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'वसुधैव कुटुम्बकम' की भावना के साथ आगे बढ़ने की प्रेरणा

इसके अंतर्गत कई वक्ताओं के व्याख्यान के अतिरिक्त, कार्यक्रम में बुद्ध से कबीर ट्रस्ट के द्वारा बनायी गयी एक डॉक्यूमेंट्री फिल्म, कबीर संगीत और लघु नाटिका ने दर्शकों को अभिभूत कर दिया।

Roshni Khan
Published on: 25 March 2019 10:30 AM IST
वसुधैव कुटुम्बकम की भावना के साथ आगे बढ़ने की प्रेरणा
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लखनऊ: बुद्ध से कबीर ट्रस्ट के तत्वाधान में गोमती नगर स्थित शीरोज रेस्टोरेंट में भारत की साझी सांस्कृतिक विरासत पर आधारित एक विचार गोष्ठी "ढाई आखर प्रेम का" आयोजन हुआ। इसके अंतर्गत कई वक्ताओं के व्याख्यान के अतिरिक्त, कार्यक्रम में बुद्ध से कबीर ट्रस्ट के द्वारा बनायी गयी एक डॉक्यूमेंट्री फिल्म, कबीर संगीत और लघु नाटिका ने दर्शकों को अभिभूत कर दिया।

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इस अवसर पर मुख्य वक्ताओं में वाराणसी के (निदेशक, प्रेरणा कला मंच) फादर आनन्द, (एडिशनल डायरेक्टर एजुकेशन) ललिता प्रदीप, (जनरल मैनेजर, बीएसएनएल) नीरज वर्मा, (रेमन मैग्सेसे अवार्ड विजेता) संदीप पांडेय, (प्रसिद्ध कत्थक नर्तकी) प्रशस्ति तिवारी, (आई.आर.ए.एस.) अष्ठानंद पाठक और ( अध्यक्ष, उत्तर प्रदेश मेडिकल एसोसिएशन) डॉ. अशोक यादव, सुभाष चंद्र कुशवाहा समेत इत्यादि लोग मौजूद थे।

यहां पर अपनी बातों को रखते हुए वाराणसी के फादर आनंद ने कहा- भारतीय परंपरा में वसुधैव कुटुम्बकम, समदृष्टि और कबीर के 'ढाई आखर प्रेम' वाली सोच जिसे हमारे ऋषि-मुनियों ने और मध्यकालीन युग में सूफी कवियों ने एवं आधुनिक युग में संत विवेकानन्द, महात्मा गांधी जैसे लोगों ने जिंदा रखा था उन्होंने जोर देकर कहा कि आज भारत के हर एक नागरिक की जिम्मेदारी है कि वह इसी भारतीय को यानी साझी विरासत की परंपरा को मजबूती के साथ जीवित रखें।

वहीं ललिता प्रदीप ने श्रोताओं के साथ अपने 'बुद्ध से कबीर तक यात्रा' में शामिल होने के अनुभवों को साझा करते हुए कहा- ट्रस्ट ने मानव सभ्यता के इन दो महान प्रतीकों के वचनों को बुद्ध-कबीर यात्रा के द्वारा फिर से याद कर समाज की नई पीढ़ी को उससे अवगत कराने का बीड़ा उठाया है।

इस संदेश यात्रा में देश के अलग अलग भागों से आए हुए प्रशासनिक अधिकारी, पुलिस अधिकारी, पत्रकार, विद्वान, साहित्यकार, अध्यापक, जनसेवक और विद्यार्थियों इत्यादि ने भाग लिया।

यह यात्रा 14 फरवरी को लुम्बिनी(बुद्ध जन्मस्थल) से शुरू होकर 15 फरवरी को कुशीनगर(बुद्ध महा परिनिर्वाण स्थल), 16 फरवरी को मगहर( कबीर देहत्याग स्थल) होते हुए 17 फरवरी को 450 किलोमीटर की यात्रा पूरी कर गोरखपुर विश्वविद्यालय में सम्पन्न हुई।

यह यात्रा पिछले दो साल से एकता, सामाजिक न्याय, धर्मनिरपेक्षता और सामाजिक मूल्यों को आगे बढ़ाने के लिए निकाली जाती है।

इस मौके पर नीरज वर्मा ने इसको अपनी जिंदगी का कभी न भूलने वाला अनुभव बताया तो देवयानी दुबे ने आगे की रूपरेखा के बारे में बातचीत की।

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इस कार्यक्रम को सफल बनाने में डॉ. अमित सिंह, लेफ्टिनेंट कर्नल गीता सिंह, ऋषभ, जगदम्बा, मित्रप्रकाश, आदित्य, दीपक, गोविंद, डॉ. उत्कर्ष सिन्हा, रवि प्रकाश नारायण, विष्णुदत्त और अभिषेक इत्यादि ने प्रमुख योगदान दिया। वहीं कार्यक्रम का सचालन आशीष श्रीवास्तव ने किया।



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Roshni Khan

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