TRENDING TAGS :
12 साल तक सेवानिवृत्ति परिलाभों का भुगतान न करने पर हाईकोर्ट सख्त
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने उपनिदेशक माध्यमिक शिक्षा इलाहाबाद के 4 अप्रैल 2016 को पारित आदेश को रद्द कर दिया है, जिसके तहत उत्तराधिकार प्रमाण पत्र न देने के आधार पर सेवा परिलाभों के भुगतान में देरी पर ब्याज देने से इंकार कर दिया गया था।
प्रयागराज। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने उपनिदेशक माध्यमिक शिक्षा इलाहाबाद के 4 अप्रैल 2016 को पारित आदेश को रद्द कर दिया है, जिसके तहत उत्तराधिकार प्रमाण पत्र न देने के आधार पर सेवा परिलाभों के भुगतान में देरी पर ब्याज देने से इंकार कर दिया गया था। कोर्ट ने कहा है कि मृतक कर्मचारी ने अपने पति याची को सेवा पंजिका में नामित किया था, ऐसे में उत्तराधिकार प्रमाण पत्र मांगने की आवश्यकता नहीं थी।
भुगतान करने का निर्देश दिया
कोर्ट ने सख्त रुख अपनाते हुए नौ फीसदी चक्र वृद्धि ब्याज के साथ 6 सप्ताह में भुगतान करने का निर्देश दिया है। कहा है कि यदि आदेश का पालन नहीं होता प्रयागराज 6 सप्ताह के बाद 12 फीसदी देना होगा।
यह आदेश न्यायमूर्ति सुनीत कुमार ने मोहम्मद रमजान अली की याचिका पर अधिवक्ता सन्तोष कुमार त्रिपाठी को सुनने के बाद दिया है। याची की पत्नी रसीदा खातून की हमीदिया गर्ल्स इंटर कालेज इलाहाबाद में सहायक अध्यापिका थी।
सेवानिवृत्त परिलाभो का भुगतान कर दिया जाना
सेवारत रहते हुए 19 मई 2000 को उनकी मृत्यु हो गई। याची को सेवानिवृत्ति परिणामों का भुगतान करने में विभाग ने 12 साल की देर लगाई। 9 साल के बाद जीपीएफ व पेंशन दिया गया। उपनिदेशक माध्यमिक शिक्षा ने याची को भुगतान में हुई देरी को यह कहते हुए अमान्य कर दिया कि याची ने उत्तराधिकार प्रमाण पत्र देने में देरी की।
कोर्ट ने कहा कि 4 फरवरी 1986 के शासनादेश के तहत 6 माह के भीतर सेवानिवृत्त परिलाभो का भुगतान कर दिया जाना चाहिए। इस बात पर भी ध्यान नहीं दिया गया कि मृतक अध्यापिका ने अपनी सेवा पंजिका में अपने पति को नामित किया था।
इसके बावजूद उत्तराधिकार प्रमाण पत्र मांगा गया जो नियमों के विरुद्ध है। इसलिए उत्तराधिकार प्रमाण पत्र मिलने में देरी के आधार पर भुगतान में देरी करना सही नहीं कहा जा सकता। याची की पत्नी की मृत्यु 19 मई 2000 में हो गई थी ।
80 साल की आयु में अपनी पत्नी की सेवा निवृत्ति के लिए उसे 12साल तक कार्यालय के चक्कर लगाने पड़े। कोर्ट ने याचिका मंजूर करते हुए उपनिदेशक के आदेश को रद्द कर दिया और चक्रवृद्धि ब्याज के साथ भुगतान करने का आदेश है।
यह भी देखें… तीस हजारी कोर्ट: दिल्ली में अधिवक्ताओं पर हमले का विरोध