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जानिए क्यों खेलना जरूरी है होली, किस रंग का क्या है महत्व
भागवताचार्य देवकीनंदन ने चीन के रंग और सभी वस्तुओं के बहिस्कार की अपील की। मलूक पीठाधीश्वर राजेन्द्र दास महाराज ने बताया कि होली मानवीय जीवन में क्यों और कितनी जरूरी है। साथ ही बताया कि होली में 5 रंग कौन कौन से जरूरी है और क्या है इन रंगों का महत्व।
मथुरा: उत्तर प्रदेश के मथुरा में होली का उतस्व बसंत पंचमी से ही शुरू हो जाता है। वृंदावन में बुद्धवार को संतों ने भगवान और भक्तों के साथ होली खेली।
इस दौरान भागवताचार्य देवकीनंदन ने चीन के रंग और सभी वस्तुओं के बहिस्कार की अपील की। मलूक पीठाधीश्वर राजेन्द्र दास महाराज ने बताया कि होली मानवीय जीवन में क्यों और कितनी जरूरी है। साथ ही बताया कि होली में 5 रंग कौन कौन से जरूरी है और क्या है इन रंगों का महत्व।
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मलूक पीठाधीश्वर ने बताया कि होली खेलने से घृणा द्वेष और वैमनस्यता दूर होती है और प्रेम के अनुराग के रंग में रंगदेने मात्र का नाम ही होली है। ब्रज में कान्हा की होली अपने आप मे विशेष है। तभी कहा जाता है जग होरी बृज होरा ऐसा देश निगोड़ा।
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उन्होंने बताया कि होली में पांच रंग जरूरी हैं जिसमें लाल रंग का सबसे विशेष महत्व है। उन्होंने बताया कि वैष्णव सम्प्रदाय में पांच रस माने गए हैं। शांत, दास, सख्य, वात्सल्य और श्रृंगार। यही पांच रस ही रंग हैं।
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श्वेत रंग शांत का, हरा रंग दास का, गुलाबी रंग सख्य का, पीला रंग वात्सल्य का और चटक लाल रंग श्रृंगार का प्रतीक है। रसों में श्रृंगार रस सबसे प्रमुख है इसलिए लाल रंग का विशेष महत्व होली में होता है। खून का रंग भी लाल होता है और दिल भी लाल रंग में ही मिलता है। साथ ही अनुराग का रंग भी लाल होता है इएलिये लाल रंग सबसे चटक होता है इसीलिए बृज में अष्टछाप के कवियों ने अपनी कविताओं में गोपियों के भाव को लिखा है कि ऐसो चटक रंग डालो मेरी हो गयी चूनर लाल री। लाल रंग सबसे चटक होता है इसलिए लाल रंग होली में विशेष महत्व रखता है।