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पत्थरों से आती है डमरू की आवाज, ये है एशिया का सबसे बड़ा शिव मंदिर
हमारे देश में कई मंदिर ऐसे हैं जो चमत्कारी और रहस्यमयी माने जाते हैं। देवभूमि हिमाचल में भगवान शिव के बहुत सारे मंदिर हैं। सबका अपना महत्व है। वहीं हिमाचल के सोलन में जटोली शिव मंदिर स्थित है। यह एशिया का सबसे ऊंचा शिव मंदिर है।
सोलन: हमारे देश में कई मंदिर ऐसे हैं जो चमत्कारी और रहस्यमयी माने जाते हैं। देवभूमि हिमाचल में भगवान शिव के बहुत सारे मंदिर हैं। सबका अपना महत्व है। वहीं हिमाचल के सोलन में जटोली शिव मंदिर स्थित है। यह एशिया का सबसे ऊंचा शिव मंदिर है। दक्षिण-द्रविड़ शैली में बने इस मंदिर को बनने में करीब 39 साल का समय लगा। जटोली शिव मंदिर सोलन से करीब सात किलोमीटर दूर है।
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तीन दशक का समय
एक ऐसा ही अनोखे मंदिर जिसमें पत्थरों से भी डमरू की आवाज आती हैं। हिमाचल प्रदेश के सोलन में स्थित जटोली शिव मंदिर के लिए मान्यता है कि पौराणिक काल में भगवान शिव यहां आए थे और कुछ समय के लिए रहे थे। बाद में 1950 के दशक में स्वामी कृष्णानंद परमहंस नाम के एक बाबा यहां आए, जिनके मार्गदर्शन और दिशा-निर्देश पर ही जटोली शिव मंदिर का निर्माण कार्य शुरू हुआ।
साल 1974 में उन्होंने ही इस मंदिर की नींव रखी थी। हालांकि 1983 में उन्होंने समाधि ले ली, लेकिन मंदिर का निर्माण कार्य रूका नहीं बल्कि इसका कार्य मंदिर प्रबंधन कमेटी देखने लगी। इस मंदिर को पूरी तरह तैयार होने में करीब 39 साल का समय लगा। करोड़ों रुपये की लागत से बने इस मंदिर की सबसे खास बात ये है कि इसका निर्माण देश-विदेश के श्रद्धालुओं द्वारा दिए गए दान के पैसों से हुआ है। यही वजह है कि इसे बनने में तीन दशक से भी ज्यादा का समय लगा।
स्फटिक मणि शिवलिंग
इस मंदिर में हर तरफ विभिन्न देवी-देवताओं की मूर्तियां स्थापित हैं जबकि मंदिर के अंदर स्फटिक मणि शिवलिंग स्थापित है। इसके अलावा यहां भगवान शिव और माता पार्वती की मूर्तियां भी स्थापित की गई हैं। वहीं, मंदिर के ऊपरी छोर पर 11 फुट ऊंचा एक विशाल सोने का कलश भी स्थापित है, जो इसे बेहद ही खास बना देता है।
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जटोली में पानी की समस्या नहीं
मान्यता के अनुसार भगवान शिव ने यहां एक रात के लिए विश्राम किया था। कहा जाता है कि यहां के लोगों को पानी की समस्या से जुझना पड़ा था। जिस देखते हुए स्वामी कृष्णानंद परमहंस जी ने भगवान शिव की घोर तपस्या की और त्रिशूल के प्रहार से जमीन में से पानी निकाला। तब से लेकर आज तक जटोली में पानी की समस्या नहीं है। लोग इस पानी को चमत्कारी मानते हैं। इनका मानना है कि इस जल में किसी भी बीमारी को ठीक करने के गुण हैं। यहां हर रविवार को भंडारा लगता है।
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