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BHU के वैज्ञानिकों की मिली बड़ी कामयाबी, बनाई कालाजार बीमारी का वैक्सीन

कालाजार के वैक्सीन पर प्रोफेसर विकास कुमार दूबे और और नेशनल पोस्टडॉक्टोरल फेलो डॉ. सुनीता यादव का कहना है, “टीकाकरण किसी भी संक्रामक रोगों से लड़ने का सबसे सुरक्षित और प्रभावी तरीका है।

Chitra Singh
Published on: 2 Feb 2021 12:08 PM GMT
BHU के वैज्ञानिकों की मिली बड़ी कामयाबी, बनाई कालाजार बीमारी का वैक्सीन
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BHU के वैज्ञानिकों की मिली बड़ी कामयाबी, बनाई कालाजार बीमारी का वैक्सीन

वाराणसी: कालाजार (Kala-azar), एक ऐसी बीमारी है, जिसके इलाज के लिए अभी तक कोई भी वैक्सीन नहीं उपलब्ध नहीं है। इस बीमारी से ना केवल भारत बल्कि एशिया, यूरोप, अफ्रीका और अमेरिका भी इस बीमारी से जुझ रहा है। वहीं इसी बीमारी से जुड़ी एक खबर सामने आई है। बता दें कि काशी हिंदू विश्वविद्यालय (BHU) के भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (IIT) ने कालाजार (Kala-azar) के टीके का सफलतम प्रयोग किया है। जानकारी के मुताबिक, आईआईटी के स्कूल ऑफ बायोकेमिकल इंजीनियरिंग ने वैक्सीन (Vaccine) का पहला चरण पार कर लिया है।

कालाजार के खिलाफ बनी वैक्सीन

कालाजार के वैक्सीन को लेकर ऑफ बायोकेमिकल इंजीनियरिंग के प्रोफेसर विकास कुमार दूबे और और नेशनल पोस्टडॉक्टोरल फेलो डॉ. सुनीता यादव का बयान सामने आया है। उनका कहना है, “टीकाकरण किसी भी संक्रामक रोगों से लड़ने का सबसे सुरक्षित और प्रभावी तरीका है। वैक्सीन अणु हमारे रोग प्रतिरोधक तंत्र को रोगों से लड़ने के लिए प्रशिक्षित करता है। यह हमारे शरीर में कई प्रतिरक्षा कोशिकाओं को उत्तेजित करता है जो एंटीबॉडी, साइटोकिंस और अन्य सक्रिय अणुओं का उत्पादन करते हैं जो सामूहिक रूप से काम करते हैं और हमें संक्रमण से बचाते हैं और दीर्घकालिक सुरक्षा प्रदान करते हैं।”

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एक टीका बेहद कारगर होगा- प्रोफेसर

इतना ही नहीं उन्होंने ये भी बताया, “लीशमैनियासिस के पूर्ण उन्मूलन के लिए एक टीका बेहद कारगर होगा। इस टीके की रोगनिरोधी क्षमता का मूल्यांकन चूहों के मॉडल में प्री-क्लिनिकल अध्ययनों में किया गया था, जिसमें संक्रमित चूहों की तुलना में टीकाकृत संक्रमित चूहों के यकृत और प्लीहा अंगों में परजीवी भार में उल्लेखनीय कमी देखी गई थी। टीका लगाए गए चूहों में परजीवी के बोझ को साफ करने से वैक्सीन के सफलता की संभावना प्रबल हो जाती है और ये टीका सफल रहा।”

IIT BHU

वैक्सीन का पहला स्टेज पूरा

वहीं वैक्सीन के सफल परीक्षण पर जानकारी साझा करते हुए प्रोफेसर ने बताया, “पहला स्टेज पूरा हो चुका है और अब ह्यूमन ट्रायल शुरू होने वाला है। इसके बाद ये आम आदमी के लिए उपलब्ध होगा, इस टीका को विकसित करने में लगे आईआईटी बीएचयू के वैज्ञानिक बताते हैं कि ये बहुत बड़ा चैलेंज था, जो हमने पूरा किया।”

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मच्छरों से फैलती है ये बीमारी

बताते चलें कि कालाजार (Kala-azar) मच्छरों से फैलने वाली एक गंभीर बीमारी है। इस बीमारी का अब तक कोई वैक्सीन उपलब्ध नहीं है। हालांकि भारतीय वैज्ञानिकों ने इस बीमारी के खिलाफ एक नया वैक्सीन तैयार कर लिया है, साथ ही इसका चरण भी पास कर लिया है।

Chitra Singh

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