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वेस्ट यूपी के उद्योग-धंधों पर अघोषित बंदी की मार

raghvendra
Published on: 26 July 2019 6:54 AM GMT
वेस्ट यूपी के उद्योग-धंधों पर अघोषित बंदी की मार
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सुशील कुमार

मेरठ: पश्चिम उत्तर प्रदेश के एक दर्जन से अधिक शहर एक बार फिर अघोषित बंदी की चपेट में हैं। कारण है कांवड़ यात्रा के कारण क्षेत्र में इस बार भी अघोषित नाकेबंदी का होना। नतीजन, राज्य के इस औद्योगिक क्षेत्र को इस बार भी करीब एक हजार करोड़ से अधिक का नुकसान होने के आसार हैं। पश्चिम उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर, शामली, बागपत, बिजनौर, मेरठ, गाजियाबाद, हापुड, बुलंदशहर, गौतमबुद्धनगर, मथुरा, सहारनपुर और अलीगढ़ कांवड़ यात्रा क्षेत्र में आते हैं।

कांवड़ यात्रा को पश्चिमी उत्तर प्रदेश का सबसे बड़ा धार्मिक आयोजन माना जाता है। यही वजह है कि सरकार कांवड़ यात्रा को सकुशल संपन्न कराने की कोई कोर कसर नहीं छोड़ती है। योगी सरकार के आने के बाद से तो हेलीकॉप्टर से कांवडिय़ों पर उत्तराखंड से लेकर यूपी गेट तक पुष्प वर्षा कराई जा रही है। यही नहीं सरकार के अफसरों को रास्तों में भी कांवडिय़ों की सुविधाओं का पूरा ध्यान रखने के निर्देश दिए जा चुके हैं। अफसोस का विषय यही है कि तमाम दावों के बाद भी कांवड़ यात्रा के दौरान पश्चिम के जनपदों को बंदी से बचाया नहीं जा सका है। इस बार भी रास्तों का जाम, रूट डायवर्जन, आयात-निर्यात पर पाबंदी पूर्व वर्षों की तरह ही है।

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एनएच-58 पर बसे मुजफ्फरनगर से लेकर गाजियाबाद तक का पूरा इलाका 24 जुलाई से 30 जुलाई तक के लिए एक बार फिर बंद कर दिया गया है। क्षेत्र की औद्योगिक इकाईयों में उत्पादन ठप है। कांवड़ यात्रा से लगे झटके ने आर्डर की आपूर्ति में तो देरी करा ही दी, साथ ही लघु और सूक्ष्म उद्योगों को भी तगड़ा झटका लगा है। एक हफ्ते के लिए एनएच-58 बंद होने से बड़ा औद्योगिक नुकसान होगा।

मेरठ को तगड़ा झटका

मेरठ की ही बात करें तो यहां के उद्योगों को करीब 750 करोड़ का झटका लगेगा। खुदरा व्यापार को कितना नुकसान पहुंचता है, इसका अनुमान लगाना मुश्किल है। मुजफ्फरनगर का स्टील और फर्नेस उद्योग को भी 250 करोड़ रुपए की चपत लगने का अनुमान है। जिले में तीन हजार छोटी औद्योगिक इकाईयां है। इन इकाईयों में उत्पादन लगभग बंद हो चुका है। अनुमान के मुताबिक इन इकाईयों के बंद होने से 150 करोड़ का कारोबार प्रभावित होगा। ऐसे ही खुदरा कारोबार को भी 100 करोड़ से अधिक की चपत लगेगी।

कांवड़ यात्रा के चलते उत्तर प्रदेश परिवहन निगम ने भी हर बार की तरह इस बार भी रूट डायवर्जन को कारण बताते हुए मेरठ से कौशांबी, दिल्ली, गाजियाबाद और हरिद्वार जाने वाली बसों के किराए में 30 से 90 फीसदी तक बढ़ोतरी कर दी है। रूट डायवर्जन के कारण यात्रियों को सामान्य दिनों के मुकाबले किराया तो अधिक देना ही पड़ रहा है साथ ही पहले से अधिक किलोमीटर का अतिरिक्त सफर करना पड़ रहा है। एनसीआर की बड़ी आबादी दिल्ली में नौकरी करती है इसलिए अघोषित बंदी से दिहाड़ी कामगारों की रोजी-रोटी पर भी संकट पैदा हो गया है।

मामला आस्था का

मामला क्योंकि आस्था से जुड़ा है इसलिए हर हाल तकलीफें झेलने के बाद भी स्थानीय लोगो में इसको लेकर कोई आक्रोश नहीं दिखता है। हकीकत यह है कि पिछले कुछ सालों से पश्चिम के उद्यमियों ने ही खुद को झटका सहने के लिए तैयार कर लिया है। उद्यमियों ने कांवड़ यात्रा को देखते हुए पहले ही बड़े आर्डर की डिलीवरी कर दी, जबकि कुछ को कांवड़ यात्रा के बाद के लिए टाल दिया। लगभग एक सप्ताह तक औद्योगिक इकाईयां बंद रहने के कारण 25 प्रतिशत उद्यमी परिवार के साथ घूमने के लिए निकल गए हैं। विभिन्न उद्योगों से जुड़े बाहर के 75 प्रतिशत कामगार भी घर चले गए हैं। बड़ी संख्या में कामगार हरिद्वार के लिए भी रवाना हुए हैं। चेंबर ऑफ कामर्स के संयोजक सुरेंद्र प्रताप कहते हैं कि उद्योगों पर कांवड़ यात्रा का प्रभाव तो हर बार पड़ता है। आर्थिक रूप से नुकसान भी झेलना पड़ता है। अब उद्यमी ज्यादा परेशान नहीं होते बल्कि खुद को कांवड़ यात्रा से जोड़ लेते हैं और शिविर लगाकर शिव भक्तों की सेवा भी करते हैं।

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राघवेंद्र प्रसाद मिश्र जो पत्रकारिता में डिप्लोमा करने के बाद एक छोटे से संस्थान से अपने कॅरियर की शुरुआत की और बाद में रायपुर से प्रकाशित दैनिक हरिभूमि व भाष्कर जैसे अखबारों में काम करने का मौका मिला। राघवेंद्र को रिपोर्टिंग व एडिटिंग का 10 साल का अनुभव है। इस दौरान इनकी कई स्टोरी व लेख छोटे बड़े अखबार व पोर्टलों में छपी, जिसकी काफी चर्चा भी हुई।

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