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IPS ही फंसते हैं: हर मामले में होती इनपर कार्रवाई, बच जाते हैं आईएएस

इन दिनों अलग-अलग मामलों में आठ आईपीएस अधिकारी निलंबित चल रहे हैं। इनमें एडीजी जसवीर सिंह, डीआईजी दिनेश चन्द्र दुबे, डीआईजी अरविन्द सेन, एसएसपी नोएडा वैभव कृष्ण, एसएसपी प्रयागराज अभिषेक दीक्षित, एसपी महोबा मणिलाल पाटीदार, एसपी कानपुर अर्पणा गुप्ता तथा हाथरस एसपी विक्रांतवीर है।

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Published on: 5 Oct 2020 8:11 AM GMT
IPS ही फंसते हैं: हर मामले में होती इनपर कार्रवाई, बच जाते हैं आईएएस
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IPS ही फंसते हैं: हर मामले में होती इनपर कार्रवाई, बच जाते हैं आईएएस

श्रीधर अग्निहोत्री

लखनऊ: राजनीति के केन्द्र में चल रहे हाथरस कांड मेें राज्य सरकार ने पुलिस अधिकारियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करके मामले को दबाने का प्रयास किया है लेकिन जिलाधिकारी के खिलाफ अब तक कोई कार्रवाई न होने से सत्ता के गलियारों में तरह तरह के सवाल उठ रहे हैं। चर्चा इस बात की है कि कुछ भी हो, ऐसे मामलों में आईएएस खुद को बचा लेती है और पुलिस अधिकारियेां को ही सरकार के कोपभाजन का शिकार होना पडता है।

आईएएस का मतलब होता है ‘आईएमसेफ

कहा जा रहा है कि राज्य सरकार जितनी तत्परता से पुलिस अधिकारियों के खिलाफ तेजी दिखाती है उतनी तेजी आईएसएस अधिकारियों के खिलाफ दिखाने में वह हिचकती है। सत्ता के गलियारों में लोग अब कहने लगे हैं आईएएस का मतलब होता है ‘आईएमसेफ।

इन दिनों अलग-अलग मामलों में आठ आईपीएस अधिकारी निलंबित चल रहे हैं। इनमें एडीजी जसवीर सिंह, डीआईजी दिनेश चन्द्र दुबे, डीआईजी अरविन्द सेन, एसएसपी नोएडा वैभव कृष्ण, एसएसपी प्रयागराज अभिषेक दीक्षित, एसपी महोबा मणिलाल पाटीदार, एसपी कानपुर अर्पणा गुप्ता तथा हाथरस एसपी विक्रांतवीर है। एडीजी जसवीर सिंह को छोड दिया जाए तो यह सभी अफसर पिछले दो तीन महीने में निलम्बित हुए हैं।

ias vs ips-hathras gangrape case

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अब सवाल इस बात का है कि जिन मामलों में इन पुलिस अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई हुई तो उस जिले के डीएम कैसे बच गए। जबकि किसी पीड़ित को न्याय न मिलने के पीछे दोनो ही अधिकारी बराबर के साझीदार होते हैं।

आईएएस के खिलाफ अब तक कोई कड़ी कार्रवाई नहीं

अब तक ऐसे कई मामले सामने आ चुके हैं जिसमें आईपीएस के साथ आईएएस भी बराबर के साझीदार रहे हैं। मगर किसी आईएएस के खिलाफ अब तक कोई कड़ी कार्रवाई करने में योगी सरकार आगे नहीं आ पाई है। यहां तक कि बुलन्दशहर में आईएएस अभय सिंह के सरकारी बंगले पर जब छापा पडा तो उनके घर से बेनामी सम्पत्ति के दस्तावेज तथा लाखों की नकदी बरामद हुई पर राज्य सरकार केवल वेटिंग में डालने के अलावा कोई और सजा नहीं दे पाती है।

इसी तरह विशेष सचिव रहे ईश्वर पाण्डेय ने अपनी पोस्टिंग को लेकर तथाकथित दलालों को लाखो रुपए दिए। जब यह मामला खुला तो षोर मचा पर ईष्वर पाण्डे के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं हुई।

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विशेष सचिव परिवहन रहे ईश्वर पांडेय ने कानपुर विकास प्राधिकरण में अपनी तैनाती के लिये कुछ तथाकथित दलालों को लाखों रुपये दिये । दलाल पकड़े गये तो राज खुला। मगर इस प्रकरण में भी ट्रांसफर के इलावा कोई कार्रवाई नहीं की गईं। यूपी के आठ आईएएस अफसर ऐसे हैं जिनके खिलाफ सीबीआई जांच चल रही है। बाकायदा सीबीआई ने इनके खिलाफ भ्रष्टाचार के केस दर्ज कर लिये हैं।

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आये दिन इन अफसरों के घरों पर सीबीआई के छापे

आये दिन इन अफसरों के घरों पर सीबीआई के छापे पड़ते रहते हैं और इनसे पूछताछ भी होती है मगर इनमें से किसी अधिकारी का निलंबन आज तक नहीं हो पाया। अब तक केवल उन्नाव के डीएम रहे देवेन्द्र पाण्डेय का ही निलम्बन हुआ है जो पीसीएस से आईएएस बने हैं। राज्य के जिन आईएएस अफसरों के खिलाफ सीबीआई में भ्रष्टाचार की एफआईआर दर्ज है। उसमें जीवेश नन्दन, संतोष कुमार, बी चन्द्रकला, अभय कुमार, विवेक, पवन कुमार, देवी शरण उपाध्याय और अजय शामिल हैं ।

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कोरोना काल में हुए कोविड किट खरीद घोटाला में कई जिलों में मामले उजागर हो चुके हैं। पर अबतक किसी भी आईएएस के खिलाफ कार्रवाई नहीं हुई जो भी कार्रवाई हुई है वह केवल डीपीआरओ तथा उनके अंडर में काम करने वाले बाबुओं के खिलाफ ही हुई हे।

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