×

Gyanvapi Case: ज्ञानवापी संबंधित मामलों की सुनवाई टली, अब अगली तारीख 28 फरवरी को

Gyanvapi Case: ज्ञानवापी मामले पर आज इलाहाबाद हाईकोर्ट मस्जिद कमेटी की याचिका पर सुनवाई चल रही सुनवाई पूरी हुई। कोर्ट 28 फरवरी को याचिका पर सुनवाई करेगा।

Aakanksha Dixit
Published on: 15 Feb 2024 11:15 AM IST (Updated on: 16 Feb 2024 10:47 AM IST)
Uttar Pradesh
X

hearing will be held today source: social media

Gyanvapi Case: इलाहाबाद हाईकोर्ट में व्यास तहखाने में हिंदू पूजा के अधिकार के खिलाफ जनहित में याचिका दाखिल की गई थी। वाराणसी के पूर्व जिला जज डॉ. अजय कृष्ण विश्वेश के आदेश के तहत व्यास तहखाने में हिंदू पक्ष को पूजा का अधिकार प्राप्त हुआ था। इसके बाद वाराणसी प्रशासन ने तहखाने को खोलकर पूजा-पाठ शुरू किया। इस आदेश के खिलाफ ज्ञानवापी की प्रबंधक अंजुमन इंतेजामिया मसाजिद ने इलाहाबाद हाईकोर्ट में चुनौती दी थी। कोर्ट ने तत्काल व्यास तहखाने में पूजा पर रोक लगाने से इंकार किया है। इस मामले की सुनवाई आज 15 फरवरी को इलाहाबाद हाई कोर्ट में पूरी हो गयी।

जज ने रिजर्व किया फैसला

ज्ञानवापी मस्जिद के व्यास तहखाने के मामले में इलाहाबाद हाई कोर्ट ने अपना जजमेंट रिजर्व कर लिया है। आज कोर्ट ने दोनों पक्षों को 4 बजे चेंबर में बुलाया। इस मामले में कोर्ट का फैसला आ सकता है। इस मामले में जस्टिस रोहित रंजन अग्रवाल की सिंगल बेंच में सुनवाई हुई। मुस्लिम पक्ष की तरफ से तहखाने में हो रही पूजा को रोकने के लिए दाखिल याचिका पर यह सुनवाई की गयी।

हिंदू पक्ष की ओर से सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता सीएस वैद्यनाथन ने बहस में कहा कि ज्ञानवापी के दाहिने हिस्से में तहखाना स्थित है, जहां पर हिंदू वर्ष 1993 तक पूजा कर रहे थे। ऑर्डर 40 रूल 1 सीपीसी के तहत वाराणसी कोर्ट ने डीएम को रिसीवर नियुक्त किया। इस फैसले से किसी भी तरह से मुस्लिमों के अधिकारों पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा, क्योंकि मुसलमान वहाँ तहखाने में नमाज नहीं पढ़ते हैं।

मामले की तारीख बढ़ी आगे

इस मामले को लेकर मस्जिद पक्ष ने फैसले को चुनौती देते हुए अदालत का रुख किया है। अधिवक्ता एमएम यादव ने बताया कि अपर जिला जज अनिल कुमार ने सुनवाई के लिए 28 फरवरी की तारीख तय की है। इसके साथ ही, मस्जिद समिति ने जिला अदालत के फैसले के खिलाफ इलाहाबाद उच्च न्यायालय में एक याचिका भी दायर की है।

अदालत में तीखी बहस जारी

मुस्लिम पक्ष के वकील नकवी ने दिया बड़ा बयान दिया और कहा कि जिला जज के आदेश में बड़ी खामी है। उन्हें अपने विवेक का प्रयोग करना चाहिए था। जब प्रतिवादी नंबर दो यानी ट्रस्ट को अलग से नियंत्रित करने वाला कानून है, तो उन्हें यह मानना चाहिए था कि डीएम ट्रस्टी बोर्ड का एक हिस्सा हैं। वह कुछ चीजों को सुविधाजनक बनाना चाहते थे। इसलिए उन्होंने ऐसा आदेश पारित किया। ज्ञानवापी मस्जिद समिति ने जिला अदालत के फैसले के खिलाफ जाकर पहले सुप्रीम कोर्ट याचिका डाली थी। लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने इलाहाबाद हाई कोर्ट जाने को कहा। उसके बाद मस्जिद समिति इलाहाबाद हाई कोर्ट में एक याचिका दायर की थी।

तहखानों में अवैध एंट्री के आरोप

तहखाने में पूजा की अनुमति प्राप्त करने के बाद, पक्षकार और विश्व वैदिक सनातन संघ की सदस्य राखी सिंह ने ASI सर्वे वाली याचिका दायर की थी। ASI सर्वे रिपोर्ट के अनुसार, मस्जिद में 8 तहखाने हैं, जिनमें से केवल 6 का सर्वे हुआ है। इनमें से एस-1 और एन-1 तहखानों का सर्वे नहीं हुआ है और इन दोनों तहखानों के भीतर अवैध एंट्री का आरोप लगाया गया है। ईंट-पत्थर से बंद रास्ता भी बताया गया है।

ASI सर्वे रिपोर्ट में मिले प्रमाण

कोर्ट के आदेश पर, ज्ञानवापी परिसर की ASI सर्वे रिपोर्ट सार्वजनिक की गई है। ASI रिपोर्ट में दावा किया गया है कि इस मस्जिद में कई ऐसे प्रमाण हैं जो ज्ञानवापी में मंदिर होने की ओर इशारा करते हैं, और यहां कई कलाकृतियां और साक्ष्य भी मिले हैं। जो हिन्दू धर्म से सम्बंधित हैं।

ज्ञानवापी परिसर मामले में मुस्लिम पक्ष का आरोप

इलाहाबाद हाईकोर्ट में मुस्लिम पक्ष ने ज्ञानवापी परिसर की स्थिति में बदलाव का आरोप लगाया है। उन्होंने कहा कि 1993 के बाद से तहखाने में कोई पूजा नहीं हुई है और 30 वर्षों के बाद कोर्ट ने एक रिसीवर नियुक्त कर वर्तमान स्थिति को बदल दिया है। फैसले का कोई ठोस कारण होना चाहिए। मुस्लिम पक्ष ने आरोप लगाया है कि व्यासजी तहखाने पर हमारा कब्जा था।

Aakanksha Dixit

Aakanksha Dixit

Content Writer

नमस्कार मेरा नाम आकांक्षा दीक्षित है। मैं हिंदी कंटेंट राइटर हूं। लेखन की इस दुनिया में मैने वर्ष २०२० में कदम रखा था। लेखन के साथ मैं कविताएं भी लिखती हूं।

Next Story