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आईपीएस को नोटिस: भ्रष्टाचार का खुलासा करना पड़ा भारी, बन गए शिकार

प्रदेश सरकार के आला अधिकारियों का तौर-तरीका भी निराला है। चंदौली जिले के मुगलसराय कोतवाली में हर महीने की जाने वाली अवैध वसूली की लिस्ट सार्वजनिक करने पर आईपीएस अमिताभ ठाकुर को ही गलत ठहराया जा रहा है।

Newstrack
Published on: 17 Oct 2020 2:27 PM IST
आईपीएस को नोटिस: भ्रष्टाचार का खुलासा करना पड़ा भारी, बन गए शिकार
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आईपीएस को नोटिस: भ्रष्टाचार का खुलासा करना पड़ा भारी, बन गए शिकार

लखनऊ। उत्तर प्रदेश पुलिस के थानों में की जा रही अवैध वसूली का खुलाास करने वाले आईपीएस अमिताभ ठाकुर भी सरकारी कार्यवाही का शिकार हो गए हैं। प्रदेश सरकार ने उनसे पूछा है कि भ्रष्टाचार के मामले का खुलासा उन्होंने सोशल मीडिया पर क्यों किया। उनके इस आचरण को सरकार ने यह मानते हुए गलत ठहराया है कि इससे अवैध कार्य में लिप्त लोगों को अपना बचाव करने का मौका मिल सकता है। दिलचस्प है कि इस मामले में शिकायत को छह महीने से भी ज्यादा दबाए रखने वाले चंदौली के तत्कालीन एसपी के मामले में शासन पूरी तरह खामोश दिखाई दे रहा है।

आईपीएस अमिताभ ठाकुर को ही गलत ठहराया जा रहा

प्रदेश सरकार के आला अधिकारियों का तौर-तरीका भी निराला है। चंदौली जिले के मुगलसराय कोतवाली में हर महीने की जाने वाली अवैध वसूली की लिस्ट सार्वजनिक करने पर आईपीएस अमिताभ ठाकुर को ही गलत ठहराया जा रहा है। शासन स्तर से इस बारे में एक स्पष्टीकरण नोटिस जारी किया गया है। इस नोटिस में अवैध वसूली सूची को सार्वजनिक करने वाले आईपीएस अमिताभ ठाकुर से जवाब मांगा गया है कि वह बताएं कि उन्होंने यह सूची सोशल मीडिया पर सार्वजनिक क्यों कर की है। उनके इस कृत्य से अवैध वसूली करने वालों को अपने बचाव करने और साक्ष्य से छेड़छाड़ का अवसर मिला है।

Illegal recovery

क्या है मामला

आईपीएस अधिकारी अमिताभ ठाकुर ने मुगलसराय कोतवाली की अवैध वसूली लिस्ट ट्वीट करते हुए बताया था कि इस हस्तलिखित सूची के अनुसार मुगलसराय कोतवाली की प्रति माह की वसूली रु0 35.64 लाख के अलावा 15 व्यक्तियों से अवैध खनन के एवज में 12500 रुपया प्रति वाहन है। इसके साथ ही पडवा, कट्टा का काम करने वाले कबाड़ी से भी 4000 रुपया प्रति वाहन होता है. इसमें गांजा दूकान का रु0 25 लाख भी शामिल है. उन्होंने इन तथ्यों की गहन जाँच की मांग की थी. प्रदेश सरकार की विजिलेंस जांच में कोतवाली की अवैध वसूली और विभिन्न अवैध गतिविधियों की पुष्टि भी हुई है।

nutan thakur

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एसपी चंदौली की जानकारी में था पूरा मामला

प्रदेश सरकार में बैठे अधिकारियों ने आईपीएस अमिताभ ठाकुर को जो नोटिस जारी किया है उसमें उन पर आरोप है कि सूची को उन्होंने सोशल मीडिया पर डालकर आरोपितों को बचाव का मौका दिया लेकिन विजिलेंस जांच में खुलासा हुआ है कि यह सूची एक सिपाही ने चंदौली के एसपी को छह महीने पहले दे दी थी लेकिन उन्होंने इस सूची पर कार्रवाई करने के बजाय पूरे मामले को दबा दिया।

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ऐसे में आईपीएस अमिताभ ठाकुर ने जब सोशल मीडिया पर मामला उजागर किया तो शासन ने जांच के आदेश दिए। एक्टिविस्ट डॉ नूतन ठाकुर ने इस कारण बताओ नोटिस को अत्यंत दुर्भाग्यपूर्ण बताया और कहा कि जहाँ शासन को अवैध वसूली करने वालों के खिलाफ कार्यवाही करनी चाहिए, वहीं यह कार्यवाही भ्रष्टाचार उजागर करने वाले को प्रताडि़त व हतोत्साहित करने वाली है।

रिपोर्ट- अखिलेश तिवारी

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