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Hardoi News: ज़िला अस्पताल से निकला बड़े घोटाले का जिन्न, जांच अधिकारी ने डीएम को सौंपी रिपोर्ट
Hardoi News: जिलाधिकारी मंगला प्रसाद सिंह द्वारा एसडीएम स्वाति शुक्ला को जिला अस्पताल के केंद्रीय औषधि भंडार की जांच सौंपी गई थी। सदर एसडीएम स्वाति शुक्ला का कहना है कि जिला अस्पताल के केंद्रीय औषधि भंडार में जांच के उपरांत बड़ी गड़बड़ी पाई गई है। रिपोर्ट जिला प्रशासन को भेजी गई है। आगे की कार्रवाई जिलाधिकारी द्वारा की जाएगी।
Hardoi News: हरदोई में स्वास्थ्य व्यवस्थाएं लगातार सवालों के घेरे में हैं। आए दिन सोशल मीडिया पर डॉक्टरों के बाजार से दवा लिखने के मामले सामने आते रहते हैं। जिला अस्पताल में स्वास्थ्य कर्मियों पर भी लगातार सवालिया निशान लगते रहते हैं। एक बार फिर हरदोई का जिला अस्पताल सुर्खियों में है और अबकी यह सुर्खियां घोटाले को लेकर है। हरदोई जिला अस्पताल में लगभग 85 लाख रुपए का घोटाला सामने आया है। यह घोटाला जिलाधिकारी मंगला प्रसाद सिंह के निरीक्षण के बाद सामने आया था। बीते शनिवार को जिलाधिकारी मंगला प्रसाद सिंह ने जिला अस्पताल का निरीक्षण किया था। जिलाधिकारी द्वारा अस्पताल के दवाई भंडार का निरीक्षण किया गया, जिसमें जिलाधिकारी को कुछ गड़बड़ होना महसूस हुआ। जिसकी जांच के लिए जिलाधिकारी द्वारा टीम गठित की गई। टीम ने जिलाधिकारी को केंद्रीय औषधि भंडार में 85 लाख रुपए के घोटाले की रिपोर्ट भेजी है। ऐसा माना जा रहा है कि रिपोर्ट के बाद जिला अस्पताल में जिम्मेदारों पर बड़ी कार्रवाई देखने को मिल सकती है।
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एसडीएम ने सौंपी जिलाधिकारी को जांच रिपोर्ट
जिलाधिकारी मंगला प्रसाद सिंह द्वारा एसडीएम स्वाति शुक्ला को जिला अस्पताल के केंद्रीय औषधि भंडार की जांच सौंपी गई थी। सदर एसडीएम स्वाति शुक्ला का कहना है कि जिला अस्पताल के केंद्रीय औषधि भंडार में जांच के उपरांत बड़ी गड़बड़ी पाई गई है। रिपोर्ट जिला प्रशासन को भेजी गई है। आगे की कार्रवाई जिलाधिकारी द्वारा की जाएगी।
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कैसे हुआ घोटाला
केंद्रीय औषधि भंडार में गड़बड़ी के बाद जिला अस्पताल प्रशासन में हड़कंप मचा हुआ है। जांच में सामने आया है कि भंडार केंद्र से दवाई भेजने के नाम पर जमकर धांधली हो रही थी। यदि किसी सीएससी, पीएससी पर 50 इंजेक्शन भेजे जाने होते थे तो वहां महज 40 इंजेक्शन भेजकर कागजों में 50 इंजेक्शन लिख दिये जाते थे। वहीं 100 पत्तों की दवा के स्थान पर 80 पत्तों की दवा सीएचसी, पीएचसी भेजी जाती थी और अभिलेखों में पूरे 100 पत्तों को भेजे जाने के डिटेल भरी जाती थी। ऐसा ही तमाम दवाइयों के साथ हो रहा था। जांच रिपोर्ट दवा वितरण के नाम पर जमकर धांधली हुई है।
क्या बोले मरीज़
जिला अस्पताल में दवाई लेने आए मरीजों ने बताया कि यहां पर सरकारी दवाइयों का हमेशा से अभाव रहा है। अब तो यह हाल है कि डॉक्टर बाजार की दवा लिखने के साथ-साथ दुकान का भी नाम लिख देता है। यदि आप डॉक्टर द्वारा बताई दुकान के अलावा किसी अन्य दुकान पर दवाई लेने जाते हैं तो वहां दवा उपलब्ध नहीं होती है। दुकान संचालक द्वारा कहा जाता है कि आप डॉक्टर की बताई हुई दुकान से दवा लें। कमीशन के खेल में ज़िला अस्पताल सबसे आगे निकल गया है। उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा लगातार स्वास्थ्य व्यवस्थाओं को बेहतर बनाने का दावा किया जा रहा है। स्वास्थ्य विभाग के कर्मचारी सरकार की योजना व मंशा पर कालिख पोतने का काम कर रहे हैं।