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कानपुर देहात: मिशन शक्ति के माध्यम से घरेलू हिंसा के बारे में दी गई जानकारी

घरेलू हिंसा अधिनियम 2005 के तहत महिला को जख्मी करना,मानसिक प्रताड़ना देना,शारीरिक तौर से खतरे में डालना,मौखिक और भावात्मक हिंसा शामिल है। घरेलू हिंसा अर्थात् कोई भी ऐसा कार्य जो किसी महिला एवं बच्चे (18 वर्ष से कम आयु के बालक एवं बालिका) के स्वास्थ्य, सुरक्षा, जीवन के संकट, आर्थिक क्षति और ऐसी क्षति जो असहनीय हो तथा जिससे महिला व बच्चे को दुःख एवं अपमान सहना पड़े।

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Published on: 19 Dec 2020 8:16 AM GMT
कानपुर देहात: मिशन शक्ति के माध्यम से घरेलू हिंसा के बारे में दी गई जानकारी
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कानपुर देहात: मिशन शक्ति के माध्यम से घरेलू हिंसा के बारे में दी गई जानकारी

शिवली कानपुर देहात: मिशन शक्ति कार्यक्रम के अंतर्गत आज मवैया के श्री जोगीबाबा इंटर कालेज में नुक्कड़ नाटक के माध्यम से घरेलू हिंसा के बारे में में जानकारी दी गई। हमारा देश हमेशा से पुरुष प्रधान देश कहा जाता है और ऐसे समाज मे कभी कभी पुरुषों के द्वारा घर की छोटी छोटी बातों में अपने घर की अपनी की पत्नी को घर के अंदर की प्रताड़ना दी जाती है,जैसे कि सब्जी में नमक कम होना,समय पर बात का जवाब न दे पाना सहित पति के सारे वो काम जो पत्नी को करने होते है। ऐसे में अगर थोड़ी सी भी अगर देरी हुई कारण कोई भी हो पत्नी को शारीरिक ,मानसिक और आर्थिक हिंसा के शिकार होना पड़ता है।

नुक्कड़ नाटक के के जरिये दिया संदेश

वो भी घर के अंदर और इसी को घरेलू हिंसा का अपराध माना जाता है। नुक्कड़ नाटक में घरेलू ही हिंसा अधिनियम 2005 के बारे में बताया । घरेलू हिंसा अधिनियम 2005 के तहत महिला को जख्मी करना,मानसिक प्रताड़ना देना,शारीरिक तौर से खतरे में डालना,मौखिक और भावात्मक हिंसा शामिल है। घरेलू हिंसा अर्थात् कोई भी ऐसा कार्य जो किसी महिला एवं बच्चे (18 वर्ष से कम आयु के बालक एवं बालिका) के स्वास्थ्य, सुरक्षा, जीवन के संकट, आर्थिक क्षति और ऐसी क्षति जो असहनीय हो तथा जिससे महिला व बच्चे को दुःख एवं अपमान सहना पड़े।

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घरेलू हिंसा का शिकार है महिलाएं

इन सभी को घरेलू हिंसा के दायरे में शामिल किया जाता है। घरेलू हिंसा अधिनियम घरेलू हिंसा अधिनियम का निर्माण 2005 में किया गया और 26 अक्टूबर 2006 से इसे देश में लागू किया गया। इसका मकसद घरेलू रिश्तों में हिंसा झेल रहीं महिलाओं को तत्काल और आपातकालीन राहत पहुंचाना है. यह कानून महिलाओं को घरेलू हिंसा से बचाता है. केवल भारत में ही लगभग 70 प्रतिशत महिलाएं किसी न किसी रूप में इसकी शिकार हैं। यह भारत में पहला ऐसा कानून है जो महिलाओं को अपने घर में रहने का अधिकार देता है।

दोषी पाएं जानें पर की जाएंगी कार्यवाही

घरेलू हिंसा विरोधी कानून के तहत पत्नी या फिर बिना विवाह किसी पुरुष के साथ रह रही महिला मारपीट, यौन शोषण, आर्थिक शोषण या फिर अपमानजनक भाषा के इस्तेमाल की परिस्थिति में कार्रवाई कर सकती है। इसके अंतर्गत जब महिला शिकायत पुलिस से करती है तो संबंधित अधिकारी जैसे संरक्षण अधिकारी,सेवा प्रदाता,या मजिस्ट्रेट को घरेलू हिंसा के बारे में पता चलता है। इसके उपरांत संरक्षण अधिकारी मजिस्ट्रेट के समक्ष कार्यवाही शुरू करने और एक सुरक्षित आश्रय या चिकित्सासहायता उपलब्ध कराई जाती है। और अपराध करने वाले पुरूष पर कानूनी कार्यवाही की जा सकती है।

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मुकदमा पंजीकृत किया जाता हैं

इसे के साथ पीड़ित महिला को उसके अधिकारों की जानकारी देना जैसे निवास स्थान का अधिकार, गुजारे भत्ते का अधिकार, क्षतिपूर्ति का अधिकार, संरक्षण का अधिकार और बच्चों की कस्टडी का अधिकार,पीड़ित महिला को विधिक सहायता की जानकारी प्रदान करने का अधिकार,धारा 498A के तहत मुकदमा पंजीकृत करने का अधिकार की जानकारी उपलब्ध कराना भी शामिल है। ये सब जानकारी आज श्री जोगीबाबा इंटर कालेज के बच्चों ने नुक्कड़ नाटक के माध्यम से दी। इस मौके पर बच्चो के घर से आये पिता भाई और बड़े बुजुर्गों ने भी घरेलू हिंसा अधिनियम के बारे में जानकारी प्राप्त की।

बच्चे देश के भविष्य होतें हैं

श्री जोगीबाबा इंटर कालेज के प्रधानाचार्य अनुराग शुक्ल जी बताते है कि बच्चे ही देश की बागडोर सम्भालते है ऐसे में आज जो नुक्कड़ नाटक के माध्यम से जानकारी इन बच्चो ने खुद तो ली और दूसरों को भी प्रदान की जससे इनके मन मे एक बात तो जरूर शामिल हुई कि घरेलू हिंसा से कहना है हमेशा के लिए अलविदा। इस मौके पर विद्यालय के प्रधानाचार्य अनुराग शुक्ल,सहायक अध्यापक योगेश जी,अनंतप्रकास सहित बच्चो के माता पिता और बच्चे मौजूद रहे।

रिपोर्ट-मनोज सिंह

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