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यूपी में सरकार बदली पर नहीं बदले बिजली के हालात
धनंजय सिंह
लखनऊ: यूपी में बिजली सप्लाई के बारे में सरकार भले कोई दावा करे लेकिन डिमांड और सप्लाई के बीच व्यहारिक असंतुलन की वजह से जगह-जगह भीषण बिजली संकट बना हुआ है। जबर्दस्त गर्मी में बिजली की डिमांड कई गुना बढ़ी हुई है। डिमांड पूरी न कर पाने से अघोषित कटौतियां की जा रही हैं। इस बार तो बिजली की मांग 22 हजार मेगावाट पार कर गई है। कटौती का असर सीधे तौर पर पानी की सप्लाई पर भी पड़ रहा है।
प्रदेश के सबसे वीवीआईपी क्षेत्र यानी वाराणसी में बिजली की जबरदस्त अघोषित कटौती चल रही है। यही हाल अयोध्या का है जहां के ग्रामीण क्षेत्रों में 6 से 8 घंटे तक कटौती की जा रही है। आगरा, वाराणसी और मथुरा में न्यायालय द्वारा 24 घंटे बिजली सप्लाई के निर्देश हैं लेकिन इन क्षेत्रों में जबरदस्त कटौती की जा रही है। राजधानी लखनऊ के वीवीआईपी इलाकों को छोड़ कर अन्य क्षेत्रों में जमकर कटौती की जा रही है। पावर कारपोरेशन ग्रामीण क्षेत्रों में 5 से 6 घण्टे रोस्टर से अधिक की कटौती कर रहा है। जबकि शहरी क्षेत्रों में 2 से 3 घंटे रोस्टर से अधिक कटौती की जा रही है। चेयरमैन आलोक कुमार ने सभी वितरण निगमों के प्रबंध निदेशकों और अन्य अधिकारियों को निर्देश दिए हैं कि लोड की निगरानी लगातार करते रहें। फाल्ट की घटनाएं रोकने के लिए ट्रांसफार्मरों और तारों को बदलने के लिए भी कहा गया है। इसके बावजूद भी फाल्ट हो रहे हैं। स्थिति ज्यों की त्यों है।
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तैयारी काम न आई: पॉवर कारपोरेशन ने तकरीबन छह माह पूर्व ही गर्मियों में अधिक बिजली आपूर्ति की रणनीति तैयार की थी। इसके तहत अधिकतम डिमांड 21 हजार मेगावाट तक रहने की उम्मीद जताई गई थी। ग्रिड की क्षमता भी बढ़ाकर 22 हजार मेगावाट की गई। केंद्रीय पूल से पहले से समझौता कर सस्ती दरों पर अधिक बिजली खरीद ली गई। लेकिन गर्मी बढऩे के साथ यह तैयारियां डगमगाने लगीं। मई माह में डिमांड 20396 मेगावाट तक पहुंच गई। जबकि पिछले वर्षों में मई माह में अधिकतम डिमांड 17700 मेगावाट तक पहुंची थी।
मांग 22000 मेगावाट पहुंची: वर्ष 2017 से अब तक यूपी में ग्रिड की क्षमता 18500 मेगावाट से बढ़ाकर 22500 मेगावाट तक कर दी गई है। इस बार डिमांड 22000 मेगावाट से अधिक पहुंच गयी है। यूपी की अपनी उपलब्धता मात्र 16000 मेगावाट की है। जिसमें प्रदेश सरकार व निजी क्षेत्र का लगभग 10000 मेगावाट और केंद्रीय कोटे से लगभग 6000 मेगावाट हिस्सा है। पावर कारपोरेशन द्वारा 2500 मेगावाट बिजली खरीदारी की जा रही है। बाकी कमी को पूरा करने के लिए कटौती हो रही है।
2022 में 27000 मेगावाट की होगी डिमांड: प्रदेश में जिस तरह से बिजली की मांग बढ़ रही है, ऐसे में 2022 तक 27000 मेगावाट की जरूरत पड़ेगी। इसे पूरा करने के लिए राज्य सरकार को केंद्र पर निर्भर रहना पड़ेगा।
देश में 179000 मेगावाट अतिरिक्त बिजली उपलब्ध: देश के विभिन्न राज्यों और केंद्रीय पूल की लगभग 3,57,000 बिजली का उत्पादन हो रहा है, जबकि अधिकतम डिमांड 1,78,000 मेगावाट है। कई राज्यों में 1,79,000 मेगावाट अतिरिक्त बिजली उपलब्ध है।
‘सिस्टम को सुधारने के लिए युद्धस्तर पर काम किया जा रहा है। जल्द ही फाल्ट और कटौती की समस्या दूर हो जाएगी। जिन बिजली घरों पर उपभोक्ताओं का लोड अधिक है, उनको दूसरे बिजली घरों में शिफ्ट किया जा रहा है। लाइन हानि में कमी आयी है।’
आलोक कुमार, पावर कारपोरेशन के प्रमुख सचिव