TRENDING TAGS :

Aaj Ka Rashifal

हिन्दी पत्रकारिता दिवस: इतिहास में पहली बार हुआ ऐसा, कोरोना बना वजह

मीडिया तरक्की के शोपान चढ़ते हुए इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में अपनी धमक जमाया लेकिन आज सोशल मीडिया सबसे आगे निकल चुकी है हर आम खास व्यक्ति सोशल मीडिया के सहारे खबरों को जानने का प्रयास कर रहा है।

Rahul Joy
Published on: 30 May 2020 5:46 PM IST
हिन्दी पत्रकारिता दिवस: इतिहास में पहली बार हुआ ऐसा, कोरोना बना वजह
X
hindi diwas

जौनपुर । आजादी के बाद लगातार देश प्रदेश सहित जिले के पत्रकार 30 मई को हिन्दी पत्रकारिता दिवस के रूप में मनाते चले आ रहे है और इस दिन उदन्त मार्तण्ड अखबार की यादों को ताज़ा करते हुए एक साफ सुथरी जन हित की पत्रकारिता का संकल्प लेते रहे है । पत्रकारिता के इतिहास में पहली बार कोरोना संक्रमण के चलते जिला ही नहीं पूरे देश में पत्रकार समाज हिन्दी पत्रकारिता का उत्सव नहीं मना सका है।हां सोशल मीडिया के माध्यम से बधाईयाँ जरूर ज्ञापित की गयी है। कोविड 19 महामारी पत्रकारो के इस उत्सव पर ग्रहण बन गयी है।

यहाँ बता दे कि देश आजादी की जंग लड़ रहा था उस समय तमाम अंग्रेजी मलयालम उर्दू आदि भाषाओं में अखबार छप रहे थे लेकिन हिन्दी भाषा में कोई अखबार नहीं छप रहा था। उस समय के पत्रकार अंग्रेजी हुकूमत के भय से हिन्दी में अखबार छापने का साहस नहीं जुटा पा रहे थे। उप्र के कानपुर निवासी पं.जुगल किशोर शर्मा रोटी रोजी के सिलसिले में कोलकाता गये थे।

उदन्त मार्तण्ड की कहानी

उन्होंने कोलकता से ही हिन्दी अखबार निकालने का निर्णय लिया और 30 मई सन् 1826 को पहला हिन्दी का अखबार उदन्त मार्तण्ड का प्रकाशन शुरू कर दिया। उस समय संसाधन का जबरदस्त संकट था इसके बाद भी उतन्द मार्तण्ड अखबार देश के आजादी की जंग में अग्रणी भूमिका में नजर आया। उदन्त मार्तण्ड की प्रतियां पूरे देश में प्रसारित हो रही थी हिन्दी भाषी क्षेत्रों में संदेश देने का सशक्त साधन बना गया था। इस तरह यदि कहा जाये कि देश में हिन्दी पत्रकारिता का इतिहास लगभग दो सौ साल पुराना है तो अतिशयोक्ति नहीं होगा ।

सपा चुनाव में अब किसी बड़ी पार्टी से गठबंधन नहीं करेगी: अखिलेश यादव

सोशल मीडिया निकला आगे

इसके पश्चात तमाम हिन्दी अखबारो का प्रकाशन देश के अन्दर शुरू हो गया लेकिन इतिहास बनाने वाला अखबार उदन्त मार्तण्ड का अन्त हो गया अब केवल इतिहास और स्मृतियाँ शेष बची है। इसी के साथ ही मीडिया तरक्की के शोपान चढ़ते हुए इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में अपनी धमक जमाया लेकिन आज सोशल मीडिया सबसे आगे निकल चुकी है हर आम खास व्यक्ति सोशल मीडिया के सहारे खबरों को जानने का प्रयास कर रहा है। खास कर कोरोना संक्रमण काल में लोग अखबार पढ़ने से परहेज कर लिए है। जिसका परिणाम है लगभग सभी समाचार पत्रों के प्रसार संख्या में तेजी से गिरावट आ गयी है ।

हलांकि हिन्दी पत्रकारिता पर इसका कोई असर तो नहीं है लेकिन पत्रकारिताके तरीकों में खासा परिवर्तन देखने को मिल रहा है। मीडिया अब पूरी तरह से हाइटेक हो गयी है। यह भी एक सुखद संकेत कहा जा सकता है। कि दो सौ साल में पत्रकारिता कितनी उंचाई पर पहुंच गयी है। आज हम कोरोना संक्रमण काल में सोशल मीडिया के माध्यम से अपने पूर्वज पत्रकारों को याद करते हुए उनके पद चिन्हों पर चलते हुए जन हितो को उठाने एवं समाज में व्याप्त कुरीतियों को खत्म करने की आवाज बनने हेतु प्रयास करने का संकल्प दोहराते है।

रिपोर्टर- कपिल देव मौर्य , जौनपुर

बढ़ेगा लॉकडाउन: मोदी-शाह की हुई बड़ी बैठक, जल्द होगा ऐलान



\
Rahul Joy

Rahul Joy

Next Story