घर को बना दिया स्कूल, भीख मांगने वाले बच्चों में जगा रही हैं शिक्षा की अलख

अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के अवसर पर कहानी उस समाजसेवी की जिसने भीख मांगने वाले बच्चों को मुख्य धारा से जोड़ने के लिए अपनी जिंदगी समर्पित कर दी। बच्चों के बीच शिक्षा की अलख जगाने के लिए अपने घर को ही स्कूल में तब्दील कर दिया। कुछ ऐसी हैं बनारस की समाजसेवी प्रतिभा सिंह।

SK Gautam
Published on: 8 March 2021 1:53 PM GMT
घर को बना दिया स्कूल, भीख मांगने वाले बच्चों में जगा रही हैं शिक्षा की अलख
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घर को बना दिया स्कूल, भीख मांगने वाले बच्चों में जगा रही हैं शिक्षा की अलख

वाराणसी। कौन कहता है आसमां में सुराख नहीं हो सकता, एक पत्थर तो तबियत से उछालो यारों। दुष्यंत कुमार की ये मशहूर पंक्तियों को चरितार्थ कर रही बनारस की एक बेटी। अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के अवसर पर कहानी उस समाजसेवी की जिसने भीख मांगने वाले बच्चों को मुख्य धारा से जोड़ने के लिए अपनी जिंदगी समर्पित कर दी। बच्चों के बीच शिक्षा की अलख जगाने के लिए अपने घर को ही स्कूल में तब्दील कर दिया। कुछ ऐसी हैं बनारस की समाजसेवी प्रतिभा सिंह।

मिड-डे-मील से लेकर बच्चों को देती हैं ड्रेस और कॉपी

अपने घर के आसपास भिक्षाटन करने वाले बच्चों को देख प्रतिभा ने इनकी जिंदगी संवारने का फैसला किया। सात साल पहले शुरु हुआ उनका ये अभियान अब धीरे-धीरे मिशन बन चुका है। भीख मांगने वाले बच्चों को शिक्षित करने के लिए प्रतिभा ने अपना सब कुछ दांव पर लगा दिया। उन्होंने अपने घर में ही स्कूल खोल लिया। यही नहीं बच्चों को दोपहर का भोजन और कॉपी और ड्रेस तक मुहैया कराती हैं। सात साल के सफर के दौरान सैकड़ों ऐसे बच्चें हैं जिन्हें प्रतिभा सिंह की बदौलत शहर के नामी स्कूलों कॉन्वेंट स्कूलों में दाखिला मिला।

शिक्षा की दिशा में बाल भिक्षुओं को कर रहीं प्रेरित

बाल भिक्षुओं के हाथों में किताब थमाने वाली प्रतिभा ने बताया कि पिछले कई सालों से मैं जरूरतमंद परिवारों व बच्चों के भविष्य को संवारने का काम कर रही हूं । बातचीत के दौरान प्रतिभा जी ने बताया कि आस–पास के इलाकों में बाल भिक्षुओं की बढ़ती संख्या को देख मैंने अपने ही घर में इन जरूरतमंद बच्चों के लिए स्कूल खोलने का फैसला लिया।

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हालांकि यह काम इतना आसान नहीं था। पड़ोसियों के अलावा परिजनों ने बमुश्किल रजामंदी दी। चंद बच्चों से शुरु हुआ ये सफर अब वृहद रुप ले चुका है। प्रतिभा बताती हैं कि कुछ सालों के बाद शहर के दूसरे समाजसेवी लोग भी मदद के लिए आगे आए। इसके साथ ही झुग्गी-झोपड़ी व मलिन बस्तियों में रहने वाले लोगों की भी मानसिकता में बदलाव आया। यही कारण है कि अब गरीब मां-बाप बच्चों को भीख मंगवाने के बजाय स्कूल भेज रहे हैं।

राज्य सरकार भी चला रही है अभियान

बाल भिक्षुओं के हाथों में किताब थमाने वाली प्रतिभा सिंह ने बताया कि गत सात वर्षों से उन्होंने जरूरतमंद परिवारों और बच्चों के भविष्य को संवारने का काम किया है। उनका मानना है कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ द्वारा प्रदेश में बाल भिक्षावृत्ति के खिलाफ चलाए जा रहे अभियान से दूसरे प्रदेशों को भी प्रेरणा लेनी चाहिए। प्रदेश में बाल भिक्षावृत्ति के खिलाफ शुरू किए गए अभियान से जबरन बाल भिक्षा मंगवाने वालों पर कार्रवाई हो रही है। इससे बाल भिक्षावृत्ति पर लगाम लगेगी। यकीनन प्रतिभा सिंह की ये कोशिश समाज के लिए प्रेरणा की तरह है। शायद कारण है कि बनारस अपनी इस बेटी पर नाज करता है।

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