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Hardoi News: दिव्यांगता पर मिली नौकरी पर उठ रहे सवाल, जांच के लिए भेजा गया प्रमाण पत्र गायब!
Hardoi News: शाहजहांपुर में नौकरी कर रही शिक्षिका की दिव्यांगता पर बराबर सवाल उठाते हुए बीएसए शाहजहांपुर ने हरदोई सीएमओ को चिट्ठी भेज कर दिव्यांगता प्रमाण पत्र की जांच करने की सिफारिश की थी।
Hardoi News: शाहजहांपुर की एक शिक्षिका की दिव्यांगता पर सवाल उठाए जा रहे हैं। आरोप है कि उनका दिव्यांगता प्रमाण पत्र फर्जी तरीके से बनाया गया है। हद तो तब को गई, जब यह प्रमाण पत्र जांच के लिए भेजा गया, लेकिन यह रास्ते से ही पत्र गायब हो गया और जांच अधर में लटक गई।
बीएसए ने की जांच की सिफारिश
शाहजहांपुर में नौकरी कर रही शिक्षिका की दिव्यांगता पर बराबर सवाल उठाते हुए बीएसए शाहजहांपुर ने हरदोई सीएमओ को चिट्ठी भेज कर दिव्यांगता प्रमाण पत्र की जांच करने की सिफारिश की थी। पिछले साल अक्टूबर को वहां से चली चिट्ठी अभी तक यहां नहीं पहुंच सकी है। आरोप लगाया जा रहा है कि असलियत सामने न आए, इसलिए यह चिट्ठी बीच से ही कहीं गायब कर दी गई।
फर्जीवाड़े को लेकर तमाम अटकलें
गौरतलब है कि इससे पहले शहर के सुभाष नगर निवासी अतुल कुमार सिंह ने शाहजहांपुर के भावलखेड़ा ब्लॉक के प्राथमिक विद्यालय अल्हापुर में तैनात एक शिक्षिका के दिव्यांग प्रमाणपत्र को फर्जी बताते हुए मुख्यमंत्री पोर्टल पर शिकायत की थी। जिस पर बीईओ भावलखेड़ा ने बीएसए शाहजहांपुर से शिक्षिका के दिव्यांगता प्रमाणपत्र की जांच कराने की बात कही थी। बीएसए ने सीएमओ हरदोई के नाम 14 अक्टूबर 2022 को सरकारी चिट्ठी भेज प्रमाणपत्र की जांच करने की सिफारिश की थी। जिसमें कहा गया था कि प्रमाणपत्र में 20 प्रतिशत दिव्यांगता थी, जिसे फर्जीवाड़ा कर 40 प्रतिशत किया गया है।
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ये कहना है शिकायतकर्ता का
शिकायत करने वाले अतुल कुमार सिंह का कहना है कि शिक्षिका के पिता सुरेंद्र यादव सीएमओ दफ्तर में दिव्यांग पटल बाबू रह चुके हैं। उन्हीं की तिकड़म से सारा फर्जीवाड़ा किया गया। इतने दिनों बाद भी फर्जी तरीके से बनवाए गए दिव्यांग प्रमाणपत्र की जांच किसी नतीजे पर नहीं पहुंच सकी। बताया जा रहा है कि बीएसए शाहजहांपुर की कोई भी चिट्ठी सीएमओ तक नहीं पहुंची है, जांच तो दूर की बात है। जांच में हो रही देरी पर अतुल कुमार सिंह ने दोबारा शिकायत की।
उच्चस्तरीय जांच की उठी मांग
शिकायतकर्ता का कहना है कि इस शिक्षिका का मामला अकेला नहीं हो सकता है। अगर इसकी उच्चस्तरीय जांच की जाए तो संभव है कि दिव्यांगता प्रमाण पत्र के नाम पर बड़ा खेल सामने आए। प्रशासन को इन मामलों की गहराई से छानबीन करनी चाहिए।