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Hardoi News: प्रसव पीड़ा में डेढ़ घंटे तड़पती रही गर्भवती, स्वास्थ कर्मी बोले- आज है छुट्टी, लखनऊ ले जाओ
Hardoi News: स्वास्थ्य महकमे की लापरवाही का आलम यह है कि मरीज किसी भी रोग से ग्रसित हो स्वास्थ्य विभाग उसको भर्ती करने में लगातार कोताही बरतता रहता है। कभी-कभी तो स्वास्थ्य विभाग के कर्मचारियों की लापरवाही के चलते मरीज की मौत तक हो जाती है।
Hardoi News: उत्तर प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री व उप मुख्यमंत्री बृजेश पाठक के गृह जनपद में स्वास्थ्य व्यवस्थाएं सुधरने का नाम ही नहीं ले रही हैं। आए दिन सोशल मीडिया से लेकर अखबारों तक में हरदोई की स्वास्थ्य व्यवस्था की पोल खुलती रहती है। गृह जनपद होने के बाद भी स्वास्थ्य मंत्री ने अभी तक हरदोई की स्वास्थ्य व्यवस्था को लेकर जनपद में कोई समीक्षा नहीं की है।
स्वास्थ्य महकमे की लापरवाही का आलम यह है कि मरीज किसी भी रोग से ग्रसित हो स्वास्थ्य विभाग उसको भर्ती करने में लगातार कोताही बरतता रहता है। कभी-कभी तो स्वास्थ्य विभाग के कर्मचारियों की लापरवाही के चलते मरीज की मौत तक हो जाती है। हरदोई जनपद में मेडिकल कॉलेज के खुलने से लोगों को एक उम्मीद जगी थी कि अब उनको लखनऊ के चक्कर नहीं काटने पड़ेंगे उनका बेहतर उपचार हरदोई मेडिकल कॉलेज में ही हो सकेगा, लेकिन लोगों की यह उम्मीद महज उम्मीद ही बनकर रह गई।
ऐसा ही एक मामला पिहानी के कुइया गांव से सामने आया है। जहां की रहने वाली रूबी पत्नी विकास को प्रसव पीड़ा होने पर परिजन उसको हरदोई के महिला जिला अस्पताल लेकर पहुंचे जो कि वर्तमान समय में मेडिकल कॉलेज से जोड़ा गया है। जहां स्वास्थ कर्मियों ने गर्भवती महिला को भर्ती करने से मना कर दिया। परिजनों द्वारा स्वास्थ कर्मियों के मान मनौउल के बाद भी डेढ़ घंटे तक एक गर्भवती महिला प्रसव पीड़ा के चलते तड़पती रही। स्वास्थ्य कर्मचारियों द्वारा महिला को रविवार की रात होने के चलते डॉक्टरों के ना होने से लखनऊ ले जाने की सलाह तक दे डाली। स्वास्थ्य कर्मियों द्वारा गर्भवती महिला को शहर के किसी निजी अस्पताल में भर्ती कराने को भी कहा गया। परिजन लगातार स्वास्थ्य कर्मियों से गर्भवती महिला को भर्ती कर उपचार करने की गुहार लगाते रहे। महिला जिला अस्पताल में डेढ़ घंटे तक गुहार के बाद जब गर्भवती को भर्ती नहीं किया गया तो परिजन कर्ज पर रुपय लाकर शहर के एक निजी अस्पताल में महिला को लेकर पहुंचे जहां ऑपरेशन से महिला को प्रसव कराया गया और इस तरह से महिला ने एक नवजात बच्ची को जन्म दिया।
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सरकारी अस्पताल का यह कोई पहला नया मामला नहीं है। कई बार भी इस प्रकार के मामले सामने आते रहते हैं। अधिकारी ऐसे कर्मचारियों पर मात्र कार्यवाही की बात कह कर अपना पल्ला झाड़ लेते हैं। आए दिन गर्भवती महिलाओं को भर्ती न करने, आशा बहुओं द्वारा अभद्रता के मामले, स्वास्थ्य कर्मियों द्वारा तीमारदारों के साथ बदसलूकी, इलाज में कोताही समेत तमाम अन्य मामले प्रतिदिन प्रकाश में आते हैं और इन सभी मामलों में कोई ठोस कार्रवाई ना होने के चलते स्वास्थ्य कर्मियों के हौसले दिन पर दिन बुलंद होते जा रहे हैं। अगर यही हाल शहर के जिला अस्पताल और मेडिकल कॉलेज का रहा तो वह दिन दूर नहीं जब इन अस्पतालों में एक भी मरीज उपचार कराने नहीं जाएगा। जनपद के लोगों की स्वास्थ्य मंत्री बृजेश पाठक से अपील है कि जनपद की बदहाल हुई स्वास्थ्य व्यवस्था को पटरी पर लाने का कार्य किया जाए। जिससे कि लोगों को लखनऊ की दौड़ न लगानी पड़े और उन पर पड़ने वाला अतिरिक्त बोझ कम हो सके।