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औद्योगिक संकट: इस वजह से बंद हो सकती हैं हजारों फैक्ट्रियां

एसोसिएशन के अध्यक्ष सुरेंद्र नाहटा ने बताया कि माल आयातित नहीं होने से यहा उद्योगपतियों को महंगे दामों पर कच्चाा माल खरीदना पड़ रहा है।

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Published on: 20 Nov 2020 7:02 PM IST
औद्योगिक संकट: इस वजह से बंद हो सकती हैं हजारों फैक्ट्रियां
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औद्योगिक संकट: इस वजह से बंद हो सकती हैं हजारों फैक्ट्रियां (Photo by social media)

नोएडा: पहले लॉकडाउन और अब कोरोना काल में आयातित कच्चा माल नहीं आने और भाव बढ़ने से औद्योगिक इकाईयों में उत्पादन क्षमता को प्रभावित किया है। आर्थिक बोझ के तले दबी हजारों की संख्या में सूक्ष्म, लघु व मध्ययम वर्गीय औद्योगिक इकाईयां बंद हो चुकी है या बंदी की कगार पर है। कच्चा माल आयात नहीं होने से घरेलू बाजार में भी कच्चा माल का भाव तेजी से बढè रहा है। इसका असर राजस्व व रोजगार पर पड़ने की संभावना है। ऐसे में एमएसएमई इंडस्ट्रियल एसोसिएशन नोएडा ने प्रधानमंत्री से कच्चे माल के भाव को नियंत्रित करने की मांग उठाई है।

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एसोसिएशन के अध्यक्ष सुरेंद्र नाहटा ने बताया

एसोसिएशन के अध्यक्ष सुरेंद्र नाहटा ने बताया कि माल आयातित नहीं होने से यहा उद्योगपतियों को महंगे दामों पर कच्चाा माल खरीदना पड़ रहा है। लेकिन मजबूरी यह है कि वह उत्पाद (तैयार माल) की कीमत नहीं बढ़ा सकते। दरअसल, कच्चे माल का भाव विगत एक महीने में तेजी से बढ़ा है। जबकि आर्डर पहले पुरानी रेट लिस्ट पर ही तय किए गए है। ऐसे में डीलरों को पुराने भाव पर ही माल तैयार कर दिया जाएगा।

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अपनी ही जेब से अतरिक्त पैसा लगाकार कच्चा माल खरीदना पड़ रहा है

मैन्यूफैक्चरिंग यूनिट के उद्योगपतियों को अपनी ही जेब से अतरिक्त पैसा लगाकार कच्चा माल खरीदना पड़ रहा है। जिससे बहुत नुकसान हो रहा है। एमएसएमई ने मांग की है कि उद्योगपतियों को पुरानी दरों पर कच्चा माल उपलब्ध कराया जाए। शिपमेंट के लिए कंटेनर उपलब्ध कराए जाए ताकि माल को समय से आयातित किया जा सके। बाजार को संभाला जाए अन्यथा मंदी के दौर में उद्योगपतियों के लिए उद्योगों का संचालन कर पाना मुश्किल हो जाएगा।

एक महीने में बढ़ रहा कच्चा माल का भाव

कच्चा माल पहले (प्रतिकिलो) अब (प्रतिकिलो)

एल्यूमिनियम 78 रुपए 136 रुपए

ब्रास 37० रुपए 44० रुपए

कॉपर 47० रुपए 57० रुपए

ब्रांज 57० रुपए 67० रुपए

जिंक 19० रुपए 23० रुपए

एमएस 48 रुपए 57 रुपए

स्टेलनेस स्टील 145 रुपए 16० रुपए

रिपोर्ट- दीपांकर जैन

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