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टीबी ग्रसित को बीएसए ने लिया गोद, स्वास्थ्यवर्द्धक किट कराई मुहैया

वर्ष 2025 तक टीबी तक देश को टीबी मुक्त बनाने के प्रधानमंत्री के सपने को साकार करने के उद्देश्य से गत माह जिला स्वास्थ्य समिति की बैठक में डीएम के निर्देश के बाद अधिकारियों ने टीबी ग्रसित बच्चों को गोद लेना शुरू कर दिया है।

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Published on: 21 Sep 2020 6:26 PM GMT
टीबी ग्रसित को बीएसए ने लिया गोद, स्वास्थ्यवर्द्धक किट कराई मुहैया
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फोटो- टीबी ग्रसित बालक को स्वास्थ्यवर्द्धक किट देते बीएसए सतीश कुमार

हमीरपुर: वर्ष 2025 तक टीबी तक देश को टीबी मुक्त बनाने के प्रधानमंत्री के सपने को साकार करने के उद्देश्य से गत माह जिला स्वास्थ्य समिति की बैठक में डीएम के निर्देश के बाद अधिकारियों ने टीबी ग्रसित बच्चों को गोद लेना शुरू कर दिया है। सोमवार को बेसिक शिक्षाधिकारी सतीश कुमार ने कुरारा ब्लाक के कुसमरा गांव में आठ साल के टीबी ग्रसित बालक को गोद लेकर उसके इलाज और देखरेख का जिम्मा उठाया है। उन्होंने बालक को स्वास्थ्यवर्द्धक किट भी मुहैया कराई, साथ ही उसके परिजनों से वार्ता कर उसके इलाज और दवा के बारे में जानकारी ली।

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जिला स्वास्थ्य समिति की बैठक में डीएम ने दिए थे निर्देश

राष्ट्रीय क्षय रोग नियंत्रण अभियान के तहत जिला स्तरीय अधिकारियों को 18 साल तक के टीबी ग्रसित बालक-बालिकाओं को गोद लेकर उनकी देखरेख और उपचार कराने की जिम्मेदारी गत माह आयोजित हुई जिला स्वास्थ्य समिति की बैठक में जिलाधिकारी ज्ञानेश्वर त्रिपाठी ने सौंपी थी।

इसी क्रम में सोमवार को जिला बेसिक शिक्षाधिकारी सतीश कुमार ने क्षय रोग से ग्रसित कुरारा ब्लाक के कुसमरा गांव के आठ साल के बालक अनुज पुत्र रंजीत सिंह से मिलने पहुंचे। उन्होंने बालक से उसके स्वास्थ के साथ ही के माता-पिता एवं भाई बहन से जांच और दवाओं के संबंध में जानकारी ली। बालक का स्वास्थ्य रिपोर्ट कार्ड देखते हुए उसके विद्यालय के प्रधानाध्यापक को भी निर्देश दिए कि बच्चे को समय से अच्छा पोषण मिड डे मील में एवं उचित देखरेख की जाए।

बालक को स्वास्थ्यवर्द्धक किट भी मुहैया कराई, इलाज और दवाओं की जानकारी ली

जिला बेसिक शिक्षाधिकारी द्वारा पोषण किट के रूप में प्रोटीनैक्स पाउडर, फल, पौष्टिक बिस्कुट, सोयाबीन बरी, अंकुरण के लिए बींस तथा अन्य स्वास्थ्यवर्धक पोषक सामग्री उपलब्ध कराई। बाद में बालक के घर जाकर उसके अभिभावकों को उचित पोषण एवं समय से जांच कराने एवं दवा का पूरा कोर्स समय से देने के लिए प्रेरित किया।

बता दें कि जिलाधिकारी की अध्यक्षता में स्वास्थ्य समिति की बैठक में महानिदेशालय स्वास्थ्य भवन लखनऊ के निर्देशानुसार क्षय नियंत्रण कार्यक्रम के अंतर्गत जनपद के विभिन्न अधिकारियों को 18 वर्ष से कम बच्चों को जो क्षय रोग से चिन्हित थे, उनको गोद लेकर उनकी जांच उपचार व देखरेख व अतिरिक्त पोषण प्रदान किए जाने को कहा गया है। अधिकारियों को एक-एक बच्चे को गोद लेकर उसके अभिभावक से संपर्क कर पोषण सुधारने के लिए आवश्यक सहयोग प्रदान करने की अपेक्षा की गई है।

उधर, बालक के पिता रंजीत सिंह ने कहा कि वह पेशे से मजदूर है। किसी तरह बच्चों का पालन-पोषण कर रहा है। इस बीच छोटे पुत्र को टीबी हो गई। जिसका उपचार चल रहा है। लेकिन बीएसए के बालक की देखरेख की जिम्मेदारी उठाने से उसे राहत मिली है। अब उसका इलाज ठीक हो जाएगा।

रिपोर्ट: रविन्द्र सिंह

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