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सभी सभ्यताओं ने गांधी के सत्य को स्वीकारा, वेबिनार में गांधी के चिंतन पर चर्चा

इस अवसर पर पूर्व कुलपति प्रो. सुंदरलाल ने सत्यव्रत को परिभाषित करते हुए कहा कि विश्व की सभी सभ्यताओं ‌ने गांधी जी के सत्य को स्वीकारा।

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Published on: 25 Aug 2020 3:42 PM GMT
सभी सभ्यताओं ने गांधी के सत्य को स्वीकारा, वेबिनार में गांधी के चिंतन पर चर्चा
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जौनपुर: वीर बहादुर सिंह पूर्वांचल विश्वविद्यालय की ओर से आयोजित "वर्तमान परिप्रेक्ष्य में गांधी चिंतन की प्रासंगिकता" विषयक राष्ट्रीय वेबिनार का आयोजन आज मंगलवार को अपराह्न किया गया। इस अवसर पर बतौर मुख्य अतिथि गांधीवादी चिंतक पूर्वांचल विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति प्रो. सुंदरलाल ने कहा कि गांधी जी वैज्ञानिक ही नहीं प्रयोगधर्मी थे। देश और समाज में बदलाव के‌ लिए वह अक्सर इन प्रयोगों को किया करते थें।

मन, कर्म और वचन में एकता लाना ही असली गांधीवाद

इस अवसर पर पूर्व कुलपति प्रो. सुंदरलाल ने सत्यव्रत को परिभाषित करते हुए कहा कि विश्व की सभी सभ्यताओं ‌ने गांधी जी के सत्य को स्वीकारा। उन्होंने कहा कि गांधी के सत्यव्रत को व्यक्ति को दिनचर्या के साथ-साथ सामाजिक आचार विचार में लाने की जरूरत है। उन्होंने ब्रह्मचर्य को परिभाषित करते हुए कहा कि इसका मतलब स्वयं पर भरोसा रखना दिनचर्या में अनुशासन लाना और समय का सम्मान करना है। विश्वविद्यालय के कुलपति वेबिनार की मुख्य संरक्षक प्रो निर्मला एस मौर्या ने स्वराज को स्वरोजगार से जोड़कर कहा कि उद्यमशील बन कर ही हम स्वराज की कल्पना कर सकते हैं।

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उन्होंने गांधी के स्वच्छता अभियान को परिभाषित करते हुए कहा कि गांधी जी ने स्वच्छता को ईश्वर भक्ति माना तब जाकर यह जनमानस से जुड़ा। उन्होंने गांधीजी के सत्य अहिंसा परमो धर्म को संक्षेप में परिभाषित किया। बीज वक्ता के रूप में काशी हिंदू विश्वविद्यालय हिंदी विभाग के प्रो वशिष्ठ अनूप ने कहा गांधीवाद कोई नई चीज नहीं है यह शाश्वत मूल्य है। इसे जब कोई व्यक्ति अपने आचरण में शामिल कर लेता है तो लोग उससे प्रभावित होने लगते हैं और वह व्यक्ति आदर्श बन जाता है। उन्होंने कहा कि मन, कर्म और वचन में एकता लाना ही असली गांधीवाद है। उन्होंने कहा कि गांधीजी के विचारों ने साहित्य जगत को भी प्रभावित किया। मुंशी प्रेमचंद सोहनलाल द्विवेदी समेत कई साहित्यकारों ने उन्हें अंगीकार किया।

गरीब वंचितों की सेवा करके हम आत्मज्ञान को पा सकते हैं

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विशिष्ट वक्ता तिलकधारी महाविद्यालय के पूर्व प्राचार्य डॉ अरुण कुमार सिंह ने कहा के गांधी का मानना था कि गुफा में जाकर आत्मज्ञान प्राप्त करने से अच्छा है संसार में रहकर गरीबों वंचितों की सेवा करके हम आत्मज्ञान को पा सकते हैं। हमें अपने जीवन में तुलनात्मक सत्य की खोज करनी चाहिए। उन्होंने अहिंसा को विस्तृत रूप से परिभाषित करते हुए कहा कि गांधी ने कहा था अहिंसा और कायरता में अगर हमें एक को अपनाना हो तो हमें हिंसा को अपनाना चाहिए। हालांकि यह अपवाद है। उन्होंने स्वदेशी की जमकर वकालत की। साथ में कहा कि तकनीकी आवश्यकता के अनुरूप भी होनी चाहिए।

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अतिथियों का स्वागत एवं वेबिनार के वक्ताओं का परिचय इलेक्ट्रॉनिक्स इंजीनियर के विभागाध्यक्ष एवं वेबिनार संयोजक प्रो बीबी तिवारी ने किया। संचालन डॉ नीतेश जायसवाल और धन्यवाद ज्ञापन आयोजन सचिव डॉ राजकुमार ने किया। वेबिनार में प्रमुख रूप से प्रो. एके श्रीवास्तव, प्रो बीडी शर्मा, प्रो.देवराज सिंह, डॉ.मनोज मिश्र, डॉ मनीष गुप्ता, डॉ. सुनील कुमार, डॉ राकेश यादव, डॉ. दिग्विजय सिंह राठौर, डॉ.प्रमोद यादव, डॉ मुराद अली, डॉ.रसिकेश गुप्ता, डॉ. संजीव गंगवार,डॉ जान्हवी श्रीवास्तव, डॉ अवध बिहारी सिंह, अनु त्यागी, डॉ प्रदीप कुमार सिंह, डॉ शशिकांत यादव, डॉ पुनीत धवन आदि ने प्रतिभाग किया।

रिपोर्ट- कपिल देव मौर्य

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