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आईआईटी कानपुर ने तैयार किया जीवन रक्षक यंत्र, यन्त्र को एसजीपीजीआई लखनऊ को सौंपा गया

स्मार्ट मटेरियल्स स्ट्रक्चर एंड सिस्टम्स प्रयोगशाला में विकसित किया गया यह यंत्र कई मायने में उपयोगी साबित होगा । जिसमें मुँह का द्वार कम खुलने, ट्रिसमस, ट्रामा या ऊपरी वायु मार्ग में वृद्धि हो जाने के कारण डायरेक्ट लैरिएनजोस्कोपी करने में कठिनाई को देखते हुए यह यंत्र उपयोगी साबित होगा। 

Roshni Khan
Published on: 16 April 2019 6:15 PM IST
आईआईटी कानपुर ने तैयार किया जीवन रक्षक यंत्र, यन्त्र को एसजीपीजीआई लखनऊ को सौंपा गया
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कानपुर: भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान कानपुर की स्मार्ट मटेरियल्स स्ट्रक्चर एंड सिस्टम्स प्रयोगशाला में एक ऐसा कम खर्चीला एवं हल्का यंत्र तैयार किया गया है। जो मनुष्य की श्वासनली में एण्डोट्रसियल टयूब को डालने में बहुत सहायक होगा। किसी भी आकस्मिक चिकित्सा या गहन केयर यूनिट के लिए सामान्य एनेस्थिसिया देते वक्त इस एण्डोट्रसियल टयूब की आवश्यकता होती है।

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संस्थान के छात्र अमन गर्ग ने यांत्रिक अभियांत्रिकी विभाग के प्रो. बिशाख भट्टाचार्या के मार्गदर्शन में इस यंत्र को तैयार किया है। एसजीपीजीआई लखनऊ के डॉ. अनिल अग्रवाल एवं सुजीत गौतम ने सबसे पहले CO2 आधारित गाइडेंस की संभावना व्यक्त करते हुए इसे क्रियान्वित करने का सुझाव दिया था। इसी क्रम में संस्थान में आयोजित एक समारोह में यह यंत्र उन्हें सौंपा गया। इसके लिए एक पेटेन्ट भी दर्ज किया गया है।

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स्मार्ट मटेरियल्स स्ट्रक्चर एंड सिस्टम्स प्रयोगशाला में विकसित किया गया यह यंत्र कई मायने में उपयोगी साबित होगा । जिसमें मुँह का द्वार कम खुलने, ट्रिसमस, ट्रामा या ऊपरी वायु मार्ग में वृद्धि हो जाने के कारण डायरेक्ट लैरिएनजोस्कोपी करने में कठिनाई को देखते हुए यह यंत्र उपयोगी साबित होगा।

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इस यंत्र के इनट्यूबेशन पाथवे के अंदर नॉन-डिसप्रसिव इन्फ्रेरेड कार्बन डाइआक्साइड सेन्सिंग लगाई गई है, जो यंत्र को श्वासनली के अंदर प्रवेश करने में सहायक है। यह यंत्र वीडियो ब्रान्कोस्कोपी से जुड़ा हुआ होगा तथा जो ETCO2सान्द्रण में होने वाले परिवर्तन के मूल्यांकन एवं तुलना द्वारा मरीज द्वारा छोड़ी गई वायु में एंड-टाइडल कार्बन डाईऑक्साइड सान्द्रण की लगातार निगरानी करेगा। यह प्रवणता आडियो विजुएल क्यूस के माध्यम से एण्डोट्रसियल टयूब को स्वांस नली में डालने का रास्ता बतायेगा। इसके अलावा डाटा को एक मोबाइल एप में स्थानांतरित किया जाएगा जिससे डॉक्टरों को ETCO2 वैल्यु के ग्राफीय परिवर्तन का विश्लेषण करने में सहायता मिलेगी।



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