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होली आते ही मुर्गे पर चढ़ा महंगाई का रंग, गोरखपुर में इतने बढ़ गए दाम
बर्ड फ्लू का खौफ खत्म होते ही मुर्गे का भाव फिर बढ़ गया है। सप्ताह भर पहले 120 रुपये प्रतिकिलो बिकने वाला मुर्गे का मीट 160 रुपये तक पहुंच गया है।
गोरखपुर: होली और वैवाहिक कार्यक्रमों में मुर्गें की मांग को देखते हुए मुर्गे पर भी महंगाई का रंग चढ़ गया है। सप्ताह भर पहले तक 120 रुपये प्रति किलो में बिकने वाला चिकेन 160 रुपये किलो पर पहुंच गया है। होली तक इसकी कीमतें 250 रुपये तक पहुंचने का अनुमान है। एक साल बाद पोल्ट्री उद्योग से जुड़े लोगों के खाते में मुनाफा आता दिख रहा है।
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बर्ड फ्लू का खौफ खत्म होते ही मुर्गे का भाव फिर बढ़ गया है
बर्ड फ्लू का खौफ खत्म होते ही मुर्गे का भाव फिर बढ़ गया है। सप्ताह भर पहले 120 रुपये प्रतिकिलो बिकने वाला मुर्गे का मीट 160 रुपये तक पहुंच गया है। पोल्ट्री फार्म संचालकों का कहना है कि होली तक कीमतें 250 रुपये प्रति किलो तक पहुंच सकती है। वहीं पोल्ट्री उद्योग से जुड़ी दवा और दाने की कंपनियां नये सिरे से संचालकों में उत्साह भरने में जुट गई हैं। सप्ताह भर पहले तक खड़ा मुर्गा जहां 75 से 80 रुपये प्रति किलो में बिक रहा था, वह गुरुवार को 93 से 95 रुपये प्रति किलो तक बिका।
तैयार मुर्गे की लागत 80 रुपये प्रति किलो आती है
पोल्ट्री फार्म संचालक जित्तन जायसवाल बताते हैं कि तैयार मुर्गे की लागत 80 रुपये प्रति किलो आती है। अब जब कीमतें 90 पार हुई हैं तो लंबे समय बाद लाभ की स्थिति दिख रही है। उम्मीद है कि होली तक कीमतें 250 रुपये तक पहुंच जाएं। कारोबारी संतोष श्रीवास्तव बताते हैं कि बर्ड फ्लू के खौफ में बिक्री प्रभावित हुई तो बच्चे कम पड़े हैं। ऐसे में होली और वैवाहिक सीजन में मारामारी दिखेगी। कीमतें काबू में नहीं आएंगी।
40 से 50 करोड़ का है कारोबार
गोरखपुर-बस्ती मंडल में करीब 40 से 50 करोड़ महीने का कारोबार है। कारोबार से जुड़े लोगों का दावा है कि पूर्वांचल की करीब 25 फीसदी आबादी प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से पोल्ट्री उद्योग से जुड़ी हुई है। गोरखपुर मंडल में ही 1500 से 2000 मुर्गी फार्म हैं। अकेले देवरिया जिले में 800 से अधिक पोल्ट्री फार्म हैं। गोरखपुर-बस्ती मंडल की करीब एक करोड़ आबादी इस कारोबार से जुड़ी हुई है।
रोज 5000 कुंतल मुर्गे की होती है खपत
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गोरखपुर और आसपास के जिलों में चिकेन की अच्छी डिमांड है। यहां से मुर्गा बिहार और नेपाल को भी भेजा जाता है। गोरखपुर में ही मुर्गे की करीब 2000 दुकानें हैं। जहां रोज करीब 5000 कुंतल मुर्गे की खपत हो जाती है। इसके साथ ही बर्ड फ्लू का खौफ खत्म होने से चिड़ियों का बाजार भी सजने लगा है। शहर के रायगंज में रोज हजारों का कारोबार होता है।
रिपोर्ट-पूर्णिमा श्रीवास्तव
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