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मानव संसाधन मंत्री के मंसूबे पर लगा पलीता

दिलचस्प यह है कि जिन राजनेताओें ने ग्लोबल ब्रांड वाले इस विश्वविद्यालय का नाम बदलने का सुझाव मानव संसाधन विकास मंत्रालय को दिया था, उनके पास किसी नये नाम का विकल्प था ही नहीं। हालाँकि इलाहाबाद से देश के तमाम नामचीन लोगों का रिश्ता रहा है।

राम केवी
Published on: 16 May 2020 9:51 AM GMT
मानव संसाधन मंत्री के मंसूबे पर लगा पलीता
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लखनऊ । मानव संसाधन विकास मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक के इलाहाबाद विश्वविद्यालय के नाम बदलने की तैयारियों पर विश्वविद्यालय काउंसिल के सदस्यों ने पानी फेर दिया। सत्रह सदस्यों में से बारह ने नाम न बदले जाने के बारे में अपनी राय ज़ाहिर की है। तीन सदस्यों ने इस विवादास्पद मुद्दे पर चुपी ओढ़े रखना बेहतर समझा। काउंसिल में दो सदस्यों के स्थान रिक्त हैं।

रमेश पोखरियाल निशंक के मंत्रालय से विश्वविद्यालय का नाम बदले जाने की पत्रावली प्रयागराज की भाजपा सांसद एवं प्रदेश कांग्रेस की पूर्व अध्यक्ष रीता बहुगुणा जोशी, ज़िला पंचायत अध्यक्ष केशरी देवी पटेल और भाजपा नेता तथा पूर्व उच्च शिक्षा मंत्री नरेंद्र सिंह गौड़ की सिफ़ारिश के बाद चलाई गयी। ग़ौरतलब है कि योगी सरकार ने इलाहाबाद का नाम बदल कर प्रयागराज कर दिया है। राज्य सरकार के इस फ़ैसले के बाद इन नेताओं की ख़्वाहिशें हिलोरें मारने लगी।

ये भूल गये कि इलाहाबाद विश्वविद्यालय एक ग्लोबल ब्रांड है।इससे पहले चेन्नई, कोलकाता और मुंबई विश्वविद्यालय खुले थे। यह देश का चौथा विश्वविद्यालय था। हालाँकि नान प्रेसीडेंसी इलाक़े का यह पहला विश्वविद्यालय रहा।

शहरों के नाम बदले लेकिन विश्वविद्यालय का नहीं

इन तीनों शहरों के नाम कई बार बदले। पर यहाँ स्थित विश्वविद्यालय के नाम में कोई परिवर्तन नहीं हुआ।ऐसे में इलाहाबाद विश्वविद्यालय के नाम बदलने का औचित्य समझ में आने लायक़ नहीं रहा।कोलकाता विश्वविद्यालय का नाम शुरू से यूनिवर्सिटी ऑफ कलकत्ता है।इसी तरह बाम्बे विश्वविद्यालय का नाम भी जस का तस है। यही नहीं , यूनिवर्सिटी ऑफ मद्रास का नाम भी शहर का नाम बदलने के साथ कभी नहीं बदला।

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दिलचस्प यह है कि जिन राजनेताओें ने ग्लोबल ब्रांड वाले इस विश्वविद्यालय का नाम बदलने का सुझाव मानव संसाधन विकास मंत्रालय को दिया था, उनके पास किसी नये नाम का विकल्प था ही नहीं। हालाँकि इलाहाबाद से देश के तमाम नामचीन लोगों का रिश्ता रहा है। राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री भी इस विश्वविद्यालय ने दिये हैं।देश का कोई ऐसा क्षेत्र नहीं है, जहां इस विश्वविद्यालय के किसी न किसी छात्र ने कभी न कभी परचम न लहराया हो।

राम केवी

राम केवी

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