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बजेगी राजा की हवेली में शहनाई, कभी हुआ करती थी राजनीति का अड्डा

रियासत की स्थापना सन् 1797 को हुई थी। प्रदेश में ऐसी हवेली और कहीं नहीं है। 223 वर्षों बाद भी आज इस हवेली का सौन्दर्य अद्भुत एवं अद्वितीय नजर आता है।

Aradhya Tripathi
Published on: 26 Jun 2020 12:17 PM GMT
बजेगी राजा की हवेली में शहनाई, कभी हुआ करती थी राजनीति का अड्डा
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जौनपुर: जनपद में कभी जनसंघ एवं आरएसएस के राजनीति की शरण स्थली रही राजा जौनपुर की हवेली में अब गूंजेगी शहनाईयां। जी हां आप सही समझ रहे हैं जो हवेली कभी भारतीय राजनीति का अड्डा हुआ करती थी जिसकी शान राजे रजवाड़ों से गुंजायमान होती रही है। अब वही हवेली विवाह मैरेज हाल के रूप में उपयोग में लायी जायेगी। हवेली में अब जौनपुर के लोग यहाँ पर शाही अंदाज में शादी कर सकेंगे। राजमहल मैरेज लान के नाम से इसका नाम करण भी किया जा चुका है। इसका दायित्व गहना कोठी के मालिक विनीत सेठ ने उठाया है।

200 साल पुराना है हवेली का इतिहास

यहाँ बता दें कि जौनपुर रियासत की स्थापना 3 नवम्बर सन् 1797 को हुई थी। इस रियासत के पहले राजा शिवलाल दत्त दूबे रहे जिनकी देख रेख में नक्काशी दार इस हवेली का निर्माण कराया गया था। प्रदेश में ऐसी हवेली और कहीं नहीं है। 223 वर्षों बाद भी आज इस हवेली का सौन्दर्य अद्भुत एवं अद्वितीय नजर आता है। राजाओं के खानदान में राजा यादवेंद्र दत्त दूबे जनसंघ और आर एस एस से जुड़ कर राजनीति में क़दम रखा तो यहाँ पर भारत की राजनीति में अहम स्थान रखने वाले नेताओं का आना जाना लगा रहता था। राजा यादवेंद्र दत्त दूबे दो बार सांसद चार बार विधायक एवं विधानमंडल दल के रूप में नेता विरोधी दल भी रहे हैं। इतना ही नहीं स्व. दुबे जी भाजपा के संस्थापक सदस्यों में रहे है। इनकी गणना देश के बड़े नेताओं में होती रही है।

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यहां तक कि स्व.अटल बिहारी जैसी हस्ती राजा यादवेंद्र दत्त दूबे के सामने कुर्सी पर बैठने का साहस नहीं कर सके थे। पूर्व प्रधानमंत्री स्व.अटल बिहारी वाजपेयी आरएसएस के सर संघ चालक गुरु माधवराव सदाशिव गोलवरकर , भाऊराव देवरस, नाना जी देशमुख, वेणु गोपालन सहित शीर्ष स्तरीय तमाम नेताओं का आना जाना इस हवेली में रहता था। सन् 1963 में लोकसभा का उप चुनाव पं. दीन दयाल उपाध्याय जौनपुर में रहते हुए इसी ऐतिहासिक हवेली से लड़ा था। जिसमें राज परिवार ने बढ़ चढ़ कर हिस्सा लिया था। इस तरह एक अद्भुत और अनोखा इतिहास इस राज हवेली का रहा है।

हवेली के मूल रूप में नहीं होगा कोई बदलाव

लगभग दो सौ साल से अधिक समय बीतने के बाद भी हवेली का सौन्दर्य अद्भुत एवं बेमिसाल है लेकिन कुछ जर्जर जरूर हो गयी है। इस राज घराने के 12 वें राजा के रूप में वर्तमान राजा अवनीन्द्र दत्त दूबे पुत्र राजा यादवेंद्र दत्त दूबे ने इस ऐतिहासिक हवेली को मैरेज हाल बनाने का निर्णय लेते हुए गहना कोठी के अधिष्ठाता विनीत सेठ से बातचीत कर उन्हें मैरेज हाल बनाने का दायित्व दे दिया है। इस बाबत विनीत सेठ से बातचीत करने पर उन्होंने बताया कि हवेली के लुक में कोई परिवर्तन नहीं किया जायेगा। उसकी नक्काशी जस की तस रहेगी जहां पत्थर लगें हैं वही रहेगे बाहर जयपुर राजस्थान से कारीगरों को बुलाकर हवेली की मरम्मत करायी जा रही है।

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साज सज्जा के साथ हवेली के सौन्दर्य को निखरने का प्रयास चल रहा है। जर्जर हिस्सों के मरम्मत का काम चल रहा है जल्द ही हवेली मैरेज हाल के रूप सुसज्जित नजर आयेगी। मुख्य द्वार की मरम्मत कराके उसकी ऐतिहासिकता को बरकरार रखा जायेगा। इसके पीछे एक और कारण है कि मैरेज हाल बनाने से हवेली की धरोहर सुरक्षित रहेगी और उसकी ऐतिहासिकता बनी रहेगी बाहर से आने वाले इस विरासत को देख भी सकेंगे। राजा अवनीन्द्र दत्त दूबे ने उक्त की पुष्टि करते हुए जानकारी दिया कि किराये पर दिया है इस शर्त के साथ की हवेली के मूल रूप के साथ कोई छेड़छाड़ नहीं की जायेगी।

रिपोर्ट- कपिल देव मौर्य

Aradhya Tripathi

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