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अब प्यार-शादी पर भारी पड़ेगा कानून, इंटर रिलीजन मैरिज पर ध्यान दें ये बातें
नए कानून के तहत अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति की महिला या किसी नाबालिग लड़की का धर्म परिवर्तन करना या कराना भी इसी अपराध की श्रेणी में गिना जाएगा।
लखनऊ विवाह चाहे धार्मिक हो या अंतरधार्मिक यह एक पवित्र बंधन होता है। लेकिन विवाह को लेकर नए नियम बने है। जिसके तहत उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में एक मामला सामने आया है। यहां आपसी सहमती से हो रही एक अंतरधार्मिक शादी को पुलिस ने रुकवा दिया। पुलिस ने मीडिया से ज्यादा कुछ नहीं कहा, लेकिन दोनों पक्षों को थाने बुलाकर यूपी में लागू विधि विरुद्ध धर्म संपरिवर्तन प्रतिषेध कानून की कि शादी करने वाले पक्ष को नए कानून की जानकारी नहीं थी।
नवंबर में बना कानून
24 नवंबर को धर्म परिवर्तन प्रतिषेध अध्यादेश को ने मंजूरी दी थी और बाद में राज्यपाल ने कानून के रूप में मान्यता दी। इस नए कानून प्रदेश में शादी को लेकर कई बातें कही गई हैं और नए प्रावधान भी दिए गए हैं।
अंतरधार्मिक शादी 2 माह पहले आवेदन
अब यदि अलग-अलग धर्मों के बालिग लड़का-लड़की अपने परिवारवालों की आपसी सहमती से भी अंतरधार्मिक शादी (कोर्ट मैरिज या रजिस्टर्ड मैरिज) करना चाहते हैं, तब भी उन्हें जिलाधिकारी (DM) के यहां दो माह पहले आवेदन कर शादी के लिए अनुमति लेनी होगी। यही वो कारण था, जिसकी वजह से गुरुवार को लखनऊ में आपसी सहमति से हो रही शादी को पुलिस ने रुकवा दिया और उन्हें डीएम से विवाह के लिए अनुमति लेने के लिए कहा।
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क्या कहता है ये नया कानून
*इस नए कानून के तहत एक धर्म से दूसरे धर्म में परिवर्तन के लिए मजबूर किए जाने को संज्ञेय अपराध माना गया है। यह अपराध गैर जमानती है। ऐसे मुकदमों की सुनवाई प्रथम श्रेणी मजिस्ट्रेट की अदालत में की जाएगी।
*अगर कोई व्यक्ति केवल शादी के लिए किसी लड़की का धर्म परिवर्तन करता है या कराता है, तो ऐसे में वो शादी शून्य की श्रेणी में आएगी। मतलब ये कि वो शादी कानून की नजर में अवैध होगी। ऐसे में नए कानून का उल्लंघन करने पर कम से कम 3 साल और अधिकतम 10 साल की सजा का प्रावधान है।
6 माह से 3 साल तक की सजा
*नए कानून में धर्म परिवर्तन के इच्छुक लोगों का ख्याल भी रखा गया है। ऐसे व्यक्तियों को दो माह पहले डीएम को सूचना देनी होगी। बिना किसी लालच, डर और बहकावे में आए वे धर्म परिवर्तन कर रहे हैं। यदि वे ऐसा नहीं करते तो इसे कानून का उल्लंघन माना जाएगा। दोषी पाए जाने पर 6 माह से 3 साल तक की सजा का प्रावधान है। साथ ही आर्थिक जुर्माना भी होगा।
* नए कानून के तहत अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति की महिला या किसी नाबालिग लड़की का धर्म परिवर्तन करना या कराना भी इसी अपराध की श्रेणी में गिना जाएगा।
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50 हजार जुर्माना के साथ
* नाबालिग लड़कियों, अनुसूचित जाति या अनुसूचित जनजाति की महिला के साथ किए गए उपरोक्त अपराध के दोषी को कम से कम 3 साल और अधिकतम 10 साल कैद की सजा का प्रावधान है। साथ ही कम से कम 25 हजार रुपये का जुर्माना किया जा सकता है।
*सामूहिक धर्म परिवर्तन करने या कराने के मामले में भी यह कानून लागू होगा। जिसके तहत ऐसा करने या कराने वाले सामाजिक संगठनों का रजिस्ट्रेशन रद्द कर दिया जाएगा।
* दोषी पाए जाने पर उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी। सामूहिक धर्म परिवर्तन के मामलों में 3 साल से कम की सजा नहीं होगी लेकिन इस सजा को अधिकतम 10 वर्ष की कैद तक बढ़ाया जा सकता है। 50 हजार जुर्माना के साथ।