गोरखपुर: बब्बर शेर और बाघ के अवशेष से चिड़ियाघर में लाएंगे हरियाली

पत्तों, फल और अन्य खाद पदार्थ को डाला जाएगा। जिसे यह प्लांट छोटे-छोटे टूकड़े में तब्दील कर देगा। उसके बाद इसे दूसरे टब में डाल दिया जाएगा जड़ा यह सड़क कर कम्पोस्ट खाद में तब्दील हो जाएगा।

suman
Published on: 13 Feb 2021 4:19 AM GMT
गोरखपुर: बब्बर  शेर और बाघ के अवशेष से चिड़ियाघर में लाएंगे हरियाली
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गोरखपुर: बर्बर शेर और बाघ के अवशेष से चिड़ियाघर में लाएंगे हरियाली

गोरखपुर: शहीद अशफाक उल्ला खॉ प्राणी उद्यान में मांसाहारी बर्बर शेर, बाघ से अवशेष से जैविक खाद बनाया जाएगा। इस खाद का इस्तेमाल उद्यान के पेड़ पौधों में किया जाएगा। वन, पर्यावरण एवं जलवायु परिवर्तन मंत्री दारा सिंह चौहान द्वारा इसका उद्घाटन करने के बाद प्रशासन इसे सक्रिय करने में जुट गया है। इसके लिए 1.03 करोड़ लाख रुपये से निर्मित किए गए प्लांट का उदघाटन किया।

खाद पदार्थ के निस्तारण के लिए कम्पोस्ट प्लांट

प्राणी उद्यान में लगाए गए पेड़ पौधों से गिरने वाले पत्तों और बाड़ों में रहने वाले वन्यजीव के आहार के रूप में इस्तेमाल होने वाले खाद पदार्थ के निस्तारण के लिए कम्पोस्ट प्लांट लगाया है। 350 से 500 किलोग्राम प्रति घंटा की क्षमता का गार्डेन एवं हार्टीक्लचर वेस्ट प्लांट लगा है। इस प्लांट में एकत्र किए गए पत्तों, फल और अन्य खाद पदार्थ को डाला जाएगा। जिसे यह प्लांट छोटे-छोटे टूकड़े में तब्दील कर देगा। उसके बाद इसे दूसरे टब में डाल दिया जाएगा जड़ा यह सड़क कर कम्पोस्ट खाद में तब्दील हो जाएगा।

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आर्गेनिक वेस्ट प्लांट लगाया

इसी तरह मांसाहारी वन्यजीव के प्लांट से निकलने वाले अपशिष्ट एवं खाद पदार्थ से भी खाद बनाई जाएगी। इसके लिए आर्गेनिक वेस्ट प्लांट लगाया है। इस प्लांट की क्षमता 1000 क्विंटल प्रति दिन की है। इस प्लांट में मांसाहारी वन्यजीव के बाड़ों से अपशिष्ट के रूप में निकलने वाले खाद पदार्थ मसलन, मांस, मछली, अण्डा और अन्य मांसाहारी खाद्य पदार्थ के अवशोष एकत्र कर डाल दिए जाएंगे। जहां ये आर्गेनिक कम्पोस्ट खाद में तब्दील हो जाएंगे। इन्हें भी सुखा कर बुरादा की तरह तब्दील कर लिया जाएगा। जरूरत के मुताबिक प्राणी उद्यान अपने ग्रीन बेल्ट, गार्डेन और लैंडस्केप एरिया में पेड़ पौधों की देखभाल में इस्तेमाल करेगा।

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इको फ्रैंडली होगा चिड़ियाघर

प्राणी उद्यान की कार्यदायी संस्था राजकीय निर्माण निगम के प्रोजेक्ट डीबी सिंह कहते हैं कि कम्पोस्ट रखने के लिए भी एक प्रोजेक्ट लगाया गया है। उन्होंने कहा कि इस कदम से न केवल प्राणी उद्यान पर्यावरण का संरक्षण करेगा बल्कि अपने कचरे से खाद बना कर स्वयं इस्तेमाल करेगा। उन्होंने उम्मीद जताई कि दूसरे भी इस प्रोजेक्ट से प्रेरणा लेंगे। पर्यावरण संरक्षण के लिए लोगों को इसे अपनाना चाहिए।

रिपोर्ट-पूर्णिमा श्रीवास्तव

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