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संदेह के घेरे में LDA की 14 कॉलोनियां, हाईकोर्ट ने दिया जांच के आदेश
इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ खंडपीठ ने अपर मुख्य सचिव आवास की अध्यक्षता में एक कमेटी का गठन कर शहर की 14 एलडीए कॉलोनियों के विकास कार्यो का निरीक्षण करने का आदेश दिया है। कोर्ट ने तीन माह में जांच रिपोर्ट भी प्रस्तुत करने को कहा है।
लखनऊ: इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ खंडपीठ ने अपर मुख्य सचिव आवास की अध्यक्षता में एक कमेटी का गठन कर शहर की 14 एलडीए कॉलोनियों के विकास कार्यो का निरीक्षण करने का आदेश दिया है। कोर्ट ने तीन माह में जांच रिपोर्ट भी प्रस्तुत करने को कहा है।
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कमेटी में मंडलायुक्त, प्रमुख सचिव नगर विकास, जिलाधिकारी, एलडीए उपाध्यक्ष और नगर आयुक्त भी होंगे। कोर्ट ने जिन कॉलोनियों का निरीक्षण करने का निर्देश दिया है, उनमें गोमती नगर विस्तार के फेज वन के सेक्टर 1 से 5 और फेज टू के सेक्टर 1 से 4 के आवासीय और इसके व्यावसायिक, सेक्टर एच जानकीपुरम योजना, रतन खंड शारदा नगर योजना, कानपुर रोड योजना विस्तार सेक्टर आई व सेक्टर जे शामिल हैं। न्यायालय ने तीन माह में इन कॉलोनियों के विकास कार्य तथा सीवेज, सड़क व पानी जैसी मूलभूत सुविधाओं की रिपोर्ट मांगी है। मामले की सुनवाई अब 22 अप्रैल को होगी।
यह आदेश न्यायमूर्ति सीडी सिंह की बेंच ने गोमतीनगर जनकल्याण महासमिति की अवमानना याचिका पर दिया। याचिका में कहा गया है कि अधिकारियों ने कोर्ट के चार सितंबर 2015 के उस आदेश का पालन अब नहीं किया, जिसमें एलडीए की कॉलोनियों में मूलभूत सुविधाओं को एक वर्ष में पूरा करने का आदेश दिया गया था। बिना विकसित किए कॉलोनियों को स्थानांतरित न करने को भी कहा गया था। एलडीए व नगर निगम ने याचिका का विरोध किया।
गोमतीनगर विस्तार के फेज वन के सेक्टर 1 से 5 और फेज टू के सेक्टर 1 से 4 के आवासीय और व्यावसायिक इलाके सेक्टर एच जानकीपुरम, रतन खंड शारदा नगर योजना, कानपुर रोड योजना विस्तार, सेक्टर आइ व सेक्टर जे की कॉलोनियां गोमतीनगर जनकल्याण महासमिति के वकील बीके सिंह साल 2008 से एलडीए की कॉलोनियों में विकास कराने को संघर्ष कर रहे हैं। वह कहते हैं कि अफसरों ने जब कोई सुनवाई नहीं की तो उन्होंने कोर्ट की शरण ली थी। हाईकोर्ट के आदेश के बाद भी एलडीए ने अपनी कॉलोनियों में समुचित विकास नहीं कराया था। एलडीए कॉलोनी का विकास कराए बिना ही नगर निगम और जलकल को हस्तांतरित कर देता है। 2001 अब तक नगर निगम और जलकल को हस्तांतरित कॉलोनियों के विकास की 219 करोड़ की रकम को एलडीए दबाए बैठा है।
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एलडीए ने नगर निगम को हस्तांतरित कर दिया था लेकिन वर्ष 2008 से आज तक इस कॉलोनी के पार्क की दीवार तक नहीं बन पाई है। यही हाल अन्य कॉलोनियों का है। एलडीए ने अनियोजित तरह से सीवर लाइन डाल दी थी और कॉलोनियों में सीवर सड़कों पर बहता रहता है। दरअसल एलडीए ने सीवर लाइन तो डाली थी, लेकिन अंतिम निकास का कोई इंतजाम नहीं किया था। पार्क को संवारने के मद में भी ऊंट के मुंह में जीरे के सामान ही रकम देने से अधिकांश पार्क बदहाल हैं।