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उद्योगों पर बिजली के फिक्स चार्ज का भारी बोझ, PM और उर्जा मंत्री से लगाई गुहार

केंद्र सरकार ने एमएसएमई सेक्टर को बचाने के लिए 20 लाख करोड़ रुपये का पैकेज देने की घोषणा की है, लेकिन उत्तर प्रदेश के बिजली महकमें ने चुपके से उद्योग और व्यापारी वर्ग पर अरबों का बोझ डाल दिया है।

Ashiki
Published on: 11 Jun 2020 3:29 AM GMT
उद्योगों पर बिजली के फिक्स चार्ज का भारी बोझ, PM और उर्जा मंत्री से लगाई गुहार
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नोएडा: केंद्र सरकार ने एमएसएमई सेक्टर को बचाने के लिए 20 लाख करोड़ रुपये का पैकेज देने की घोषणा की है, लेकिन उत्तर प्रदेश के बिजली महकमें ने चुपके से उद्योग और व्यापारी वर्ग पर अरबों का बोझ डाल दिया है। अकेले नोएडा में ही औद्योगिक व व्यापारिक गतिविधियों पर ही फिक्स चार्ज के रूप में 100 करोड़ रुपये का बोझ डाला गया है।

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PM मोदी एवं ऊर्जा मंत्री श्रीकांत शर्मा को पत्र की ये मांग

एमएसएमई इंडस्ट्रियल एसोसिएशन के अध्यक्ष सुरेंद्र नाहटा ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी एवं राज्य के ऊर्जा मंत्री श्रीकांत शर्मा को पत्र लिखकर फिक्स चार्ज से राहत देने की मांग उठाई है। सुरेंद्र नाहटा ने बताया कि बिजली निगम से मिली जानकारी के अनुसार जिले में 300 मेगावाट बिजली की डिमांड होती है। जिसमें से 1880 मेगावाट कॉमर्शियल और इंडस्ट्रियल डिमांड है। औसत 300 रुपये प्रति केवीए फिक्स चार्ज वसूला जाता है। इस लिहाज से अप्रैल और मई के महीने में करीब 100 करोड़ रुपया फिक्स चार्ज बिलों में जोड़ा गया है, जबकि दो महीने तक न उद्योग चले न बाजार खुले।

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लॉकडाउन के दौरान मार्च में कर्मचारियों को पूरा वेतन दिया गया

लॉकडाउन के दौरान मार्च महीने का उद्यमियों और व्यापारियों ने अपने कर्मचारियों को पूरा वेतन दिया। इसके अलावा अन्य खर्च भी उठाए, इसके बाद भी सरकार की तरफ से कोई राहत नहीं मिली। जबकि लॉकडाउन शुरू होने के बाद से ही फिक्स चार्ज पर रोक लगाने की मांग उठाई गई थी। आय न हो पाने की वजह से उद्यमी और व्यापारी वर्ग फिक्स चार्ज देने में पूरी तरह असमर्थ है। कोरोना संकट काल में कोई राहत भरा कदम नहीं उठाया गया तो यह वर्ग पलायन को मजबूर होगा।

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मीटर रीडिग के हिसाब से बिल आना चाहिए

सुरेन्द्र नाहटा ने बताया कि नोएडा, ग्रेटर नोएडा जिला गौतमबुद्धनगर में एमएसएमई वर्ग के उद्योग अपने उत्पादन को कीमत की प्रतिस्पर्धा में विदेशी बाजार तो दूर देश के बाजारों में भी बिक्री नहीं कर पाता है कारण उत्तर प्रदेश में अन्य प्रदेशों की बिजली की दरों के मुकाबले रेट ज्यादा है। साथ ही बिजली में कटौती और गुणवत्ता सही नहीं होने से उत्पादन और पर्यावरण के प्रभाव को भी झेलना पड़ता है। उन्होंने मांग की कि फिक्स चार्जेज और किसी भी तरह का सरचार्ज तो हमेशा की लिए हटाना चाहिए और किसी भी उद्योग या व्यापारिक प्रतिष्ठान में बिजली उपयोग का ही मीटर रीडिग के हिसाब से बिल आना चाहिए।

रिपोर्ट: दीपांकर जैन

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