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यहां देवी मां को चढ़ता है नॉनवेज, भक्तों को प्रसाद में बंटती है 'मटर बिरयानी'

भारत का एक ऐसा मंदिर जहां भगवान को भोग में हलवा-खीर, चना-पुड़ी या फल और मावा नहीं बल्कि नॉनवेज चढ़ाया जाता है। ये सुन कर आश्चर्य हो रहा होगा, लेकिन ये सच है।

Shivani Awasthi
Published on: 18 Jan 2020 6:03 AM GMT
यहां देवी मां को चढ़ता है नॉनवेज, भक्तों को प्रसाद में बंटती है मटर बिरयानी
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मुदैर: भारत का एक ऐसा अनोखा मंदिर (Unique Temple) जहां भगवान को भोग में हलवा-खीर, चना-पुड़ी या फल और मावा नहीं बल्कि नॉनवेज चढ़ाया जाता है। ये सुन कर आश्चर्य हो रहा होगा, लेकिन ये सच है। भारत का पहला और एकलौता मंदिर है जहां भगवान मांसाहारी भोग ग्रहण करते हैं और फिर भक्तों को भी प्रसाद के तौर पर नॉनवेज ही बांटा जाता है। इस एतिहासिक मंदिर की अपनी मान्यता है।

इस मंदिर में चढ़ाया जाता है मटन-बिरयानी का प्रसाद:

हिंदू धर्म बहुत बड़ा है, इसमें कई रीति-रिवाज और परम्पराएं हैं। अपनी अपनी मान्यताओं के मुताबिक़, लोग भगवान की पूजा अर्चना करते हैं। वहीं भारत में ईश्वर की अराधना के लिए लाखों-करोड़ों मंदिर हैं। इन मन्दिरों में भगवान की पूजा के समय से लेकर आरती-अराधना के तौर तरीकों में भी फर्क है।

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मंदिर में ईश्वर को चढ़ने वाला भोग भी अलग अलग होता है। कहीं, मीठे में हलवा-बर्फी तो कहीं नमकीन में खिचड़ी-पुड़ी, कहीं फल तो कहीं मावा। लेकिन अगर किसी मंदिर में भगवान को 'नॉन-वेज' का भोग लगता हो तो यह सुन कर आपको हैरानी जरुर होगी। पर ये सच हैं, भारत में एक ऐसा भी मंदिर है, जहां मटन-बिरयानी का भोग लगता है।

देवी माता के मंदिर में

तमिलनाडु राज्य के मदुरै जिले में एक मंदिर है। दरअसल, जिले में स्थित तिरूमंगलम तालुक में वाड़ाक्कमपट्टी गाँव के अंतर्गत आने वाले इस मंदिर का नाम है 'मूनियाननदी स्वामी मंदिर'। इस मंदिर की ख़ास बात ये हैं कि यहां देवी माँ को प्रसाद के रूप में मटन बिरयानी चढ़ाते है और बाद में उसे लोगों में बांटा जाता है।

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दरअसल, गाँव में देवी मां मूनियाननदी को खुश करने और उनकी आराधना के लिए हर साल तीन दिन का वार्षिक महोत्सव आयोजित होता है। इस महोत्सव में पहले देवी माँ को प्रसाद में मटन बिरयानी भोग ने चढ़ाई जाती है, जिसके बाद भक्तों को प्रसाद के रूप में गरमा-गरम मटन बिरयानी परोसी जाती है।

पुरानी है प्रथा:

गौरतलब है कि इस एतिहासिक मंदिर में सालों से मटन बिरयानी का भोग लगता है। यह प्रथा 83 साल पुरानी है और इसका लगातार पालन किया जा रहा है। स्वादिष्ट बिरयानी को बनाने के लिए 500 बकरो और 600 मुर्गों की बलि दी जाती है। इसे बनाने के लिए सैकड़ों रसोइये मिलकर काम करते हैं।

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कैसे हुई प्रथा की शुरुआत:

इस अनोखी परंपरा की शुरुआत साल 1973 में मटन बिरयानी बेचने वाले एक होटल के मालिक गुरु स्वामी नायडू ने की थी। कहा जाता है कि मुनियांदी देवी नाम पर होटल शुरू करने के बाद उनका बिजनेस तेजी से बढ़ने लगा और उसके बाद उन्होंने देवी को धन्यवाद देने और अपनी दया-दृष्टि बनाए रखने के लिए मटन बिरयानी बनाकर भेंट की थी।

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Shivani Awasthi

Shivani Awasthi

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