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Lucknow News: शिक्षक भर्ती घोटाले पर आज हाईकोर्ट में सुनवाई, जानिए क्या है पूरा मामला
Lucknow News: हाईकोर्ट ने एक फैसला सुनाते हुए 69000 सहायक शिक्षकों की भर्ती के दौरान आरक्षण में अनियमितता को लेकर राज्य सरकार को फटकार लगाई थी। 69000 सहायक शिक्षक भर्ती में से 6800 सीटों पर चयन को पूर्व में हाईकोर्ट ने रद कर दिया था।
Lucknow News: पिछले दिनों हाईकोर्ट ने एक फैसला सुनाते हुए 69000 सहायक शिक्षकों की भर्ती के दौरान आरक्षण में अनियमितता को लेकर राज्य सरकार को फटकार लगाई थी। इसमें 19,000 से अधिक आरक्षित वर्ग भर्तियों के सापेक्ष 6800 सीटों पर आरक्षण में गड़बड़ी को देखते हुए इस लिस्ट को हाईकोर्ट ने खारिज कर दिया था। 15 मार्च 2023 को हाईकोर्ट की लखनऊ ने बेंच ने सरकार को सहायक शिक्षकों की भर्ती की जून 2020 की सूची पर फिर से विचार करने को कहा था। जिसके बाद आरक्षण पीड़ित अभ्यर्थियों ने इसे डबल बेंच में चैलेंज करते हुए सभी 19000 का चयन निरस्त करने की अपील की है। इस मामले की आज सुनवाई होगी, जिसपर आरक्षण पीड़ित अभ्यर्थियों की निगाहें टिकी हुई हैं।
ढाई साल से लगातार सुर्खियों में रहा केस
6800 सीटों पर चयन को रद करते वक्त आरक्षण पीड़ित अभ्यर्थियों की बात को हाईकोर्ट ने सही माना था। प्रयागराज हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने माना था कि भर्ती में आरक्षण का घोटाला हुआ है। इसके बाद आरक्षण पीड़ित अभ्यर्थी फिर 19000 सीटों की चयन सूची रद करने को लेकर अपील दायर की। जिस पर 25 अप्रैल 2023 को लखनऊ डबल बेंच में जस्टिस राजन राय एवं जस्टिस मनीष कुमार की कोर्ट में सुनवाई हुई। इससे संबंधित पक्षों को जवाब देने के लिए आज यानी दो मई की तारीख मुकर्रर की गई थी।
शुरूआत से लगे आरक्षण में अनियमितता के आरोप
दरअसल, यूपी में 69000 सहायक शिक्षकों की भर्ती प्रक्रिया शुरूआत से विवादों में रही है। आरक्षित वर्ग के अभ्यर्थियों ने आरक्षण देने में अनियमितता का आरोप लगाया था और राज्य सरकार की इस भर्ती प्रक्रिया को हाईकोर्ट में चैलेंज किया था। लखनऊ सिंगल बेंच के जस्टिस ओपी शुक्ला ने ढाई साल में इस केस में हुई लगभग 40 सुनवाई के बाद 8 दिसंबर 2022 को इस भर्ती में 19000 सीटों पर हुए आरक्षण घोटाले से संबंधित ऑर्डर को रिजर्व किया था। जिसे 15 मार्च 2023 को जारी किया गया और 6800 सीटों पर आरक्षण में गड़बड़ी को देखते हुए उस लिस्ट को ख़ारिज कर दिया गया।
आरक्षण सूची को निरस्त करने की फरियाद
आरक्षण पीड़ित अभ्यर्थियों का कहना है कि जस्टिस ओपी शुक्ला के आर्डर में सहायक अध्यापक लिखित परीक्षा (ATRE) को भर्ती का सलेक्शन पार्ट बता दिया गया है। लेकिन यह एक पात्रता परीक्षा है तथा इस 69000 शिक्षक भर्ती के कट ऑफ मुद्दे पर लखनऊ डबल बेंच एवं सुप्रीम कोर्ट में सरकार ने यह स्वीकार किया है कि अध्यापक सहायक लिखित परीक्षा (ATRE) एक पात्रता परीक्षा के मानदंडों में से एक है। आरक्षण पीड़ित अभ्यर्थियों ने इसे लखनऊ डबल बेंच में चैलेंज कर दिया और इसके सापेक्ष पूरी आरक्षण सूची पर आधारित चयनों की निरस्त करने की फरियाद की है। आरक्षण पीड़ित अभ्यर्थियों का स्पष्ट रूप से कहना है कि इस भर्ती में 19000 के आसपास सीटों पर आरक्षण का घोटाला हुआ है।
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भर्ती की मूल चयन सूची जारी करने की मांग
आरक्षण पीड़ित अभ्यर्थियों का कहना है कि इस भर्ती में बेसिक शिक्षा नियमावली 1981 तथा आरक्षण नियमावली 1994 का उल्लंघन कर आरक्षित वर्ग के अभ्यर्थियों की ठीक तरह से ओवर लैपिंग नहीं कराई गई है। प्रत्येक भर्ती की एक मूल चयन सूची बनाई जाती है लेकिन इस भर्ती प्रक्रिया में अभ्यर्थियों के गुणांक, कैटेगरी, सबकैटिगरी आदि को छुपाकर जिला आवंटन सूची पर इस भर्ती प्रक्रिया को संपन्न कर दिया गया। जो पूरी तरह से गलत है तथा सरकार ने इस भर्ती की मूल चयन सूची आज तक जारी नहीं की है। जबकि प्रत्येक भर्ती की एक मूल चयन सूची जारी की जाती है। ऐसी स्थिति में सरकार को इस भर्ती की पूरी मूल चयन सूची सभी वर्गों का आरक्षण दिखाकर एवं नियमावली के नियमानुसार ओवरलैपिंग की प्रक्रिया को दर्शाकर इस भर्ती की मूल चयन सूची जारी करनी चाहिए।
हाईकोर्ट की डबल बेंच से राहत मिलने की आस
आरक्षण पीड़ित अभ्यर्थियों की तरफ से पिछड़ा-दलित संयुक्त मोर्चा उप्र के मीडिया प्रभारी राजेश चौधरी ने ‘न्यूज़ट्रैक’ से बातचीत में कहा कि लखनऊ सिंगल बेंच ने सरकार के लिए इस भर्ती की पूरी लिस्ट को सही करने के लिए तीन महीने का समय दिया है। उसमें एटीआरई को सलेक्शन पार्ट बताकर इस भर्ती प्रक्रिया की लिस्ट को सही तरीके से बनाने का आदेश दिया गया है। लेकिन जब एटीआरई परीक्षा सलेक्शन का पार्ट ना होकर यह एक पात्रता परीक्षा है, तो इस भर्ती प्रक्रिया की लिस्ट सरकार तीन महीने में मूल चयन सूची के रूप में कैसे बना सकती है।
लखनऊ डबल बेंच से राहत की उम्मीद
यह संभव ही नहीं है, इसीलिए आरक्षण पीड़ित अभ्यर्थियों ने लखनऊ डबल बेंच से राहत मिलने की उम्मीद है। इस भर्ती प्रक्रिया में ओबीसी वर्ग के 28978 अभ्यर्थियों की ओवरलैपिंग कराई जानी थी जबकि 13007 अभ्यर्थियों की ही ओवरलैपिंग कराई गई है। ठीक इसी प्रकार एससी वर्ग के 4753 अभ्यर्थियों की ओवरलैपिंग कराई जानी थी लेकिन 1742 अभ्यर्थियों की ही ओवरलैपिंग कराई गई है। उनका आरोप है कि राज्य सरकार की इस भर्ती में बेसिक शिक्षा नियमावली 1981 तथा आरक्षण नियमावली 1994 का घोर उल्लंघन किया गया है।