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यहां डेथ बॉडी बनाई जाती है बंधक! पैसा दो और मृतक को करा लो रिहा...

निजी अस्पताल के मालिक ने मानवता को शर्मसार करते हुए एक गरीब के उपचार में लगे खर्च का भुगतान न होने पर मृतक वृद्ध के शव को ही बंधक बना लिया।

Shivani Awasthi
Published on: 18 Jan 2020 9:34 AM GMT
यहां डेथ बॉडी बनाई जाती है बंधक! पैसा दो और मृतक को करा लो रिहा...
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जौनपुर: निजी अस्पताल के मालिक ने मानवता को शर्मसार करते हुए एक गरीब के उपचार में लगे खर्च का भुगतान न होने पर मृतक वृद्ध के शव को ही बंधक बना लिया। वहीं परिजनों से जिलाधिकारी से गुहार लगाई तो उनकी सिफारिश तक को ठुकरा दिया है। पूरा मामला चर्चा का बिषय बना हुआ है।

क्या है मामला:

दरअसल, जनपद जौनपुर के सिकरारा क्षेत्र स्थित बांकी गांव निवासी बड़े लाल सिंह (70) दो दिन पूर्व सांड़ के हमले में गंभीर रूप से घायल हो गए थे। परिजन उन्हें उपचार के लिए वाराणसी के एक प्राईवेट अस्पताल में ले गये। वहां पर उपचार के दौरान उनकी गुरुवार को मौत हो गई।

बता दें कि बांकी गांव निवासी बड़ेलाल सिंह को मंगलवार की रात सांड़ के हमले से घायल कर दिया था। उनका इलाज वाराणसी के शिवपुर बाईपास के पास स्थित एक निजी अस्पताल में चल रहा था। इलाज के दौरान गुरुवार की रात मौत हो गई।

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उपचार का खर्च नहीं मिला तो अस्पताल मालिक ने शव को ही बंधक बना लिया

वहीं दो दिन के इलाज में अस्पताल प्रशासन ने लगभग एक लाख पांच हजार का बिल बना दिया। मृत बड़ेलाल के दो बेटे शिव कुमार व देवानंद पूना में वाचमैनी का काम करके किसी तरह से परिवार की आजीविका चला रहे थे। सूचना मिलने पर बड़ा बेटा शिव कुमार गुरुवार की रात घर पहुंचा। परिजनों की माली हालत इतना अधिक पैसा जमा करने की नहीं है। पिता के शव को अस्पताल से निकलवाने के लिए लोगों से सहायता मांग रहे हैं।घने कोहरे ने लील ली जिंदगियां, अलाव ताप रहे लोगों को ट्रक ने रौंदा

शुक्रवार की सुबह खंड विकास अधिकारी व ब्लाक के पशु चिकित्सा अधिकारी भी गांव जाकर लोगों से बात किये तो किसी तरह 15 हजार रुपये जुट पाया। परिवार के लोग पैसे के लिए लोगों से गुहार लगा रहे हैं। भुगतान न होने से रात साढ़े आठ बजे तक अस्पताल प्रशासन ने शव नहीं दिया था।

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शव लेने को गिड़गिड़ाती रही बहू व बेटी:

लगभग 48 घंटे तक चले इलाज के बाद अस्पताल में मौत के बाद शव लेने के लिए बेटी अंजू व बहू संगीता के साथ भाई छोटेलाल पूरी रात अस्पताल प्रशासन से निवेदन करते रहे, लेकिन कोई फर्क अस्पताल प्रशासन पर नहीं पड़ा। पूरे घटना ने स्वास्थ्य सिस्टम पर सवाल उठा दिया है ।

परिजनों ने आरोप लगाया कि अगर अस्पताल में फीस का डिस्प्ले रहता तो इतनी परेशानी नहीं होती। दूसरी ओर शव देने के एवज में अस्पताल प्रशासन एक लाख की मांग कर रहा था जो परिजनों के पास नहीं था।

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परिजनों ने बताया कि भर्ती के बाद से 15 हजार रुपये जमा कराया गया। अस्पताल के प्रबंधक योगेश सिंह से बातचीत हुई तो उन्होंने बताया कि इलाज के दौरान आपरेशन व दवाओं में कुल एक लाख पांच हजार रुपये का बिल आया है। जिसे परिजन जमा नही कर रहे है।

प्रबंधक ने खुद बताया कि जिलाधिकारी जौनपुर दिनेश कुमार सिंह व मुख्य विकास अधिकारी अनुपम शुक्ला सहित कई लोगों का फोन आया है। कोई पैसा लेकर यहां आए तब न शव दिया जाए लोग सिर्फ फोन कर रहे हैं। इस घटना ने चिकित्सकीय व्यवस्था को सवालों के कटघरे में खडा कर दिया है ।

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Shivani Awasthi

Shivani Awasthi

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