शिक्षकों पर संकट: रोजी रोटी की हुई समस्या, महाविद्यालयों में नहीं मिल रहा वेतन

स्ववित्त पोषित महाविद्यालयों के प्रबन्धकों एवं प्राचार्यो ने शिक्षकों को आधा वेतन दिया क्योंकि उन्हें भय था कि सरकार की नजर टेढ़ी हुईं तो संकट हो सकता है।

Shivani
Published on: 8 Sep 2020 6:24 PM GMT
शिक्षकों पर संकट: रोजी रोटी की हुई समस्या, महाविद्यालयों में नहीं मिल रहा वेतन
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जौनपुर। कोरोना संक्रमण काल में संस्थाओ के मालिकों द्वारा अपने कर्मचारियों को वेतन दिये जाने के आदेश की अवहेलना जनपद में सरकार से वित्त पोषित महाविद्यालयों के प्रबन्धकों एवं प्राचार्यो द्वारा अपने स्ववित्त पोषित कर्मचारियों के प्रति करने से बड़ी संख्या में ऐसे कर्मचारी एवं शिक्षक परिवार के समक्ष रोटी रोजी का जबरजस्त संकट उत्पन्न हो गया है।

वित्त पोषित महाविद्यालयों के स्ववित्त पोषित शिक्षकों को वेतन नहीं

बतादे कोरोना संक्रमण के चलते देश में लाक डाऊन होने पर केन्द्र एवं प्रदेश की सरकारों ने एक आदेश जारी किया कि सभी सरकारी अथवा गैर सरकारी संस्थानों में कार्यरत कर्मचारियों को वेतन दिया जायेगा ताकि किसी के समक्ष रोटी रोजी का संकट न हो सके। सरकार के इस आदेश का पालन इस जनपद में संचालित लगभग सभी स्ववित्त पोषित महाविद्यालयों के प्रबन्धकों एवं प्राचार्यो ने किया पूरा नहीं तो आधा वेतन दिया क्योंकि उन्हें भय था कि सरकार की नजर टेढ़ी हुईं तो संकट हो सकता है।

jaunpur colleges stopped giving salary to teachers during corona crisis

उत्पन्न हुआ रोटी रोजी का संकट

लेकिन सरकार से वित्त पोषित महाविद्यालयों के प्रबन्धकों एवं प्राचार्यो ने अपने स्ववित्त पोषित कर्मचारियों के प्रति सरकार के इस आदेश का पालन न करते हुए एक भी शिक्षक अथवा कर्मचारी को वेतन नहीं दिया। क्योंकि वित्त पोषित महाविद्यालयों के प्रबन्धकों एवं प्राचार्यो को सरकार से कोई डर नहीं था। जिसका परिणाम है कि तमाम ऐसे कर्मचारियो के समक्ष जीविको पार्जन की गम्भीर समस्या खड़ी हो गयी है।

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सूत्र की माने तो जनपद में लगभग सभी वित्त पोषित महाविद्यालयों के प्रबन्धक एवं प्राचार्य कालेज में रिक्त पदों पर पठन पाठन के लिए स्ववित्त पोषित शिक्षक रख कर शिक्षण कार्य करा रहे है। क्योंकि सरकार शिक्षकों की तैनाती नहीं कर रही है जिले लगभग 70 के आसपास वित्त पोषित महाविद्यालयो की संख्या बतायी जा रही है। यहाँ सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि जब छात्रों से फीस पूरे वर्ष की ले ली गयी है तो शिक्षकों को वेतन देने से परहेज क्यों हो रहा है।

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पूरे साल की फीस एक बार प्रवेश के समय लेने की व्यवस्था

महाविद्यालय में पूरे साल की फीस एक बार प्रवेश के समय लेने की व्यवस्था है इसलिए कोई यह नहीं कह सकता है कि फीस नहीं लिया गया है। कई शिक्षकों ने नाम गोपनीय रखने की शर्त पर जानकारी दिया कि शिक्षण संस्थानों में शिक्षको का जबरदस्त शोषण किया जा रहा है कोई सुनने वाला नहीं है। कोरोना संक्रमण काल का वेतन मांगने पर सेवा खत्म करने की धमकियां दी जाती है।

कपिल देव मौर्य जौनपुर

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