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Gorakhpur University Row: क्या थी गोरखपुर यूनिवर्सिटी बवाल की वजह, क्यों पीटे गए कुलपति संग पुलिस वाले?
Gorakhpur University Row: भारतीय जनता पार्टी की छात्र ईकाई अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) के लड़कों ने यूनिवर्सिटी के अधिकारियों को दौड़ा-दौड़ा कर पीटा। इनमें कुलपति से लेकर रजिस्ट्रार तक शामिल हैं।
Gorakhpur University Row: मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के गृह जनपद गोरखपुर में शुक्रवार शाम को भारी बवाल हो गया। दीनदयाल उपाध्याय विश्वविद्यालय (डीडीयू) का परिसर छात्रों और पुलिस के बीच झड़प के कारण जंग के मैदान में तब्दील हो गया। सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी की छात्र ईकाई अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) के लड़कों ने यूनिवर्सिटी के अधिकारियों को दौड़ा-दौड़ा कर पीटा। इनमें कुलपति से लेकर रजिस्ट्रार तक शामिल हैं। बीच-बचाव करने आई पुलिस भी छात्रों के आक्रोश का शिकार बनी।
हालांकि, कई थानों की पुलिस फोर्स लगाने के बाद उत्तेजित छात्रों के समूह पर नियंत्रण पाया गया और कैंपस में शांति बहाल की गई। यूनिवर्सिटी कैंपस अब भी तनाव है और भारी संख्या में पुलिसकर्मियों की तैनाती की गई है। इस मामले में कल एबीवीपी के 10 कार्यकर्ताओं को हिरासत में लिया गया था। इस मामले में पुलिस ने प्रॉक्टर की शिकायत पर 12 छात्रों पर केस दर्ज किया है। अब पुलिस-प्रशासन सत्ताधारी दल के छात्र संगठन के इस हरकत पर क्या कड़ा एक्शन लेती है, इस पर सबकी नजरें हैं।
क्यों हुआ गोरखपुर यूनिवर्सिटी में बवाल ?
गोरखपुर यूनिवर्सिटी से पूर्वांचल की राजनीति के कई सूरमा निकले हैं। शुक्रवार शाम को इसका कैंपस रणक्षेत्र में तब्दील हो गया। इस घटना से शहर के लोग भी आश्चर्य हैं। हाल-फिलहाल में यूनिवर्सिटियों और छात्रों के बीच टकराव के कई मामले देखे गए हैं, लेकिन मामल इस तक चला जाएगा कि छात्र कुलपति और रजिस्ट्रार जैसे उच्च पदों पर आसीन अधिकारियों को दौड़ा-दौड़ा कर पीटेंगे, इसकी कल्पना किसी ने नहीं होगी। दरअसल, ये घटना महज एक दिन में नहीं हुई है, इसकी भूमिका काफी पहले तैयार हो गई थी। तो चलिए एक नजर उस पर डालते हैं।
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एबीवीपी कार्यकर्ता विश्वविद्यालय में फैले अनियमितताओं को लेकर लंबे समय से प्रदर्शन कर रहे थे। छात्र बढ़ी हुई फीस को लेकर भी नाराज चल रहे थे। छात्रों के अनुसार शुरू में कुलपति ने उन्हें उनकी समस्याओं का समाधान करने का आश्वसान दिया था लेकिन काफी समय बीत जाने के बावजूद भी कुछ नहीं हुआ। इसके बाद 13 जुलाई को एबीवीपी कार्यकर्ताओं ने कैंपस में कुलपति का पुतला फूंका और जमकर प्रदर्शन किया। कार्यकर्ताओं ने उस दिन तीन गेट के ताले भी तोड़ दिए थे।
छात्रों में पनपे आक्रोश को देखते हुई वाइस चांसलर ने सभी से एक-एक कर मुलाकात की और उनकी समस्याओं को सुना। एकबार फिर उन्होंने आश्वासन देते हुए कहा कि जल्द इन समस्याओं को हल कर दिया जाएगा। इसके बाद छात्र शांत पड़ गए। लेकिन इसके बाद यूनिवर्सिटी प्रशासन की एक कार्रवाई ने छात्रों को फिर से भड़का दिया। दरअसल, 13 जुलाई को हुए हंगामे पर एक्शन लेते हुए डीन डॉ.सत्यपाल सिंह ने एबीवीपी से संबंध रखने वाले 4 छात्रों के निलंबन और 4 के विवि परिसर में प्रवेश वर्जित करने का आदेश जारी कर दिया।
इस आदेश के विरोध में एबीवीपी का एक जत्था कुलपति से मिलने उनके दफ्तर पहुंचा। लेकिन वाइस चांसलर प्रोफेसर राजेश सिंह ने उनसे मुलाकात करने से मना कर दिया। इस पर पहले से ही नाराज छात्रों का गुस्सा भड़क गया और फिर उन्होंने ऐसा बवाल काटा कि जिसकी किसी ने कल्पना तक नहीं की। तनाव को देखते हुए कुल पुलिसकर्मी वीसी के चैंबर के बाहर खड़े थे। उन्होंने जैसे ही कुलपति को अपनी सुरक्षा में बाहर निकाला। वहां मौजूद एबीवीपी के कार्यकर्ता उन पर टूट पड़े।
नारेबाजी करते हुए छात्र कुलपति के चैंबर में घुस गए और जमकर तोड़फोड़ किया। छात्रों ने कुलपति और रजिस्ट्रार को दौड़ा-दौड़ा कर पीटा। सोशल मीडिया पर इसके वीडियो खूब वायरल हो रहे हैं। एक वीडियो में कुलपति पर छात्र हाथ-पैर चलाते नजर आ रहे हैं और दूसरे वीडियो में रजिस्ट्रार अजय सिंह को जमीन पर गिराकर मारा जा रहा है। स्थिति को बेकाबू होते देख पुलिस को लाठीचार्ज करना पड़ा, तब जाकर स्थिति नियंत्रण में आ पाई। इस पूरी घटना में कुलपति, रजिस्ट्रार, 3-4 एबीवीपी के कार्यकर्ता और कुछ पुलिसकर्मी जख्मी हुए हैं। जिन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया है। इस मामले में शासन स्तर से क्या कार्रवाई की जाती है, इस पर सबकी नजरें टिकी हैं।