×

नई शिक्षा नीति नये भारत को शक्तिशाली बनाने में सहायक: आनंदीबेन पटेल

'लिविंग लिजेन्ड्स ऑफ बलिया' फोरम के माध्यम से विश्वविद्यालय ने बलिया की उन विभूतियों को फिर से यहां की मिट्टी से जोड़ने की अनूठी पहल की है, जो फिलहाल यहां से दूर रहकर विभिन्न क्षेत्रों में अपना विशिष्ट योगदान दे रहे हैं।

Newstrack
Published on: 22 Dec 2020 9:35 AM GMT
नई शिक्षा नीति नये भारत को शक्तिशाली बनाने में सहायक: आनंदीबेन पटेल
X
नई शिक्षा नीति नये भारत को शक्तिशाली बनाने में सहायक: आनंदीबेन पटेल (PC: social media)

लखनऊः नई शिक्षा नीति स्वदेशी ज्ञान और तकनीक के आधार पर नये भारत को शक्तिशाली बनाने में सहायक होंगे। शिक्षा को भारतीय जनजीवन तथा सामाजिक व सांस्कृतिक चेतना से जोड़ने का अवसर मिलेगा। उन्होंने कहा कि नई शिक्षा नीति से भारतीय ज्ञान-शक्ति के सहारे आत्मनिर्भर भारत का सपना साकार होगा।

ये भी पढ़ें:J-K DDC चुनाव: कश्मीर घाटी में खुला भाजपा का खाता, श्रीनगर में BJP के एजाज हुसैन जीते

'लिविंग लिजेन्ड्स ऑफ बलिया' फोरम के माध्यम से विश्वविद्यालय ने बलिया की उन विभूतियों को फिर से यहां की मिट्टी से जोड़ने की अनूठी पहल की है, जो फिलहाल यहां से दूर रहकर विभिन्न क्षेत्रों में अपना विशिष्ट योगदान दे रहे हैं।

ये विचार राज्यपाल एवं कुलाधिपति आनंदीबेन पटेल ने आज जननायक चन्द्रशेखर विश्वविद्यालय, बलिया द्वारा आयोजित 'वर्तमान शैक्षिक परिदृश्य एवं जननायक चन्द्रशेखर विश्वविद्यालय की भूमिका: चुनौतियों एवं संभावनाएं' विषयक संगोष्ठी एवं 'लिविंग लिजेन्ड्स ऑफ बलिया' फोरम की वेबसाइट का राजभवन से वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से उद्घाटन करते हुए कही। उन्होंने कहा कि इस फोरम के माध्यम से विश्वविद्यालय बलिया की विभूतियों को अपनी मिट्टी से जुड़ने तथा मधुर स्मृतियों को संजोने का न सिर्फ अवसर प्रदान करेगा, बल्कि मातृभूमि के ऋण से उऋण होने का अवसर भी प्रदान करेगा।

anandiben-patel anandiben-patel (PC: social media)

विश्वविद्यालय बलिया के जिस महान विभूति चन्द्रशेखर के नाम पर स्थापित है

राज्यपाल ने कहा कि यह विश्वविद्यालय बलिया के जिस महान विभूति चन्द्रशेखर के नाम पर स्थापित है, उनके पदचिन्हों पर चलकर कार्य करें और शीर्ष पर पहुंचे। उन्होंने कहा कि बलिया की धरती एक अत्यन्त उर्वर धरती है, जिसने तमाम ऋषि-मुनियों से लेकर स्वाधीनता सेनानियों, साहित्यकारों, विद्धानों, बुद्धिजीवियों और राष्ट्रीय स्तर के नेताओं तक को जन्म दिया है।

राज्यपाल ने कहा कि विश्वविद्यालय ने अपने छोटे-से जीवनकाल में ही कई महत्वपूर्ण कार्य किए हैं, जो प्रशंसनीय है। सीमित संसाधनों और कोरोना से उत्पन्न कठिन परिस्थितियों के बावजूद विश्वविद्यालय ने निर्धारित समय सीमा के अन्दर नकलविहीन परीक्षा कराई, समय से परीक्षाफल घोषित किया। कुछ पाठ्यक्रमों में सबसे पहले परीक्षाफल घोषित करके इस विश्वविद्याकलय ने प्रदेश भर के विश्वविद्यालय के समक्ष एक अनुकरणीय उदाहरण प्रस्तुत किया।

बलिया प्राकृतिक जल-स्रोतों से अत्यंत समृद्ध है

राज्यपाल ने कहा कि बलिया प्राकृतिक जल-स्रोतों से अत्यंत समृद्ध है और यहां मत्स्य उत्पादन की व्यापक संभावनाएं भी हैं। इसके लिए सम्यक प्रशिक्षण और वैज्ञानिक तरीकों का प्रयोग करते हुए मत्स्य उत्पादन में भारी वृद्धि की जा सकती है। उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय इस क्षेत्र में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है। खाद्य प्रसंस्करण के क्षेत्र में अध्ययन एवं शोध को बढ़ावा दिया जाए तो यहां के किसानों की समृद्धि के दरवाजे खुल सकते हैं। परंपरागत कृषि की जगह नवाचारी कृषि का प्रयोग यहां के किसानों का जीवन स्तर बदल सकता है।

ये भी पढ़ें:ये आतंकियों का अड्डा: सीमा पर घुसपैठ के लिए यहां ट्रेनिंग, सामने आया इनका सच

राज्यपाल ने बल देते हुए कहा कि विश्वविद्यालय को स्वास्थ्य एवं शिक्षा पर विशेष ध्यान देने की आवश्कता है। इसके लिए विश्वविद्यालय समय-समय पर ग्रामीण क्षेत्रों में कुपोषित बच्चों, गर्भवती महिलाओं का सर्वेक्षण करें व स्वास्थ्य शिविर लगाएं और जागरूकता अभियान चलाएं।

रिपोर्ट- श्रीधर अग्निहोत्री

दोस्तों देश दुनिया की और खबरों को तेजी से जानने के लिए बनें रहें न्यूजट्रैक के साथ। हमें फेसबुक पर फॉलों करने के लिए @newstrack और ट्विटर पर फॉलो करने के लिए @newstrackmedia पर क्लिक करें।

Newstrack

Newstrack

Next Story