपी मशीन चालू न करने के चलते सिर्फ चार माह में सैकड़ो कैंसर रोगियों को इलाज के लिए कही और जाना पड़ रहा है। जो काम बीआरडी मेडिकल कालेज के रेडियो थेरेपी कैंसर यूनिट में मात्र 35 रुपये में होता है। उसी के लिए कैंसर रोगियों को लगभग 5000 हजार रुपये खर्च करने पड़ रहे है।
गोरखपुर: ब्रेकिथेरेपी मशीन चालू न करने के चलते सिर्फ चार माह में सैकड़ो कैंसर रोगियों को इलाज के लिए कही और जाना पड़ रहा है। जो काम बीआरडी मेडिकल कालेज के रेडियो थेरेपी कैंसर यूनिट में मात्र 35 रुपये में होता है। उसी के लिए कैंसर रोगियों को लगभग 5000 हजार रुपये खर्च करने पड़ रहे है।
आखिर इसका जिम्मेदार कौन,पांच माह पहले जब सर्विस इंजीनियर आकर सबकुछ ठीक कर गया था तो फिर ब्रेकिथेरेपी मशीन क्यों नही चलाई।कही इसमें कोई चाल तो नही।मशीन जर्मनी की है,जिसको सर्विस किर्लोस्कर देता है।
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आपको बता दे कि रेडियो थेरेपी कैंसर यूनिट में लगभग ढाई साल पहले ब्रेकिथेरेपी मशीन मंगवाई गयी थी,जिसकी कीमत लगभग तीन करोड़ है। जर्मनी की कम्पनी बी.ई.बी.आई.बी. द्वारा मशीन भेजी गई और इंस्टलेशन भी उसका हो गया,फिर बीआरसी का लोचा पड़ा और कुछ दिन आदेश लेने में गुजर गया। पड़े पड़े ब्रेकिथेरेपी मशीन की बैटरी खराब हो गयी। जिसके लिए साल भर पहले सर्विस इंजीनियर की टीम आयी थी और बैटरी बदल दी थी। फिर भी मशीन से काम नही लिया गया और वह धूल फाकती रही।
मशीन में डाली गई लगभग 60 लाख रुपये की रेडियो एक्टिव पदार्थ इरीडियम की आधी उम्र खत्म हो चुकी है। क्योंकि मशीन काम ही नही कर रही है,इस दौरान सैकड़ो मरीज जो गले, मुह और बच्चेदानी का कैंसर से पीड़ित थे,उनको ब्रेकिथेरैपी की लिए बाहर का रास्ता दिखा दिया गया।
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बता दे कि मेडिकल कालेज में ब्रेकिथेरेपी कई फीस है मात्र 35 रुपये जबकि बाहर यही सिकाई लगभग 5 हजार रुपये में होती है।यह सब मेडिकल कालेज के प्राचार्य और इस मशीन को चलाने के लिए जिम्मेदार की सेटिंग के तहत ऐसा किया गया है। इसमें अच्छा खासा खेल हुआ है। 17 जुलाई 17 रेडियोथेरेपी कैंसर के यूनिट हेड द्वारा आचार्य फिजिसिस्ट एवम आर एस ओ ज्ञान चंद मौर्या को पत्र लिखा गया था कि एचडीआर ब्रेकिथेरेपी मशीन के संचालन में एक बाधा इन से अनुमति प्राप्त होना है।
जिसकी जिम्मेदारी केवल रेडिएशन अधिकारी को होती है। अगर अरबी से अनुमोदन प्राप्त कर लिया हैतो बिभाग को जानकारी दे।26 मई 18 को हेड ने प्राचार्य कोबपत्र दिया कि ब्रेकिथेरेपी मशीन के इंसतलेशन में कम्पनी द्वारा लापरवाही बरती ज रही है।
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इतना कुछ लिखापढ़ी के बाद भी जिम्मेदार कान में तेल ड़ालकर पड़े रहे जिसका नतीजा आज सामने है।सवाल यह उठता है कि मशीन रहने के बावजूद जिन सैकड़ों मरीज को सिकाई के लिए अपनी जेब कटवानी पड़ी उसका जिम्मेदार कौन।
बी आर डी मेडिकल कालेज के प्रधानाचार्य गणेश कुमार ने कहा कि मेडिकल कॉलेज पर ये आरोप लगा के कैंसर के पेशेंट को अन्य अस्पताल में भेजा जा रहा है और मेडिकल कॉलेज में कैंसर के पीड़ितों के लिए फिजियोथैरेपी से लेकर कोई भी व्यवस्था मुकम्मल नहीं है। इस बात को एक सिरे से खारिज करते हुए बीआरडी मेडिकल कॉलेज के प्रिंसिपल का कहना है, कि यह बीआरडी मेडिकल कॉलेज को बदनाम करने की कोशिश की जा रही है।
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कुछ शरारती तत्वों द्वारा, क्योंकि यहां पर इस तरह की कोई बात नहीं है। यहां पर हर दवाएं उपलब्ध हैं कैंसर के पेशेंट को यहां अच्छे से ट्रीटमेंट किया जा रहा है बीआरडी मेडिकल कॉलेज से एक भी पेशेंट को हनुमान पोद्दार नहीं भेजा गया है बल्कि हनुमान पोद्दार के तमाम पेशेंट बीआरडी मेडिकल कॉलेज आए हुए हैं और यहां पर उनका इलाज भी होता है इस मामले को लेकर के पत्र भी भेजा जा चुका है और जो भी इस तरह की गलतियां फैला रहा है उसके खिलाफ कड़ी से कड़ी कार्रवाई की जाएगी।
मरीज के परिजन गोविंद पासवान ने बताया कि हमारे भाई जो कैंसर से पीड़ित है,उनको हम मेडिकल कालेज में लेकर आये थे। उनका इलाज यही से चल रहा है। लेकिन मेडिकल कॉलेज के कर्मचारियों ने कहा कि यहां पर ब्रेकिथेरेपी मशीन खराब है। और आप अन्य जगह पर इनकी थेरपी कराए। अब हमको तो इलाज कराना ही है। तो किसी तरह से इलाज करा रहे हैं। आज अगर मेडिकल कॉलेज कि ब्रेकिथेरेपी मशीन चालू होती तो, कम दाम पर थेरेपी हो जाती।
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वही बिहार से अपने परिजन का इलाज कराने के लिए आए रवि ने बताया कि हमे दो दिन से दौड़ाया जा रहा है।यह कहकर की अभी मशीन की मरम्मत हो रही है, और आप 2 दिन बाद आइए,या कही और थेरपी करा लें,हमारे पास इतना पैसा नहीं है,की हम अन्य जगह पर थेरेपी कराए। इस लिए हम यहाँ पर दौड़ रहे है।यहाँ पर 35 रुपये में थेरपी हो जाता है। अन्य जगहो पर 5 हजार से अधिक रुपये लग रहे है।